चंद्रमोहन ने  नई बजट पे जताई निराशा

पंचकूला 1 फरवरी –  हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने  केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज सदन में पेश किए वर्ष 2022 -23 के बजट को निराशाजनक  बताते हुए  कहा कि इसमें मध्यम वर्ग के लोगों के साथ कुठाराघात किया गया है। इस बजट में कोविड की महामारी से ग्रस्त उन पीड़ित लोगों के कोई राहत की घोषणा नहीं की गई है। जिन 12 करोड़ लोगों का  रोजगार चला गया उनके लिए किसी भी योजना की घोषणा नहीं की गई है।          उन्होंने कहा कि बजट में ख्याली पुलाव और खोखली घोषणाएं करके आम आदमी की आंखों धूल झोंकने का निरर्थक प्रयास किया गया है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि कैसी विडम्बना है कि सन् 2014 में भाजपा ने 2 करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने का वादा किया गया था । आज तक उसका कोई हिसाब नहीं दिया गया है, जबकि आत्मनिर्भर भारत के तहत 16 लाख नौकरियां और मेक  इन इंडिया के तहत 60 लाख नौकरियां देने का इस बजट में फिर से झांसा दिया गया है जो एक जुमले के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।            चन्द्र मोहन ने कहा कि इन्कमटैक्स की सीमा में कोई छूट नहीं दी गई है। जिस प्रकार से  देश के कई प्रतिष्ठान बेचे गए हैं उसी प्रकार  भारतीय जीवन बीमा निगम को बेचने की तैयारी की जा रही है और इसके लिए आईपीओ जल्द लाए जाने की योजना है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासनकाल में  जनता की समस्याओं के निराकरण का कोई दृष्टिकोण नहीं है और यही कारण है कि सभी वायदे खोखले साबित हो रहे हैं। देश में 2 लाख आंगनबाड़ी विकसित करने का स्वांग रचा गया है जबकि हरियाणा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं पर अत्याचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 48000 करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में करके लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम फिर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सन् 2014 में  सन् 2022 तक सभी को छत मुहैया कराने का वायदा किया गया था उसका क्या हश्र हुआ यह देश के लोगों को अच्छी तरह मालूम है।अब बजट में गरीबों के लिए 80 लाख मकान बनाने का वायदा किया गया है। इस गति से सभी को छत उपलब्ध करवाने में अगले 100 वर्ष लग  जायेंगे।            चन्द्र मोहन ने कहा कि  देश के किसानों के साथ धोखा किया गया है। किसी भी नई फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं की गई है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए 2 लाख 37 करोड़ रूपए रखे गए और यह योजना कोई नई नहीं है। यह राशि तो वर्षों से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में किसानों को दी जा रही है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर यह बजट जन भावनाओं के विरुद्ध है। गरीबों को महगांई की मार से छुटकारा दिलाने के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है।