कॉंग्रेस के पहले दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी 100 दिनों के लिए किसकी कुर्सी संभालेंगे ?

आजादी के बाद से राज्य पर शासन करने वाले 15 मुख्यमंत्रियों में से कोई भी दलित समाज से नहीं हुआ है। 1966 में राज्य के बंटवारे से पहले पंजाब के तीन मुख्यमंत्री हिंदू मूल के थे। उसके बाद से लगभग सभी मुख्यमंत्री (ज्ञानी जेल सिंह को छोड़कर) जट सिख समुदाय से हुए हैं। जो राज्य की आबादी का 19 फीसदी ही है. 1972 से 1977 तक राज्य के सीएम रहे ज्ञानी जैल सिंह ओबीसी समुदाय के रामगढ़िया समूह से ताल्लुक रखते थे।

चरणजीत सिंह चन्नी आज पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बने। इंका कार्यकाल आने वाले 100 दिनों का होगा।

चंडीगढ़:

पंजाब का सियासी तूफान अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा। चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही सुनील जहद के एक ट्वीट ने हलचल मचा दी है जिसमें जकड़ ने पंजाब मामलों के कांग्रेस प्रभारी को शाब्दिक लताड़ लगाई है। ट्वीट के अनुसार रावत ने म्ख्यमंत्री शपथ से पहले ही मानों च्नावोन की घोषणा कर दी है और मुख्यमंत्री के इतर सिद्धू का महिमा मंडन किया है, जो कि न केवल अंचित है अपितु मुख्यमंत्री कि गरिमा को घटाने वाला भी है।

खूब बात यह है की चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे केवल सिद्धू -कैप्टन की आपसी कलह है।

कॉंग्रेस पार्टी दावा कर रही है कि उन्होने पंजाब को पहला दलित मुख्यमंत्री दिया है। यह बात अलग है कि यह पद मात्र 100 दिनों के लिए ही है। कॉंग्रेस इसे आगामी चुनावों में शियाद/बसपा, आआपा और भाजपा पर अपनी विजय बता रहे हैं। लेकिन वह इन तीनों दलों कि तरह यह बताने में असमर्थ रहे हैं कि चन्नी ह आगामी चुनावों में पार्टी का चेहरा होंगे। यह पूछने पर कि चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। यहाँ पर कॉंग्रेस मौन हैं।

शपथा समारोह में राहुल गांधी के आने की बात काही जा रही थी। 20 मिनट बाद भी राहुल गांधी की अनुपस्थिति में ही समारोह आरंभ हुआ। और शपथ ग्रहण पूरा होने त राहुल गांधी नहीं पहुंचे थे। बाद में सरकारी वक्तव्य में देरी का कारण महिंद्रा के बदले सोनी के नाम की कवायद को बताया गया। जो भी हो जब राहुल गांधी पहुंचे तब तक नए मुख्य मंत्री अपने दोनों उपमुख्य मंत्रियों के साथ सभागार से बाहर आ चुके थे। राहुल चरते प्लेन से आने के पश्चात भी देर से आए।

आज के इस शपथ समारोह से कैप्टन अमरीनद्र सिंह ने दूरी बनाए राखी। सोनिया गांधी द्वारा कैप्टन का इस्तीफा मांगा जाना कैप्टन को स्पष्ट संकेत था कि अब काँग्रेस में कैप्टन मान्य नहीं हैं। कैप्टन ने भी विधाया दल कि बैठक का बहिष्कार किया। महामहिम गवर्नर को त्यागपत्र सौंपने ए बाद कैप्टन ने पत्रकारों ओ संबोधित कराते हुए आहा था कि वह कॉंग्रेस पार्टी के शीर्ष परिवार से आहत हैं। अत: न्होने कॉंग्रेस पार्टी कि अंदरूनी कलह को विराम देने की कोशिश की।

कैप्टन के त्यागपत्र से सिद्धू का कद पार्टी के भीतर बढ़ गया। कल त श्जिंदर सिंह का नाम म्ख्यमंत्री के तौर पर सामने आ रहा था। सुख्जिंदर सिंह सिद्धू समर्थक उन 40 विधायकों में से थे जिनहोने कैप्टन के खिलाफ अविश्वास जताया था, और उन्हे कल तक उन्हे सिद्धू और शीर्ष परिवार द्वारा मुख्यमंत्री पद की कुर्सी बतौर इनाम दी जा रही थी। लेकिन कल ही उन्होने पुन: कैप्टन में आस्था जाता दी और न्हे अपना राजनाइत्क गुरु तक कह डाला। नतीजा कल ही मुख्यमंत्री के तौर पर चरणजीत चन्नी का नाम आगे ला दिया गया। दलील यह दी गाय की चन्नी दलित हैं।

पंजाब कॉंग्रेस में सिद्धू के बढ़ते कद के कारण ब्रह्म महिंद्रा कैप्टन के बेहद करीबी माने जाने वाले नेता को शपथ समारोह से एन पहले ओपी सोनी के साथ बादल दिया गया। यह भी आलाकमान द्वारा अमरेन्द्र सिंह को दिया गया दूसरा झटका है।

अब चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री के साथ ओपी सोनी और सुख्जिंदर सिंह ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ली है। पंजाब में अब सिद्धू समर्थकों की बल्ले बल्ले है।