केजरीवाल के राम लला के दर्शनों पर कोहराम क्यों?

“बाबरी के समर्थक, श्री राम मंदिर के विरोधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल अब चुनावों के चलते भगवान श्री रामलला के दर्शन करने अयोध्या जी जाने पर मजबूर हैं। केजरीवाल जी, सच में आप दोहरे चरित्र के धनी हैं।” कई लोगों ने दीवाली पर दिल्ली में पटाखों को प्रतिबंधित किए जाने के उनके फैसले की याद दिलाई। लोगों ने याद दिलाया कि यही AAP अयोध्या में राम मंदिर की जगह स्कूल और अस्पताल की बातें कर रही थी।

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, चंडीगढ़:

दिल्ली के मुख्यमंत्री के राम लला के दर्शन करने पर इतना कोहराम क्यों मचा है? क्या अरविंद केजरीवाल हिन्दू नहीं हैं? क्या उनके मन में हिन्दू धर्म के प्रति आस्था नहीं है? अंतिम प्रश्न का उत्तर तो स्पष्ट है ‘नहीं’। यदि उनके मन में प्रभू राम के प्रति आस्था होती तो वह अपनी नानी कि बात का उल्लेख न कर नानी को बताते कि प्रभु राम का अपने पैतृक निवास पर आने मार्ग प्रशस्त हुआ है। वह न तो अपनी नानी से मखौल करते न ही बाबरी विध्वंस पर राम मंदिर को लेकर तंज़ कसते।

अब दूसरा सवाल, बिना शक केजरीवाल हिन्दू हैं। उनके हर पहचान पत्र या फिर दूसरे सर्टिफिकटेस पर धर्म के स्थान पर हिन्दू ही लिखा है। ‘लिखा है’ असल में वह घोर धर्म निरपेक्ष हैं। निरपेक्ष : भाव० निरपेक्षी जिसे किसी चीज की अपेक्षा न हो। जिसे किसी की चिंता या परवाह न हो। जो किसी के अवलंब, आधार या आश्रय पर न हो। इनके धर्म पर प्र्शंचिन्ह नहीं लगाए जा सकते। बतौर मुख्यमंत्री इनके राज्य में रोहङियान मुसलमान सरकारी ज़मीन पर कालोनी बसा कर रहते हैं जिसे सरकारी अनुदान भी मिलता है। रोहङियान कौन ? अरे भाई रोहांगीयन मतलब बर्मा से अतिवाद के कारण दौड़ाए गए जिहाड़ी मुसलमान। वहीं पाकिस्तान से आए शरणार्थी हिंदुओं कि दिल्ली में रिहायश कि बात करें तो उनके पास बिजली तक कि सुविधा नहीं है। पानी व शोच कि तो क्या ही कहें। कारण बस इतना है कि हिन्दू शरणार्थी भाजपा के धन्यवादी हैं और रोहङियान आआपा के समर्थक। पर ढूँढने जाओ तो रोहङियान हैं कहाँ? अब सब भारतीय हैं। जय हो धर्म निरपेक्षता की।

अब कोहराम की बात करें, तो श्री राम मंदिर के खिलाफ सबसे मुखर आवाज़ मुसलमानों के बाद यदि किसी की थी तो वह अरविंद केजरीवाल की। इनहोने तो अपनी नानी के ब्यान को इतना भुनाया की मानो दिल्ली में ही राम मंदिर की लंका लग जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय से मंजूरी के बाद इनहोने बड़े ज़ोर शोर से वहाँ मंदिर की अपेक्षा अस्पताल बनवाने की मांग रखी। यह बात दीगर है कियाह इन्हे भी मालूम था की वहाँ वहाँ मंदिर का ही पुनर्निर्माण होना था। बस वही धर्मनिरपेक्ष (मुस्लिम तुष्टिकरण) सीधी बात नो बकवास। हर समय हिन्दू आस्था को ठेस पहुंचाते इन धर्म निरपेक्ष लोगों को राजनैतिक लाभ के लिए जब मंदिर मंदिर जाते और वहाँ के पंडितों द्वारा पूजा अर्चना अथवा आरती कारवाई जाती है तो कोहराम मचता है।