Sunday, September 14


पंचकूला 25 नवंबर- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री  चन्द्र मोहन ने आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार पिछड़े वर्गों के हितों से खिलवाड़ और उनकी आशाओं और आकांक्षाओं पर कुठाराघात करने पर आमादा है इस लिए  मण्डल आयोग की रिपोर्ट में लागू आरक्षण के ‌प्रावधान का उल्लघंन करके भारतीय संविधान की ‌परम्पराओं का उल्लघंन कर रही है‌ और पिछड़े वर्गों के बच्चों के भविष्य को ग्रहण लगाने पर आमादा है।
     चन्द्र मोहन ने, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से सवाल किया है कि जब केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार पिछड़े वर्गों के लिए निर्धारित परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपए प्रति वर्ष है तो मुख्यमंत्री को इससे क्या परेशानी है। वह भारत के संविधान से ऊपर नहीं हो सकते हैं। हरियाणा सरकार प्रदेश में पिछड़े वर्गो के लिए नौकरियों  और दाखिले में क्रीमीलेयर की आय की सीमा  को  8 लाख रुपए से कम करके 6 लाख रुपए करने  के बारे में नोटिफिकेशन जारी कर चुकी हैं। इस नोटिफिकेशन के माध्यम से उनके अधिकारों पर डाका डाला गया है। इस फैसले से लाखों  युवाओं के सपने धराशाही हो जायेंगे और उनके  भविष्य से खिलवाड़  और अन्याय  तथा सरकार की तानाशाही का जवाब पिछड़े वर्गों के लोग आने वाले विधानसभा चुनाव में देंगे।
      उन्होंने याद दिलाया कि पिछड़े वर्गों के हितों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल ने जो कदम उठाए उसका कोई भी सानी नहीं है। पिछड़े वर्गों के लिए प्रदेश में मण्डल आयोग की रिपोर्ट  के आधार पर 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का श्रेय चौधरी भजनलाल को जाता है और इसके साथ ही पिछड़े वर्गों को नौकरियों और दाखिले में पूरा आरक्षण दिया गया। हरियाणा में चौधरी भजनलाल के शासनकाल से पहले पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 5 प्रतिशत था उन्होंने इसे बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया था और फिर मण्डल आयोग की रिपोर्ट लागू करके इसे 27 प्रतिशत किया गया।
      उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में भाजपा-जजपा की सरकार प्रदेश के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करके समाज के आपसी ताने-बाने को खण्डित करके आपस में वैमनस्य की भावना पैदा करना चाहती है, लेकिन प्रदेश की जनता बड़ी समझदार है और इस सरकार के  इरादों और चालबाजी को भी भली-भांति समझ चुकी है और जनता इनके सरकार के नापाक इरादों को कभी भी सफल नहीं होने देगी।
     चन्द्र मोहन ने याद दिलाया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय, क्रीमीलेयर के मामले में हरियाणा सरकार को पहले भी फटकार लगा चुका है और न्यायालय द्वारा  हरियाणा सरकार द्वारा 17 अगस्त 2016 और 28 अगस्त 2018 को जारी किए गए नोटिफिकेशन को 26 अगस्त 2021 को  रद्द किया जा चुका है। इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि एक और केन्द्र सरकार पिछड़े वर्गों के लिए क्रिमीलेयर के अन्तर्गत आने वाले  पिछड़े वर्गों की वार्षिक आय 8 लाख रुपए प्रति वर्ष से बढ़ाकर 10 या 12 लाख प्रति वर्ष करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रही है वहीं दूसरी ओर खट्टर सरकार नौकरियों और दाखिले में पिछड़े वर्गों के युवाओं का रास्ता रोक कर तानाशाही का परिचय दे रही है। इस अक्षम्य अपराध के लिए देश की जनता उन्हें कभी भी माफ़ नहीं करेगी।
      उन्होंने मांग कि है कि इन वर्गों के साथ कोई अन्याय ना हो इसको रोकने के क्रीमीलेयर के अन्तर्गत आने वाली आय को 8 लाख रुपए प्रति वर्ष ही रखा जाए अन्यथा पिछड़े वर्गों के लोग आक्रोश से ग्रसित हो कर सड़कों पर उतरने के लिए विवश और लाचार होगें और इसकी सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।