क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले स्कूलों को फंड दे सकती है? अलाहाबाद उच्च न्यायालय
मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है और राजकीय सहायता प्राप्त है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि मदरसों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता का मानक, खेल मैदान की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है? क्या लड़कियों को प्रवेश दिया जाता है? इसका भी जवाब दिया जाय। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मों के लिए कोई शिक्षा बोर्ड है? कोर्ट ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष राज्य की स्कीम है तो सवाल है कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले स्कूलों को फंड दे सकती है?
- धार्मिक शैक्षिक संस्थानों को मिलने वाली सरकारी मदद से जुड़े मुद्दों पर विचार करेगा हाई कोर्ट
- मदरसों को मिल रही फंडिंग संविधान के सेक्युलर स्कीम के तहत न्यायसंगत है या नहीं, होगा विचार
- हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को चार हफ्तों के अंदर जवाब देने को कहा, 6 अक्टूबर को अगली सुनवाई
प्रयागराज/नई दिल्ली :
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसों पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या कोई सेक्युलर स्टेट धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे को फंड दे सकता है? हाईकोर्ट ने मदरसों को लेकर कई सवाल पूछे हैं और सरकार से 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा गया है। मामले में अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी। दरअसल, मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की प्रबंध समिति ने कोर्ट में याचिका दायर की है। ये मदरसा मान्यता और सरकारी सहायता प्राप्त है। मदरसे ने अतिरिक्त पदों पर भर्ती की इजाजत मांगी थी जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ मदरसे ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिस पर अब कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछे हैं।
मदरसों पर हाईकोर्ट ने क्या कहा है?
कोर्ट ने पूछा है- क्या सेक्युलर स्टेट मदरसों को फंड दे सकता है ? मदरसे धार्मिक शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थान हैं ऐसे में क्या मदरसे अनुच्छेद 25 से 30 का पालन कर रहे हैं? क्या मदरसे सभी धर्मों के विश्वास को संरक्षण दे रहे हैं? क्या अनुच्छेद 28 में मदरसे धार्मिक शिक्षा संदेश-पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं? क्या मदरसों में आर्टिकल 21-21 A का पालन हो रहा है? क्या मदरसों में खेल के मैदान की अनिवार्यता का पालन हो रहा है? क्या दूसरे धार्मिक शिक्षण संस्थानों को भी सरकार से फंड मिल रहा है? क्या मदरसों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है? अगर मदरसों में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है तो ये भेदभाव नहीं है?
वहीं, आपको बता दें कि इससे एक दिन पहले ही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की और केन्द्र को सुझाव दिया है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाय काटने के एक आरोपी व्यक्ति जावेद की जमानत याचिका को रद्द करते हुए कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए और गौरक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार किया जाना चाहिए।