पुत्र वियोग में दशरथ ने त्यागे प्राण, भाई से मिलने वन में गए भरत

सिरसा : (सतीश बंसल )

श्री रामा क्लब चेरिटेबल ट्रस्ट के मंच पर बीती रात भगवान राम का वन में जाना, उनके जाने के बाद दशरथ का पुत्रों के वियोग में दम तोड़ना, ननिहाल गए भरत व शत्रुध्न को स्वप्न में अनहोनी की आशंका होना होने के मार्मिक दृश्य को बेहतर तरीके से मंचित किया गया। लाइट एंड साउंड इफेक्ट्स का इस्तेमाल करते हुए इस दृश्य को जीवंत बना दिया। भरत के अयोध्या वापस लौटने पर पिता की मृत्यु और राम लक्ष्मण के वन गमन की जानकारी मिलने का दृश्य मंचित किया गया। भरत द्वारा अपनी माता कैकयी को खरी खरी सुनाना और कहना कि उसके लिए राजतिलक व राम के लिए वन जाने का वर मांगने से तो अच्छा होता कि वह बचपन में ही उसका यानि भरत का गला घोंट देती। इसके बाद वह राम को मनाने वन में जाते हैं लेकिन राम उन्हें पिता के वचन की पालना का कहकर उसे अपनी चरण पादुका देकर लौटा देते हैं।

भगवान राम के वन गमन प्रसंग को भी शानदार तरीके से मंचित किया गया। जब राम, सीता व लक्ष्मण दर्शकों के बीच में से गुजरे तो दर्शकों ने श्रद्धापूर्वक उनके चरणों को स्पर्श किया। उधर राम के वन जाने के बाद राजा दशरथ को श्रवण कुमार व उसके अंधे माता पिता द्वारा दिया गया श्राप याद आता है। उसे श्रवण व उसके माता पिता दिखाई देते हैं। इस दृश्य को परछाइयों व साउंड इफेक्ट के माध्यम से मंचित किया गया। जिसके बाद पुत्र वियोग में तड़पते हुए राजा दशरथ प्राण त्याग देते हैं। उधर ननिहाल में गए भरत शत्रुध्न को भी स्वप्न में अयोध्या में अनहोनी होने की आशंका दिखाई देती है, इस दृश्य को भी स्पेशल इफेक्ट से दिखाया गया। अयोध्या लौटने के बाद भरत को सारे घटनाक्रम की जानकारी मिलती है तो वे अपनी मां कैकयी को खूब खरी खरी सुनाते हैं। इसके बाद सभी माताओं को लेकर वन में जाते हैं और भगवान राम से वापस लौटने का आग्रह करते हैं परंतु राम पिता के वचन की पालना करते हुए लौटने से इंकार कर देते हैं। राम उन्हें अपनी चरण पादुकाएं देते हैं, जिन्हें भरत श्रद्धा पूर्वक अपने शीश पर धारण करते हैं और कहते हैं कि जब तक राम अयोध्या वापस नहीं आते तब तक ये चरण पादुकाएं अयोध्या के राज सिहासन पर विराजेंगी ओर वे स्वयं तपस्वी वेश में रहेंगे। इस दृश्य के दाैरान कथा व्यास स्वामी धर्मवीर पाठक ने रामचरित मानस के श्लोक – प्रभू करी कृपा पांवरी दीन्ही, सादर भरत शीश धर लिन्हीं के माध्यम से और मार्मिक बना दिया। रामलीला मंचन के बीच बीच में कथा व्यास के द्वारा गाए गए भजन व श्लोक वातावरण को भक्तिमय बना देते हैं।

दशरथ के किरदार में ओम प्रकाश, कैकयी के रोल में सोनाली रावत, कौशल्या की भूमिका मानसी रावत, भरत के रोल में रवि भारती ने निभाई दोनों ही बहनें हैं। मंथरा का रोल मनप्रीत कौर ने निभाया। इस अवसर पर मुख्य संरक्षक श्याम बजाज, प्रधान अश्वनी बाठला, महासचिव गुलशन गाबा, वरिष्ठ उपप्रधान गुलशन वधवा, अनिल बांगा, सचिव मिंटू कालड़ा, सुरेश कालड़ा, बिशंभर चुघ, ओपी लूना, संत लाल गुंबर, ज्ञान मेहता, नरेश छाबड़ा, सुरेश अनेजा, नरेश खुंगर, भूषण वसूजा, मंगत कुमार, शाम लाल, राकेश मदान, गुलशन वधवा, दिनेश वधवा, गोबिंद राम ग्रोवर, टोनी बब्बर, मनीष ऐलनावादी, बिट्टू अनेजा मौजूद रहे।