चीन के बाद अब तुर्की आया पाकिस्तान की मदद को

1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद तुर्की का झुकाव पाकिस्तान की ओर ज्यादा हो गया था। इस्लाम के नाम पर उदय हुए पाकिस्तान ने तुर्की के साथ दोस्ती में अपना उज्ज्वल भविष्य देखा। तुर्की में रह रहे कुर्द, अल्बानियाई और अरब जैसे तुर्को के बीच पाकिस्तान की स्वीकार्यता में इस्लाम में बड़ी भूमिका अदा की। मुस्तफा कमाल पाशा की धर्मनिरपेक्ष सोच के बावजूद पाकिस्तान और तुर्की के संबंध धार्मिक आधार पर ही मजबूत हुए। 1970 के दशक में नेकमेटिन एर्बाकन के नेतृत्व में इस्लामी दलों के उदय ने तुर्की की राजनीति में इस्लाम की भूमिका को और मजबूत किया। इस तरह के राजनीतिक अनुभवों ने तुर्की की विदेश नीति को भी प्रभावित किया और पाकिस्तान के साथ तुर्की की नजदीकी का समर्थन किया। साल 1954 में पाकिस्तान और तुर्की ने शाश्वत मित्रता की संधि पर हस्ताक्षर किए। पाकिस्‍तान अब कश्‍मीर और अफगानिस्‍तान के मुद्दे पर तुर्की के साथ द्विपक्षीय संबंध मजबूत करना चाहता है। … इसके अलावा तुर्की और पाकिस्‍तान संयुक्‍त रक्षा प्रॉजेक्‍ट, अफगानिस्‍तान पर सहयोग और पाकिस्‍तान में तुर्की के निवेश पर चर्चा कर रहे हैं। अभी इन दिनों तुर्की की सेना प्रमुख भी पाकिस्‍तान के दौरे पर आए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय डेस्क, डेमोक्रेटिक फ्रंट॰कॉम :

तुर्की और पाकिस्तान जहां मिलकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरने की लगातार कोशिश में लगे हुए हैं। वहीं तुर्की पाकिस्तान को हथियारों से लेकर पाक अधिकृत कश्मीर पाक अधिकृत कश्मीर में दखलअंदाजी देना शुरु कर चुका है। एक मीडिया के पास मौजूद एक्सलूसिव दस्तावेजों से तुर्की के एक बड़े प्लान का खुलासा हुआ है।

रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि चीन के बाद अब तुर्की पाक अधिकृत कश्मीर में बड़े पैमाने पर इंवेस्टमेंट कर रहा है जिससे भारत की चिंता बढ़ गई है। देखा जाये तो भारत PoK को अपना हिस्सा मानता है और ऐसे में पाकिस्तान समेत दुनिया के किसी भी देश की PoK में दखलंदाजी का भारत विरोध करता रहा है।

पाकिस्तान बड़ी तादाद में मानवरहित टोही और अटैक विमान की खरीद पर जोर दे रहा है। इसके लिए न सिर्फ वो रूस की तरफ झोली फैला रहा है बल्कि तुर्की और चीन जैसे ऑल वेदर फ्रेंड की भी मदद ले रहा है।

पाकिस्तान को भारत के साथ हर युद्ध में उसे शर्मनाक हार मिली। कश्मीर में आंतकियों के जरिये प्रॉक्सी वॉर में भी उसे मुंह की खानी पड़ रही है। यही कारण है कि भारतीय इलाकों में ताक-झांक करने और बिना किसी नुकसान के भारत में भविष्य की लड़ाइयों में जीत हासिल करने के लिए पाकिस्तान रणनीति बदल रहा है। पाकिस्तान बड़ी तादाद में मानवरहित टोही और अटैक विमान की खरीद पर जोर दे रहा है। इसके लिए न सिर्फ वो रूस की तरफ झोली फैला रहा है बल्कि तुर्की और चीन जैसे ऑल वेदर फ्रेंड की भी मदद ले रहा है। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान तुर्की से कॉमिकाज़े ड्रोन खरीदने की तैयारी में है। इसे सुसाइड ड्रोन भी कहा जाता है।

इस ड्रोन की रेज 10 किलोमीटर तक है और ये एक बार में 6 रॉकेट अपने साथ ले जा सकता है। एक ग्राउंड स्टेशन के रिमोट में एक साथ 10 ड्रोन को संचालित कर सकता है। वहीं चीन से भी आर्म्ड ड्रोन का सौदा हो चुका है। पाकिस्तान चीन से विंग लूंग-II के दो अतिरिक्त सिस्टम भी ले रहा है जो कि इसी साल पाकिस्तानी वायुसेना को मिल जाएंगे।