Saturday, January 11

महबूबा मुफ़्ती के लिए भारत सबका नहीं बल्कि सिर्फ ‘गोडसे’ का देश दिख पड़ता है। महबूबा ने कहा, ”जम्मू कश्मीर के लोग गोडसे के भारत के साथ नहीं रह सकते। हम महात्मा गांधी का भारत चाहते हैं, भारतीय संविधान से हमें मिली हमारी पहचान और सम्मान वापस चाहते हैं तथा मैं आश्वस्त हूं कि उन्हें ब्याज के साथ इसे लौटाना पड़ेगा। ”उन्होंने कहा इतहिास गवाह है कि किसी भी शक्तिशाली राष्ट्र ने बंदूक के दम पर लोगों पर शासन नहीं किया है। उन्होंने कहा, ”आप कश्मीर को लाठी या बंदूक के दम पर नहीं रख सकते…महाशक्ति अमेरिका अपनी ताकत के बल पर अफगानिस्तान में शासन करने में नाकाम रहा और उसे वहां से जाना पड़ा।”

सारीका तिवारी, चंडीगढ़/श्रीनगर:

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के बोल बुधवार को फिर बिगड़ गए। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि अगर कश्मीर को अपने साथ जोड़े रखना है तो अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल कर कश्मीर मसले का हल करना होगा। आज जम्मू प्रांत के नील, बनिहाल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता अपनी पहचान आैर सम्मान की वापसी सूद समेत वापसी चाहती है।

उन्होंने कहा कि हम महात्मा गाँधी का भारत चाहते हैं, इसीलिए, जम्मू कश्मीर के लोग ‘गोडसे के हिंदुस्तान’ में नहीं रह सकते। महबूबा मुफ़्ती ने लोगों को एकजुट रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा संविधान ने दिया था, जिसके समर्थन में संघर्ष है। उन्होंने ये भी कहा कि लोग अपनी ‘पहचान एवं सम्मान’ की सुरक्षा के लिए अपनी आवाज़ मुखर करें। बनिहाल के नील गाँव में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।

महबूबा मुफ़्ती ने इस दौरान कहा, “हमारी किस्मत का फैसला महात्मा गाँधी के भारत के साथ किया था, जिसने हमें अनुच्छेद 370 दिया, हमारा अपना संविधान और झंडा दिया। हमलोग गोडसे के साथ नहीं रह सकते। अगर वो हमारी हर चीज छीन लेंगे तो हम भी अपना फैसला वापस ले लेंगे। उन्हें सोचना होगा कि अगर वो अपने साथ जम्मू कश्मीर को रखना चाहते हैं तो उन्हें अनुच्छेद-370 को वापस बहाल करना होगा और कश्मीर मुद्दे का समाधान करना होगा।”

उन्होंने अफगानिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी को लाठी या बंदूक के बल पर ज्यादा दिनों तक नहीं रखा जा सकता है। बकौल महबूब मुफ्ती, अमेरिका को महाशक्ति होने के बावजूद अफगानिस्तान से निकल कर जाना पड़ा और वहाँ ताकत के बल पर शासन करने की उसकी कोशिश नाकाम हो गई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से वार्ता की बात करने पर उन्हें देशद्रोही करार दिया जाता है, जबकि वही लोग तालिबान से बात कर रहे यहीं अरुणाचल प्रदेश में ‘गाँव बसाने वाले’ चीन से बात कर रहे।

इससे पहले महबूबा मुफ़्ती ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “कृषि कानूनों को निरस्त करने का निर्णय और माफी एक स्वागत योग्य कदम है, भले ही यह चुनावी मजबूरियों और चुनावों में हार के डर से उपजा हो। विडंबना यह है कि जहाँ भाजपा को वोट के लिए शेष भारत में लोगों को खुश करने की जरूरत है, वहीं कश्मीरियों को दंडित और अपमानित करना उसके प्रमुख वोट बैंक को संतुष्ट करता है