चौ. रणबीर सिंह ने 23 नवम्बर 1948 को संविधान सभा में किसानों को MSP देने का प्रस्ताव रखा था – दीपेंद्र हुड्डा

  • ·         स्वतंत्रता सेनानी चौ. रणबीर सिंह की 14वीं पुण्यतिथि पर गांव खेड़ी साध स्थित समाधि स्थल पर सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने श्रद्धांजलि अर्पित की

चंडीगढ़, 01 फ़रवरी :

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज महान स्वतंत्रता सेनानी व संविधान निर्मात्री सभा के सबसे युवा और हरियाणा से एकमात्र सदस्य रहे, चौ. रणबीर सिंह हुड्डा की 14वीं पुण्यतिथि पर गांव खेड़ी साध स्थित उनके समाधि स्थल पर पहुँचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान हवन, पूजा और प्रर्थना सभा का आयोजन हुआ।

दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि आजादी से पहले देश में MSP की कोई व्यवस्था नहीं थी। चौ. रणबीर सिंह ने 23 नवम्बर 1948 को सबसे पहली संविधान सभा में किसानों को MSP देने का प्रस्ताव रखा था। जिसके बाद पूरे देश में MSP व्यवस्था लागू की गई और उसमें फसलें जोड़ी गयी। उन्होंने कहा था कि एक दिन किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य देना ही पड़ेगा। उन्होंने पहली बार खेतों में काम करने वाले अन्नदाता को अहसास कराया कि उनकी मेहनत का सही मूल्य प्राप्त करना उनका अधिकार है। संविधान सभा में उन्होंने इस दिशा में पहला प्रस्ताव रखकर करोड़ों भारतीय किसानों को आगे बढने का मार्ग प्रशस्त किया।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने चौ. रणबीर सिंह को याद करते हुए बताया कि 1947 में संविधान सभा के सबसे युवा सदस्य के रूप में चयनित होने से पहले चौधरी साहब ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 8 विभिन्न जेलों में अपनी जवानी के लगभग साढ़े 6 वर्ष बिताये, लेकिन देशभक्ति का हौसला कम नहीं हुआ। उन्होंने असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन समेत देश की आज़ादी के हर आन्दोलन में अपनी भागीदारी निभाई। आज़ादी के आन्दोलन में वो कभी न रुके, न थके, न झुके। चौ. रणबीर सिंह जी देश का संविधान बनाने वाली संविधान सभा के सबसे युवा और हरियाणा से अकेले सदस्य रहे। वे दिन-रात इसी उधेड़बुन में लगे रहते थे कि गाँवों में खुशहाली और गरीब के मुख पर लाली कैसे आये। वो हमेशा गांव के विकास को प्राथमिकता देते और कहते गांव में रहने वालों और शहरों में रहने वालों के बीच अंतर मिटना चाहिए।

उन्होंने संविधान सभा में गांव की, गरीब की और किसान की जोरदार वकालत की। गाँव, किसान और मजदूर के विषय में गहराई से जानने वाले चौ. रणबीर सिंह जी ने संविधान सभा की बहस और भाषणों में मजबूती से उनका पक्ष रखा। उनका मानना था कि संविधान सभा में ‘सब जग-बीती कह रहे हैं मैं आप-बीती कहूँगा’ ‘आप बीती’ से उनका आशय किसान की ‘आप बीती’ से था। उन्होंने सच्चाई के रास्ते पर अडिग रहने और किसी भी ज़ुल्म के आगे न झुकने की सीख दी। उनका सारा जीवन संघर्ष में बीता। पहले आजादी की लड़ाई में फिर उन्होंने किसानों, आम लोगों के अधिकारों के लिये आजीवन संघर्ष किया।

सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि गांधीवादी विचारधारा के प्रखर अनुयायी चौ. रणबीर सिंह हुड्डा विश्व के प्रजातांत्रिक इतिहास में अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने जीवनकाल में भारत के सात विभिन्न लोकतांत्रिक सदनों के सदस्य रहे हैं। वे कांस्टिट्यूएंट असेम्बली, कांस्टिट्यूएंट लेजिसलेटिव असेम्बली, प्रोविजनल पार्लियामेंट, लोकसभा, राज्यसभा, पंजाब विधानसभा तथा हरियाणा विधानसभा के सदस्य रहे। उनका यह अद्भुत रिकार्ड लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सम्मान के साथ दर्ज है।

इस अवसर पर पूर्व सांसद शादीलाल बत्रा, विधायक डॉ. रघुबीर सिंह कादयान, विधायक बी.बी. बत्रा, विधायक राव दान सिंह, विधायक गीता भुक्कल, विधायक शकुन्तला खटक, विधायक बलबीर बाल्मीकि, विधायक सुरेन्द्र पंवार, विधायक इन्दुराज नरवाल, सोनीपत मेयर निखिल मदान, पूर्व सीपीएस प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा, पूर्व विधायक नरेंदर सांगवान, पूर्व विधायक संत कुमार, AICC सदस्य चक्रवर्ती शर्मा सहित बड़ी संख्या में स्थानीय गणमान्य लोग मौजूद रहे।