किसान अपनी पीड़ा किसको सुनाने के लिए जाएं, गूंगी-बहरी सरकार को किसानों की पीड़ा और वेदना को समझने का समय नहीं है : चंद्रमोहन
पंचकूला 7 सितंबर:
हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कहा कि हरियाणा सरकार ने करनाल में संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा आयोजित की जाने वाली रैली को रोकने के लिए इन्टरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध सहित अनेक प्रकार के दमनात्मक औच्छे हथकंडे अपनाए लेकिन किसानों के हौसले और जज्बे को तानाशाही सरकार तोड़ने में असफल रही है।
उन्होंने कहा कि गूंगी-बहरी सरकार को किसानों की पीड़ा और वेदना को समझने का समय नहीं है। किसान अपनी पीड़ा किसको सुनाने के लिए जाएं। केन्द्र सरकार और राज्य सरकार की अकर्मण्यता और असंवेदनहीनता तथा हठधर्मिता ने आजाद भारत में गुलामी की नींव रख दी है और सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि एक और देश जहां आजादी के 75 वां साल मना रहा है वहीं वह किसान जिसने अपनी मेहनत से देश के खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया, वहीं आज सड़कों पर उतर कर अपने अस्तित्व और बच्चों के भविष्य की भीख मांग रहा है।
चन्द्र मोहन ने कहा कि करनाल में शांतिपूर्ण तरीके से किसानों पर जिस बर्बतापूवर्क तरीके से लाठीचार्ज किया गया उसने अंग्रेजी हुकूमत की याद को ताजा कर दिया। इससे ऐसा लगता है मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा की जनता का विश्वास और जनादेश गंवा चुके हैं। इस लिए अविलंब इस सरकार को राज्यपाल द्वारा बर्खास्त किया जाए ताकि प्रदेश में चल रहा अनिश्चितता का माहौल समाप्त हो सके।
उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि जिस आई ए एस अधिकारी ने किसानों पर लाठीचार्ज करवाया, उसके खिलाफ कार्रवाई करने की अपेक्षा उसका स्थानांतरण करके मामले को दबाने का प्रयास किया। उन्होंने मांग कि है कि मामले की गंभीरता को समझते हुए उस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच करवाई जाए और सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाए और उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया जाता है तब तक कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ खड़ी है।