पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ ईडी ने जारी किया लुक आउट नोटिस

पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपने खिलाफ जारी प्रवर्तन निदेशालय के समन को रद्द करने की मांग की करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटकटाया था। लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने देशमुख द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। गुरुवार को जब मामला पहली बार सामने आया, तो जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे ने बिना कोई कारण बताए याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. देशमुख ने बुधवार को याचिका दायर कर अपना बयान दर्ज करने के लिए ईडी के समन को रद्द करने, मुंबई क्षेत्र के बाहर के अधिकारियों को शामिल करने वाली एक एसआईटी का गठन करने, इलेक्ट्रॉनिक मोड में अपना बयान दर्ज कराने, एक अधिकृत एजेंट के माध्यम से उपस्थिति और निर्देश के रूप में अन्य राहत देने की मांग की थी।

पुणे/चंडीगढ़:

कुछ महीने पहले तक राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृहमंत्री हुआ करते थे। पुलिसकर्मियों को वसूली का टारगेट देने का आरोप लगने के बाद उन्हें उद्धव ठाकरे की सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था। अब मीडिया रिपोर्टों में उनके देश छोड़ भागने की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कई समन की अनदेखी कर चुके देशमुख के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लुकआउट नोटिस जारी किया है।

ईडी को आशंका है कि देशमुख देश छोड़कर भाग सकते हैं। दरअसल, इस तरह के नोटिस एक साल के लिए या जारी करने वाली एजेंसी द्वारा उन्हें वापस लेने तक वैध होते हैं। ईडी की तरफ से देशमुख को अब तक पाँच समन भेजा गया है, लेकिन उन्होंने इन सभी को नजरअंदाज कर दिया। ईडी का कहना है कि देशमुख को मुंबई में विभिन्न ऑर्केस्ट्रा और बार मालिकों से 4 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध रिश्वत मिली थी और इसे उन्होंने श्री साईं शिक्षण संस्था नामक एक संगठन के माध्यम से कानूनी धन के रूप में दिखाने की कोशिश की थी।

इससे पहले केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने पूर्व मंत्री के खिलाफ जाँच को प्रभावित करने की कोशिश करने के आरोप में देशमुख के वकील आनंद डागा को गिरफ्तार किया था। कहा जाता है कि सीबीआई के एक अधिकारी ने रिश्वत में आईफोन 12 प्रो लेकर देशमुख को क्लीनचिट देने वाली एक गोपनीय रिपोर्ट को उनके वकील से साझा कर दिया था।

इसी सिलसिले में दिल्ली की एक अदालत ने 2 सितंबर को डागा और आरोपी सब-इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी को दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा था। सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में कहा गया है, “यह विश्वसनीय रूप से पता चला है कि जाँच और जाँच से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों का अनधिकृत व्यक्तियों के सामने खुलासा किया। सब-इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी पड़ताल के दौरान नागपुर के एक वकील आनंद दिलीप डागा के संपर्क में आए और तब से लगातार उनके संपर्क में हैं।”

जाँच के दौरान सीबीआई ने पाया कि तिवारी 28 जून को जाँच के सिलसिले में पुणे गए थे। प्राथमिकी में कहा गया है, “पता चला है कि वकील आनंद डागा ने अभिषेक तिवारी से मुलाकात की और जांँच से संबंधित विवरण उपलपब्ध कराने के बदले में उन्हें एक आईफोन 12 प्रो दिया। यह भी पता चला है कि उन्होंने नियमित अंतराल पर डागा से अवैध परितोषण लिया था।”

सीबीआई ने आरोप लगाया कि तिवारी ने व्हाट्सएप के जरिए मामले से संबंधित दस्तावेजों को डागा को भेजा। लीक हुए दस्तावेजों को विभिन्न समाचार संगठनों को भेजा गया था। हालाँकि दस्तावेजों में देशमुख को क्लीनचिट का सुझाव दिया गया था, लेकिन पूर्व मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जब दस्तावेज़ प्रेस में लीक हुए थे तो इसकी प्रामाणिकता पर कई सवाल उठाए गए थे। सीबीआई ने देशमुख को क्लीनचिट देने से भी इनकार किया।

इससे पहले देशमुख ने दावा किया था कि वह कानूनी उपाय खत्म होने के बाद ही ईडी के सामने पेश होंगे। उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और मामले की सुनवाई जल्द की जाएगी। हालाँकि, बाद में बताया गया कि शीर्ष अदालत ने पूर्व मंत्री को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार किया है, इसके बाद वह प्राथमिकी रद्द करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट चले गए।

ईडी को दिए जवाब में देशमुख ने दावा किया कि उनके खिलाफ प्राथमिकी अनुचित थी। पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा पूर्व मंत्री पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाने के बाद वह सीबीआई और ईडी की जाँच के दायरे में आए। हालाँकि देशमुख ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया था।