श्रीमद्भागवत गीता ‘स्थान और समय’ से बहुत आगे है : शैलजा कौशल
- गीता जयंती के अवसर पर आयोजित एक इंटरनेशनल वेबिनार में भारत का नेतृत्व किया चण्डीगढ़ की लेखिका शैलजा कौशल ने
चण्डीगढ़ :
श्रीमद्भागवत गीता मनुष्य जीवन के लिए शब्द कोष की तरह है जिसमें हर समस्या का समाधान है। गीता के सभी पात्र प्रतीकात्मक हैं और जीवन सार को अभिव्यक्ति देते हैं। यह विचार युरोपियन विद्वानों ने देवम फाउंडेशन इंडो – बल्गेरियाई सोसाइटी फॉर आर्ट एंड कल्चर की ओर से आयोजित एक इंटरनेशनल वेबिनार में व्यक्त किये। इस इंटरनेशनल वेबिनार में भारत का नेतृत्व चण्डीगढ़ की लेखिका शैलजा कौशल ने किया। गीता जयंती के अवसर पर आयोजित इस सेमीनार में स्लोवेनिया, हंगरी, बुल्गारिया और भारत से विद्वानों ने भाग लिया। हंगरी से स्वामी तीर्थ जी महाराज, बुल्गारिया से रामदास प्रभु, डॉ मोना कौशिक, मनोहारी देवी और स्लोवेनिया से मदन गोपाल दास प्रभु जुड़े। देवम फाउंडेशन की ओर से बोलते हुए डॉ मोना कौशिक ने कहा कि भारत और यूरोप में भगवान् श्री कृष्ण और गीता के प्रति भक्ति और रुझान को ध्यान में रखते हुए इस इंटरनेशनल वेबिनार का आयोजन किया। इस अवसर पर चण्डीगढ़ से जुड़ते हुए लेखिका और गीता की ज्ञाता शैलजा कौशल ने कहा कि गीता ‘स्थान और समय’ से बहुत आगे है। कुरूक्षेत्र का धर्मक्षेत्र हमारा मन-मस्तिष्क है और ज्ञान के माध्यम से इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करना ही इस युद्ध का लक्ष्य है। विश्व भर के कृष्ण और गीता भक्तों ने इस वेबिनार में भाग लिया।