फ्रांस ने इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ तेज़ की मुहिम, 6 मस्जिदों में लगाया ताला

फ्रांस ने देश में बढ़ रहे इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करने के लिए एक नए कानून को मंजूरी दी है। इस कानून के तहत अब पुलिस को अधिकार होगा कि वह फ्रांस के मस्जिदों और मदरसों को जब चाहे तब बंद कर सकती है। इसके अलावा मुस्लिमों के एक से ज्यादा विवाह या फिर जबरन विवाह करने को अपराध घोषित किया जाएगा। इस कानून को फ्रांस की संसद के निचले सदन ने धर्मनिरपेक्ष राज्य में धार्मिक कट्टरवाद को खत्म करने के लिए भारी बहुमत से मंजूरी दी है।

साभार नेट :

फ्रांस सरकार ने शिक्षक की हत्या के बाद करीब 120 लोगों के घरों की तलाशी ली। उस संगठन को खत्‍म कर दिया जिस पर इस्‍लामिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा, सरकार अब आतंकियों को मिलने वाली वित्‍तीय सहायता के बारे में जानकारी हासिल कर ली है। फ्रांस साल 2015 से आतंकवाद को झेल रहा है. हालांकि विदेशी मामलों के विश्‍लेषकों की मानें तो इस बार जो भी हो रहा है, वह पहले कभी नहीं हुआ।

वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध जिस एकजुटता का दुनिया भर से आह्वान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार अंतराष्ट्रीय मंचों से किया है, उस पर सकारात्मक रूप से तमाम देशों के साथ फ्रांस ने भी अपने प्रभावी कदम बढ़ा दिए हैं । फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्री (गृहमंत्री) के अनुसार अब फ्रांस सीधे आतंकवाद की जड़ों पर वार करेगा।

फ्रांसीसी मंत्री ने ये बयान एक स्थानीय अखबार ले फ़िगारो को दिए हैं, जिसने दुनिया भर में इबादतगाहों को ले कर सतर्कता और सन्देह की नई बहस छेड़ दी है। फ्रांसीसी सरकार की आंतरिक जाँच में मज़हबी चरमपंथ को बढ़ावा देने में वहाँ के इबादतगाहों की प्रमुख भूमिका सामने आ रही है।

आंतरिक मामलों के मंत्री गेराल्ड डार्मैनिन (Gerald Darmanin) के अनुसार अब तक 89 इबादतगाहों में से लगभग एक तिहाई की जाँच की जा चुकी है। इन 89 इबादतगाहों में चरमपंथ को बढ़ावा देने की शिकायत मिली थी। फ्रांस सरकार की खुफिया जाँच रिपोर्ट में इन सभी को कट्टरपंथ का केंद्र मान कर चिन्हित किया गया था, जिन पर जल्द ही कड़ी कार्यवाही संभावित है।

इस मामले में तत्काल ही 6 इबादतगाहों (मस्जिदों) को बंद करने के शासकीय आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसी के साथ फ्रांस की सुरक्षा व खुफिया एजेंसी इन चरमपंथी केंद्रों से जुड़े अन्य प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कट्टरपंथी तत्वों की तलाश कर रही हैं।

कभी वामपंथी शासकों के प्रभाव में लंबे समय तक शासित रहे फ्रांस ने ईराक-ISIS युद्ध के दौरान तमाम सीरियाई व इराकियों को मानवता के आधार पर शरण दी थी परंतु उसके बाद संसार के सबसे सुंदर व पर्यटन योग्य देशों में शामिल रहे फ्रांस में आतंकी हमलों की अंतहीन श्रृंखला शुरू हो गई ।

इस पूरे मामले में उच्चस्तरीय जाँच कर रहीं फ्रांसीसी जाँच एजेंसियों ने इस्लामिक प्रकाशकों Nawa और LDNA नाम से कुख्यात ब्लैक अफ्रीकन डिफेंस लीग पर भी कठोर कार्रवाई करने के लिए कहा है। यहाँ यह ध्यान रखने योग्य है कि ब्लैक अफ्रीकन डिफेंस लीग ने जून 2020 में फ्रांस की राजधानी पेरिस की सड़कों पर उतर कर अमेरिकी दूतावास के आगे सरकार व पुलिस विरोधी रैली की थी, जिसमें उसने सैकड़ो की संख्या में भीड़ जुटा कर शक्ति प्रदर्शन किया था ।

ब्लैक अफ्रीकन डिफेंस लीग से ही संबन्धित संस्था ब्लैक वीमेन डिफेंस लीग है, जिसने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप शासन के अंतिम समय में हुए नस्लीय दंगो में पूरे संसार में अमेरिका की छवि गिराने और आखिरकार ट्रम्प की भी हार में एक अहम रोल अदा किया था।

फ्रांसीसी मंत्री ने जिस दूसरे संदिग्ध समूह Nawa को उल्लेखित किया, वो फ्रांस में यहूदियों के प्रति घृणा का भाव फैलाने, उनको देश से निकालने की मुहिम के साथ समलैंगिक लोगों को पत्थर से मार-मार कर जान से मार डालने को बढ़ावा देने का समर्थन करता है। कुल मिला कर दूसरे शब्दों में ये भी कहा जा सकता है कि Nawa वहाँ की सरकार को अस्थिर करने और वहाँ के मूल्यों को समाप्त करने की दिशा में कार्य कर रहा है। इस समूह का मुख्य प्रभाव फ्रांस के दक्षिणी क्षेत्र में अधिक है, जो फिलहाल पूर्ण रूप से शांत नहीं है।

इस समूहों के साथ फ्रांसीसी मंत्री ने आने वाले एक वर्ष में 10 अन्य चरमपंथी व विघटनवादी समूहों पर भी कार्रवाई की बात कही है, जो फ्रांस विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं या रहे हैं। आपको बता दें कि राष्ट्रहित में उठे किसी भी कठोर कदम को इस्लामोफोबिया बताने वालों को गत सप्ताह झटका देते हुए फ्रांस की सर्वोच्च प्रशासनिक अदालत, काउंसिल ऑफ स्टेट ने मज़हबी चरमपंथ के विरुद्ध फ्रांस की सरकार के एक्शन को स्वीकृति प्रदान कर दी थी।

यह कार्रवाई अक्टूबर 2020 में एक शिक्षक सैमुअल पेटी की निर्मम हत्या के बाद शुरू की गई थी, जिन्हें कक्षा के दौरान चार्ली हेब्दो पत्रिका द्वारा प्रकाशित पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने का बहाना बना कर मार डाला गया था ।

फ्रांस की बहुसंख्यक जनता भी सरकार के कदम के साथ खड़ी होती दिखाई दे रही है। फ्रांस का बड़ा वर्ग शरणार्थी के नाम पर आतंकी स्वरूप में आ चुके घुसपैठियों को देश से बाहर खदेड़ने की भी मुहिम चला रहा है। इसी अभियान के तहत सोशल मीडिया पर No More Refugees कैम्पेन भी चलाया जा रहा है।