संयम है जीवन है’ शासनश्री साध्वी मंजुप्रभा

सतीश बंसल, सिरसा:

अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का आज तीसरा दिन ‘अणुव्रत प्रेरणा दिवस’ के रूप में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण की विदुषी सुशिष्या शासनश्री साध्वी मंजुप्रभा जी ठाणा-4 के पावन सान्निध्य में व अणुव्रत समिति के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में मनाया गया। शासनश्री साध्वी मंजुप्रभा ने अणुव्रत की प्रेरणा देते हुए कहा – अणुव्रत जाति, धर्म, भाषा, प्रांत आदि भेदभावों से ऊपर उठकर इन्सान को आत्मसंयम की ओर प्रेरित करता है। अणुव्रत आत्मानुशासन, प्रामाणिकता, अहिंसा, नैतिकता, सद्भावना व नशामुक्ति का संदेश देता है। अणुव्रत का प्रमुख आधार करूणा, संवेदनशीलता, सहिष्णुता, सहअस्तित्व व मानवीय एकता है। जिस व्यक्ति में करूणा और संवेदनशीलता होगी, उसके लिए दूसरों के दु:खों का निवारण हो सकता है। उसके सामने सदा ‘सर्वेभवन्तु सुखिन:-सर्वे भवन्तु निरामया-सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग भवेत्’ का लक्ष्य रहेगा। उन्होंने समाज को अणुव्रत के 11 नियमों का पालन सजगता से करने को कहा। साध्वी जयन्तप्रभा जी ने अणुव्रत के बारे में बताया कि यह अणुव्रत आंदोलन शैतान को इन्सान, मानव को महामानव, हिट को सुपरहिट बनाने का नैतिक अभियान है और यह व्यक्ति, समाज व राष्ट्र के चारित्रिक उत्थान के लिए प्रेरित करता है। कार्यक्रम में सिरियारी संस्थान के ट्रस्टी व हरियाणा अणुव्रत प्रभारी मक्खन लाल गोयल ने अणुव्रत आचार संहिता का वाचन किया व इसे आचरण करने को कहा। समाज के श्रद्धानिष्ठ श्रावक हनुमानमल गुजरानी, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष रविन्द्र गोयल एडवोकेट ने अणुव्रत पर अपने सुविचार रखे। महिला मण्डल की अध्यक्षा सुमन बी गुजरानी व संगीता गुजरानी ने अणुव्रत गीत की प्रस्तुति देकर मंगलाचरण किया। ज्ञानशाला की बच्ची मन्नत जैन ने अणुव्रत कविता पेश की। कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन करते हुए अणुव्रत समिति के निवर्तमान अध्यक्ष चम्पा लाल जैन ने अणुव्रत प्रेरणादायक मुक्तक भी पेश किए। इस अवसर पर शासनसेवी पदम जैन और समाज के सभी श्रावकगण व श्राविकाएं  व समिति के सदस्यगण उपस्थित थे।