ज्योतिष शोध कार्यों में आधुनिक संचार माध्यमों का हो सार्थक उपयोग- रजनीश सूद ज्योतिषाचार्य

गणना पर आधारित इस विज्ञान की मदद से भूत, वर्तमान व भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है। जरूरत इसके नियमों, उप-नियमों, देशकाल की स्थिति को समझने तथा आधुनिक परिवेश में अपने शोध कार्यों को और अधिक सटीक व जनोपयोगी बनाने की है। ज्योतिष शोध कार्यों में आधुनिक संचार माध्यमों का भी सार्थक उपयोग होना चाहिए।

ज्योतिष के माध्यम से हमारे ऋषि-मुनियों, तपस्वियों व बुद्धिजीवियों ने विभिन्न शोध कार्यों से जनसाधारण के जीवन को सुगम बनाने के सतत् प्रयास किए हैं। ज्योतिष भारतीय संस्कृति की सर्वोत्तम धरोहर है। गणना पर आधारित इस विज्ञान की मदद से भूत, वर्तमान व भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है। जरूरत इसके नियमों, उप-नियमों, देश काल की स्थिति को समझने तथा आधुनिक परिवेश में अपने शोध कार्यों को और अधिक सटीक व जनोपयोगी बनाने की है। ज्योतिष शोध कार्यों में आधुनिक संचार माध्यमों का भी सार्थक उपयोग होना चाहिए। इसी सोच से नक्षत्र २७ रिसर्च सेंटर आयजित करवा रहा है राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन रविवार पांच दिसंबर को होटल सनबीम में ; इस ज्योतिष महासम्मेलन में ,राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिषाचार्य जी. डी. वशिष्ठ  ,अनिल वात्स  ,एच .एस रावत , पंडित लेखराज ,पी .पी. एस राणा  ,मदन गुप्ता स्पाटू  , रविंद्र भंडारी , अक्षय  तथा इसके इलावा देश भर से   प्रमुख ज्योतिषी इस सम्मेलन में भाग लेंगे  ।इस सम्मेलन के आयोजक संगठन के सी ई ओ डॉ रजनीश सूद व् चेयरपर्सन डॉ बविता अग्रवाल  है। इस सम्मेलन को करवाने का मुख्य उद्देश्य- ज्योतिष शास्त्र के विद्यार्थियों  को प्रोत्साहित करना है ।क्योंकि वही ज्योतिष का भविष्य है। ज्योतिष भारत की नस नस में है, भारत की संस्कृति है, भारत की धड़कन है ।

रोजगारपरक ज्योतिष से हो रहा है जनकल्याण : बबिता  

 नक्षत्र 27 रिसर्च सेंटर की डॉ बबिता अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान दौर में ज्योतिष जहां स्वरोजगार का साधन बना है, वहीं इसके उपायों से जनकल्याण कार्य भी हो रहे हैं। इनसे जहां समाज में जागृति आती है, वहीं ज्योतिषीय कार्य, उपायों का सामान बेचने वाले लोगों को भी रोजगार के अच्छे अवसर मिल रहे हैं। ऐसे में राष्ट्री स्तर के ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन समाज में एकजुटता, समरसता भाव लाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। 

समस्त संसार एक परिवार की भावना से ही उन्नति संभव

सारिका तिवारी, धर्म डेस्क – चंडीगढ़:

सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज पंचकूला, 29 नवंबर, 2021ः ‘‘परमात्मा यदि हमारा अपना है तो इसका रचा हुआ संसार भी हमारा अपना ही है। यह परमात्मा सबका आधार है। हर एक में और ब्रह्मांड के कण-कण में इसी का वास है। ऐसा भाव जब हृदय में बस जाता है तब किसी अन्य वस्तु अथवा मनुष्य में फिर कोई फर्क नज़र नहीं आता। अतः हम यह कह सकते हैं कि समस्त संसार एक परिवार की भावना जीवन में धारण करने से ही उन्नति सम्भव है।’’

निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने वर्चुअल रूप में आयोजित 74वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन 28 नवंबर, 2021 की शाम को हुए सत्संग समारोह को सम्बोधित करते हुए उक्त विचार व्यक्त किए जिसका आनंद मिशन की वेबसाईट एवं साधना टी.वी.चैनल के माध्यम द्वारा विश्वभर के विश्वभर के निरंकारी श्रद्धालु भक्त घर बैठे ही प्राप्त कर रहे हैं।

सत्गुरु माता जी ने प्रतिपादन किया कि यदि हम आध्यात्मिकता के दृष्टिकोण से देखें तो वास्तविक रूप में सबका आधार यह परमात्मा ही है जिस पर विश्वास भक्ति की बुनियाद है। इसीलिए अपनत्व के भाव को धारण करके हम सब एक दूसरे के साथ सद्भावपूर्ण व्यवहार करें। हर एक के प्रति मन में सदैव प्रेम की ही भावना बनीं रहे, नफ़रत की नहीं। यदि हम किसी के लिए कुछ कर भी रहे हैं तब उसमें सेवा का भाव हो, एहसान का नहीं।

परमात्मा पर विश्वास की बात को और अधिक स्पष्ट करते हुए सत्गुरु माता जी ने कहा कि जब हम इस परम सत्ता को ब्रह्मज्ञान द्वारा जान लेते हैं तो फिर इस पर विश्वास करने से ही हमारी भक्ति सही अर्थों में और सुदृढ़ होती है। उसके उपरान्त फिर जीवन में घटित होने वाले विभिन्न प्रकार के उतार-चढावों के कारण हमारा मन विचलित नहीं होता। यह दृढ़ता हमें सत्संग, सेवा और सुमिरण के माध्यम से प्राप्त होती है।

इसके पूर्व सायं 5.00 बजे से चल रहे सत्संग समारोह में देश-विदेश से भाग ले रहे वक्ता, गीतकार एवं कवियों ने अपने अपने व्याख्यान, गीत एवं कविताओं के माध्यम से समागम के मुख्य विषय ‘विश्वास, भक्ति, आनंद’ पर रोशनी डाली।

इन्दिरा उद्यान जी भारत को अपना दूसरा घर मानते हैं

धर्म डेस्क, पंचकूला :

पद्मश्री अगुस इंदिरा उद्यान जी को अभी महामहिम राष्ट्रपति जी से पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है। आज यहां सुरेंद्र राठी जी के निवास पर पहुंचे और उन्होंने बताया इंदिरा उद्यान जी गांधीजी पर पीएचडी की है। और इन्होंने समाज सेवा के काफी काम किए हैं इन सभी सोशल कार्य को देखते हुए हिंदुस्तान के राष्ट्रपति ने इनको पदम श्री अवार्ड से सम्मानित किया है इंदिरा उद्यान जी के इंडोनेशिया के बाली में चार आश्रम हैं जहां पर यह बच्चों को योग और संस्कृति शिक्षा देते हैं इनका कहना है कि भारत मेरा दूसरा घर है। और मैं हर साल हिंदुस्तान घूमने आता हूं और मुझे यहां ठीक कला और संस्कृति बहुत अच्छी लगती है यहां के लोग मुझे बहुत प्यार करते हैं इंदिरा उद्यान जी का कहना है कि 2001 से इंडिया इंडोनेशिया संगम प्रोजेक्ट के तहत एक दूसरे देश की कला और संस्कृति को समझने के लिए कार्य कर रहे हैं उन्होंने आर्ट, योगा में कार्य किया है। इंदिरा उद्यान जी कॉलेज के दिनों से ही गांधी जी के विचारों से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने गांधीजी के ऊपर काफी कार्य किया और उनके विचारों को देश-विदेश में पहुंचाया।

Devotees Attribute to Guru Nanak’s Teachings in Letter and Spirit

‘Purnoor’ Koral, Chandigarh:

There is only one Gurdwara in Chandigarh where langar is not served but still there is uninterrupted service of langar. One has to wait for two months to offer langar service at Gurdwara Nanaksar located in Sector-28.

There are no Golaks. There is no need to ask, whoever has to do seva should come and do seva according to devotion.

Baba Gurdev Singh says that sangats are waiting for their turn to serve. In the Gurdwara, langar is served at all three times. People bring langar from their homes. If one wants to set up a langar, he has to wait for at least two months. Some serve in the morning, some in the afternoon and some at night. It is continuous recipe of Akhand Path all the time. Kirtan is performed every day from 7 am to 9 pm and from 5 pm to 9 pm. The Diwan prostrates on the day of the new moon every month.

All sorts of arrangements were made for the needy even during the Corona period.

Gurdwara Nanaksar was built on the day of Diwali. Baba Gurdev Singh, head of Nanaksar Gurdwara in Chandigarh, says that it has been more than 50 years since the construction of this Gurdwara. Spread over an area of ​​2.5 acres, the Gurdwara also has a library and offers free dental treatment.

The annual fair is held in March every year. This annual festival lasts for seven days. It attracts a large number of people from all over the world. During this time a huge bloody camp was set up.

Although many arrangements have been made as a precautionary measure due to Corona, the service continues.

What is left after the sangat’s langar is sent to PGI in addition to the hospitals in Sector-16 and 32, so that people can also take prasad there. This has been going on for years.

The headquarters is near Ludhiana

It is headquartered at Nanaksar Clare, near Ludhiana. Amritpan is done twice a year. Gurdwara Nanaksar has 30 to 35 persons including ragi pathis and sevadars. Apart from Chandigarh, Haryana, Dehradun and abroad, there are more than 100 Nanaksar shrines in USA, Canada, Australia, New Zealand and England.