राज्य सभा के 12 सांसद निलंबित
ये वही सांसद हैं जिन्होंने पिछले सत्र में किसान आंदोलन एवं अन्य कई मुद्दों के बहाने संसद के उच्च सदन में खूब हंगाम मचाया था। उस दौरान इन सांसदों ने उप-सभापति हरिवंश पर कागज फेंका था और सदन के कर्मचारियों के सामने रखी टेबल पर चढ़ गए थे। इन सांसदों पर कार्रवाई की मांग की गई थी जिस पर राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को फैसला लेना था। आज जब संसद सत्र फिर से शुरू हुआ तो सभापति एम. वेंकैया नायडू ने अपना फैसला सुना दिया। ध्यान रहे कि राज्यसभा में इन विपक्षी सांसदों का बेहद अमर्यादित व्यवहार का जिक्र करते हुए सभापति भावुक हो गए थे। इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि सभापति इस संबंध में कोई कड़ा और बड़ा फैसला लेंगे।
सारिका तिवारी, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :
राज्यसभा ने अपने शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और तृणमूल सांसद डोला सेन सहित अपने 12 सदस्यों को मौजूदा सत्र के बाकी बचे दिनों के लिए निलंबित कर दिया है। इनके खिलाफ सदन के मानसून सत्र में अनुशासनहीनता के आरोप में यह कार्रवाई की गई है।
प्रियंका चतुर्वेदी और डोला सेन के अलावा सोमवार को निलंबित किए गए सांसदों में एलाराम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, भाकपा के बिनॉय विश्वम, टीएमसी के शांता छेत्री और शिवसेना के अनिल देसाई शामिल हैं।
राज्यसभा से निलंबन को लेकर सांसद प्रियंका चतुर्वेदी काफी नाराज दिखीं और उन्होंने कहा कि सदन में उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। शिवसेना सांसद ने कहा, “जिला कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, एक आरोपी को वहां भी सुना जाता है, उनके लिए वकील भी उपलब्ध कराए जाते हैं, कभी-कभी सरकारी अधिकारियों को उनका पक्ष लेने के लिए भेजा जाता है। यहां हमारा पक्ष नहीं लिया गया।
कांग्रेस की राज्यसभा सांसद छाया वर्मा ने भी निलंबन को अनुचित बताया है। उन्होंने कहा, “यह निलंबन ना केवल अनुचित बल्कि अन्यायपूर्ण है। हंगामा करने वालों में दूसरे दलों के अन्य सदस्य भी शामिल थे, लेकिन अध्यक्ष ने मुझे निलंबित कर दिया। पीएम मोदी जैसा चाहते हैं वैसा ही कर रहे हैं क्योंकि उनके पास भारी बहुमत है।
राज्यसभा द्वारा जारी निलंबन सूचना में कहा गया है कि सांसदों ने 11 अगस्त को मानसून सत्र के आखिरी दिन अपने हिंसक व्यवहार और सुरक्षाकर्मियों पर ‘जानबूझकर हमले’ कर अभूतपूर्व कदाचार कर सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।