आर पी एन सिंह के इस्तीफे ए बाद कॉंग्रेस और एस पी में भगदड़
यूपी में कांग्रेस को एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे है। कांग्रेस के कई बड़े नेता एक-एक कर पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। आरपीएन सिंह का बीजेपी में शामिल होना भी कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। कांग्रेस ने यूपी चुनाव के लिएआरपीएन सिंह को अपना स्टार प्रचारक घोषित किया था। बीते कुछ सालों में आरपीएन सिंह कांग्रेस छोड़ने वाले पांचवें बड़े नेता हैं। उनसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, अदिति सिंह और कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस का हाथ छोड़ चुके हैं।
उत्तर प्रदेश चुनाव की बिसात इस बार कुछ अलग ही दिखाई दे रही है। यहाँ नेता दल बदल कर अपनी पार्टियों को झटके दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का दावा करने वाली कांग्रेस (Congress) को आज मंगलवार को एक ही दिन में दो झटके मिल गए। सुबह पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और शाम होते होते पार्टी के पडरौना से अधिकृत प्रत्याशी मनीष जायसवाल मंटू ने पार्टी छोड़ दी। मनीष जायसवाल कट्टर आरपीएन सिंह समर्थक हैं।
डेमोरेटिक फ्रंट(ब्यूरो) लखनऊ :
मनीष जायसवाल के अलावा जिला अध्यक्ष राजकुमार सिंह, जिला महासचिव टीएन सिंह, किसान संगठन के अवधेश सिंह सहित अधिकांश पदाधिकारियों ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, पडरौना विधानसभा से घोषित प्रत्याशी मनीष जायसवाल और जिला अध्यक्ष राजकुमार सिंह ने पडरौना नगर में सामूहिक इस्तीफा दिया। इस्तीफा देने के बाद जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा की अजय कुमार लल्लू के प्रदेश अध्यक्ष बने ढाई साल बीत गए लेकिन प्रदेश अध्यक्ष को जिला कार्यालय पर आने का वक्त नहीं मिला। उन्होंने जिला संगठन की घोर उपेक्षा की है। इसलिए अपने नेता आरपीएन सिंह के साथ इस्तीफा दिया है। पडरौना विधानसभा से कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने भी इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर आरपीएन सिंह की अनदेखी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व की अनदेखी के कारण अपने नेता आरपीएन सिंह के साथ ही कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दिया है।
यह जितना बड़ा झटका कांग्रेस के लिए है उससे कहीं ज्यादा बीजेपी छोड़कर सपा में जाने वाले पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए माना जा रहा हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर की पडरौना सीट से विधायक हैं। पडरौना सीट आरपीएन सिंह का अच्छा खासा प्रभाव है। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य की धड़कनें भी बढ़ गई हैं। सूत्रों के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य अपने लिए सेफ सीट तलाश कर रहे हैं और वे फजिलगंज से मैदान में उतर सकते हैं।
सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक आरपीएन सिंह खुद चुनाव न लड़कर पत्नी सोनिया सिंह को मैदान में उतार सकते हैं। बीजेपी आरपीएन सिंह को राज्यसभा भेज सकती है। अगर आरपीएन सिंह की पत्नी को टिकट मिलता है तो वह स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ ताल ठोकती नजर आ सकती हैं। दरअसल, आरपीएन सिंह बीते कई दशको से पूर्वांचल की राजनीति का एक बड़ा चेहरा रहे है। कुशीनगर-पडरौना राजघराने से ताल्लुक रखने वाले आरपीएन सिंह की कुशीनगर के आस-पास के क्षेत्र में एक बेहद मजबूत पकड़ है। आरपीएन सिंह कांग्रेस से 1996 से 2009 तक 3 बार पडरौना के विधायक रहे है। और 2009 में कुशीनगर से लोकसभा का चुनाव जीतकर यूपीए-2 सरकार में सडक, परिवहन, पेट्रोलियम के साथ गृह राज्य मंत्री भी रहे है। 2009 में सिंह ने बीएसपी से चुनाव लड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या को ही हराया था। ऐसे में आरपीएन सिंह की पडरौना के साथ कुशीनगर में एक बेहद मजबूत पकड़ और उनके पडरौना से ही चुनाव लड़ने की संभावना को देखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्या अब सपा से किसी सेफ सीट पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे है।