पंचकूला 8 जनवरी –
हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार प्रदेश के गरीब वर्ग के छात्रों की भावनाओं से खिलवाड़ करके उनके भविष्य को बर्बाद करने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा इस मामले की गंभीरता को न समझते हुए ही इस मामले को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि नीजि स्कूलों के दबाव में आकर ही हरियाणा सरकार ने स्कूल शिक्षा के नियम 134 -ए के तहत मेधावी छात्रों को निजी स्कूलों में प्रवेश देने के लिए इन स्कूलों में वर्तमान शैक्षणिक सत्र के लिए 200 रुपये प्रति माह फीस बढोतरी की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में लगभग 40 हजार ऐसे छात्र हैं जो नियम 134-ए के तहत इन प्राइवेट स्कूलों में दाखिले का पलकें फाड़ कर इन्तज़ार कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के इस ब्यान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कहा ने कहा है कि कुछ निजी स्कूल नियम 134 ए के तहत ऐसे बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी कर रहे थे और इन स्कूलों ने इसका खुला विरोध किया था क्योंकि नीजि स्कूलों में इस नियम के तहत फीस कम है। इससे बड़ा और दबाव क्या हो सकता है और सरकार ने निजी स्कूलों के दबाव में आकर ही 134 ए के तहत 200 रुपये फीस में बढ़ोतरी करने की आनन फानन में घोषणा गईं है और इस बढ़ी हुई फीस से सरकार पर 5 करोड़ रुपए का प्रतिवर्ष अधिक भार पड़ेगा।
चन्द्र मोहन कहा कि सरकारी दावों के अनुसार प्रदेश में 134-ए के तहत लगभग 40 हजार गरीब बच्चों ने परीक्षा दी थी और इनमें से अभी तक केवल लगभग 12 छात्रों को ही इन स्कूलों में निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही दाखिला सम्भव हो पाया है और जो केवल 30 प्रतिशत है जबकि 70 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो दाखिला न मिलने के कारण अपने भाग्य के साथ साथ सरकार की अकर्मण्यता और गरीबों के प्रति अपनाई गई नीति का परिणाम भुगत रहे हैं।
चन्द्र मोहन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ऐसे परिवारों के बच्चों के अभिभावकों की आय को बढ़ा कर 8 लाख रुपए वार्षिक की जाए ताकि प्रदेश में परिव्याप्त ऊहापोह की स्थिति का निराकरण किया जा सका। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लोगों की आय 8 लाख रूपए वार्षिक मानकर सभी प्रकार के लाभ दिये जा रहे हैं तो खट्टर सरकार को इसमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में बिना किसी के दबाव में आए उन गरीब बच्चों के भविष्य को सुखद बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए।