भारतीय सेना अब स्वीडन की कंपनी साब से एटी4 नाम का एंटी टैंक सिंगल शॉट वेपन खरीदने जा रही है। बताया जाता है कि यह दुनिया का सबसे खतरनाक एंटी टैंक हथियार है, जिसे सैनिक किसी इमारत या बंकर में बैठकर इस्तेमाल कर सकते हैं। 84 एमएम बोर वाले इस लॉन्चर से दुश्मन के टैंकों को आसानी से तबाह किया जा सकता है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, नई दिल्ली(ब्यूरो) :
भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना, एटी4 एंटी-टैंक सिंगल शॉट वेपन (AT4 anti-tank single shot weapon) का उपयोग करेगी। ये अचूक हथियार बेहद खतरनाक हैं. इसकी जानकारी साब इंडिया ने गुरुवार को दी। ये हथियार, बख्तरबंद वाहनों और किलेबंदी को नष्ट करने में सक्षम होते हैं। एटी 4 का उद्देश्य पैदल सेना इकाइयों को मजबूत बनाने से है। इसका सबसे पहला प्रयोग 1960 के दशक के अंत में स्वीडिश सेना ने किया था. स्वीडन की कंपनी साब इनका निर्माण करती है।
गौरतलब है कि पिछले महीने पाकिस्तान और चीन की हरकतों को देखते हुए भारतीय सेना को कुछ अचूक हथियार मिले हैं, जिससे वह अपने दुश्मनों को रोकने में सक्षम हो सके। यह है एंटी-पर्सनेल और एंटी-टैंक माइंस जो भारत में ही विकसित किए गए हैं। यही नहीं लद्दाख में कड़ाके की सर्दी में मोर्चा संभालने वाले जवानों की सहायता के लिए सेना ने अपनी विशेष खरीद शक्तियों का इस्तेमाल करके ऐसे पंप भी मंगवाए हैं, जिनसे उन्हें ऊंचाई वाले स्थानों पर पानी और ईंधन की समस्या दूर होगी।
भारतीय सेना के अधिकारियों के मुताबिक, ‘भारतीय सेना के इंजीनियर कोर को नई एंटी-पर्सनेल और एंटी-टैंक माइंस सेट मिले हैं, जो दुश्मन की पैदल सेना और सशस्त्र कमान या अपने क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकियों के खिलाफ फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस के रूप में काम करेगी।
भारतीय थल सेना ने सैनिकों के लिए शनिवार को नया पोशाक जारी किया. इसे आरामदेह और जलवायु अनुकूल है तथा इसकी डिजाइन कंप्यूटर की मदद से तैयार किया गया है। यह पोशाक जैतून और मिट्टी के रंग सहित मिश्रित रंगों वाली है। इसे सैनिकों की तैनाती स्थल और वहां की जलवायु दशाओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि विभिन्न देशों की सेनाओं की पोशाकों का विश्लेषण करने के बाद राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) के सहयोग से नई पोशाक की डिजाइन तैयार की गयी है। उन्होंने बताया कि यह पोशाक कहीं अधिक आरामदेह है और इसे हर तरह के भू-भाग में उपयोग किया जाएगा. यह एक ‘डिजिटल डिसरप्टिव’ पद्धति वाला भी है।