8 विद्यार्थियों का धर्म बदलने पर स्कूल के साथ परिवारों का बवाल
24 नवंबर को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने विदिशा के डीएम को इस मामले में चिट्ठी लिखी थी। स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद उन्होंने 31 अक्टूबर को आठ बच्चों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का आरोप लगाया था। हालांकि, स्कूल के प्रिंसिपल ने धर्मांतरण के आरोप का खंडन किया था और इसे फर्जी खबर बताया था। सोमवार को हंगामा होने पर एसपी और कलेक्टर मौके पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं को समझाइश दी। एसपी मोनिका शुक्ला ने बताया कि मामले की जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
राजविरेन्द्र वशीष्ठा, चंडीगढ़/मध्य प्रदेश :
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के एक मिशनरी स्कूल में दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं के तोड़फोड़ करने का मामला सामने आया है। इस मामले के सामने आये ही गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान भी सामने आया है। जी दरअसल उन्होंने आज यानी मंगलवार को कहा कि ‘सरकार को धर्म परिवर्तन की गतिविधियों में शामिल लोगों की जांच करवा रहे है। हालांकि इस मामले में 4 लोग गिरफ्तार हुए है।’
मध्य प्रदेश के विदिशा स्थित एक स्कूल में कथित धर्मांतरण को लेकर हिंदू संगठनों के विरोध प्रदर्शन की खबर है। आरोप है कि सेंट जोसेफ स्कूल में नारेबाजी, तोड़फोड़ और पत्थरबाजी की गई। घटना 6 दिसंबर 2021 (सोमवार) की है जब स्कूल में 12वीं की परीक्षा हो रही थी। आक्रोशित लोगों ने स्कूल मैनेजमेंट पर कार्रवाई की माँग की है। हालाँकि विश्व हिन्दू परिषद ने किसी भी हिंसक घटना से इनकार किया है।
इसी स्कूल ने पहले भी भारत माता की जय बोलने पर 31 छात्रों को सज़ा दी थी और अपने संगठन का मुद्दा बताया था। नामली कस्बे में स्थित सेंट जोसफ कॉन्वेंट स्कूल में पिछले दिनों (शुक्रवार) 9वीं कक्षा के 31 बच्चों को जमीन पर बैठाया गया और उन्हें परीक्षा देने से वंचित कर दिया गया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बच्चों ने एसेंबली में ‘भारत माता की जय’ का घोष किया था, जिससे उन्हें परीक्षा से वंचित किया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिन्दू संगठनों ने स्कूल के अंदर 8 छात्रों के धर्मान्तरण का आरोप लगाया है। इस संबंध में प्रशासन को ज्ञापन भी दिया गया है। पुलिस पूरे मामले की जाँच कर रही है। साथ ही तोड़फोड़ करने वालों पर IPC के तहत केस भी दर्ज किया गया है। पुलिस अधिकारी (SDOP) भारत भूषण शर्मा ने यह जानकारी मीडिया को दी।
स्कूल प्रशासन ने खुद पर लगे सभी आरोपों को नकारा है। स्कूल के प्रिंसिपल ने इसको 2 समुदायों के बीच दूरी पैदा करने की साजिश बताया। इस घटना के लिए उन्होंने कुछ यूट्यूब चैनलों की खबरों को जिम्मेदार ठहराया। कर्मचारियों की सुरक्षा की माँग करते हुए झूठी खबर चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है। स्कूल के मैनेजर ब्रदर एंथोनी ने पुलिस पर पर्याप्त सुरक्षा नहीं देने का आरोप लगाया है। उनके मुताबिक, “सिर्फ 2 पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे। जिन 8 बच्चों के धर्मान्तरण के आरोप पर हंगामा हुआ वे हमारे स्कूल के छात्र नहीं थे।”
विश्व हिन्दू परिषद ने हिंसा को नकारते हुए बताया कि स्कूल के अंदर कलावा तक पहनने से रोका जाता है। VHP कार्यकर्ता नीलेश अग्रवाल के मुताबिक स्कूल में बच्चों को तिलक लगाने से रोका जाता है। दूसरे धर्म के बच्चों से अन्य धर्मों की प्रार्थना करवाई जाती है। धर्मान्तरण के निशाने पर ख़ासतौर से गरीब बच्चों को रखा जाता है। उन्होंने कहा हम सप्ताह भर से इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
याद रहें की 12 जुलाई 2016 में भी एक ईसाई स्कूल ने ऐसा ही किया था। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में एक मिशनरी स्कूल द्वारा छात्रों के भारत माता की जय के नारे लगाने पर पाबंदी लगाने का मामला सामने आया है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, स्कूल प्रशासन के इस फैसले के बाद बच्चों के पैरंट्स के बीच काफी नाराजगी है। उधर स्कूल का कहना है कि मैनेजमेंट के आदेश पर यह रोक लगाई गई है।
अहिरवार समाज संघ ने इस संबंध में 4 दिसंबर को विदिश के डीएम से शिकायत की थी। इसमें कहा गया है कि 8 हिंदू बच्चों का पानी छिड़क कर ईसाई धर्मांतरण कराया गया। स्कूल की आड़ में धर्मांतरण रैकेट चलाने का आरोप लगाया गया है। गौरतलब है कि इस स्कूल के खिलाफ 2018 में फीस नहीं देने पर एक हिंदू छात्र को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए ABVP ने प्रशासन से शिकायत की थी।