रॉबर्ट वाड्रा को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की ईडी की याचिका पर सुनवाई आज
सचिन – गहलोत मामले को सुलझाने में करीब करीब एक साल हो चला है लेकिन मामला अभी भी आधर में है। अभी कल ही आपात बैठक बुलाई गयी थी, जिसके बारे में जैसा अंदेशा था कि पंजाब में कैप्टन पर दबाव बना कर अपनी बात मनवा ली गयी थी, वैसा ही कुछ यहाँ भी किया जाएगा। यहाँ आलाकमान ने अपनी चलाई और गहलोत को उनकी जगह दिखाने की कोशिश की गयी। लेकिन पेशे से जादूगर अब राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। सूत्रों कि मानें तो बैठक से ऐन पहले न्यायाधीश पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की कोर्ट में राबर्ट वाड्रा को गिरफ्तार कर पूछताछ करने की अनुमति की मांग रखी गयी है जिसकी सुनवाई आज तय है। यानि कल आपात बैठक और आज यह सुनवाई। अब आलाकमान क्या करेगी। पायलट खेमे के एक नेता ने नाम न छापने कि शर्त पर बताया कि वाड्रा पर चल रहे केसों के चलते मुख्यमंत्री पद के लिए गहलोत प्रियंका – रोबर्ट वाड्रा की पहली पसंद थे। अशोक गहलोत इस वजह से ही इस तरह आकडे हुए थे। लगता है की गेंद पर अब भी गहलोत ही की पकड़ है।’
राजविरेन्द्र वसिष्ठ :
राजस्थान हाईकोर्ट में सोमवार को राबर्ट वाड्रा से जुड़े महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई होगी। बीकानेर जिले में जमीन की खरीद फरोख्त में हुई गड़बड़ी को लेकर ईडी ने राबर्ट वाड्रा को गिरफ्तार कर पूछताछ करने की अनुमति मांग रखी है। इस पर सुनवाई लंबे अरसे से किसी न किसी कारण से टलती आ रही है। ऐसे में देखेने वाली बात होगी कि इस मामले में हाईकोर्ट राबर्ट वाड्रा को गिरफ्तार कर पूछताछ करने की अनुमति प्रदान करता है या नहीं। फिलहाल हाईकोर्ट ने राबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है। न्यायाधीश पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई प्रस्तावित है।
क्या है मामला?
2007 में वाड्रा ने स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी की शुरुआत की। रॉबर्ट और उनकी मां मौरीन इस कंपनी के डायरेक्टर बनाए गए। बाद में कंपनी का नाम बदलकर स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी लिमिटेड लायबिलिटी कर दिया गया। रजिस्ट्रेशन के वक्त बताया गया था कि ये कंपनी रेस्टोरेंट, बार और कैंटीन चलाने जैसे काम करेगी।
2012 में खरीदी थी जमीन
वाड्रा की कंपनी ने 2012 में राजस्थान के बीकानेर जिले में कोलायत क्षेत्र में कुछ दलालों के जरिए 270 बीघा जमीन 79 लाख रुपए में खरीदी। बीकानेर में भारतीय सेना की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के लिए जमीन आवंटित की गई थी। यह जमीन सेना की थी और इसका बेचा नहीं जा सकता था। यहां से विस्थापित हुए लोगों के लिए दूसरी जगह पर 1400 बीघा जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन कुछ लोगों ने इस जमीन के फर्जी कागजात तैयार करवाकर वाड्रा की कंपनी को बेच दिए। इन लोगों के माध्यम से ही वाड्रा ने क्षेत्र के कुछ गांवों में और जमीन खरीदने का प्रयास किया, लेकिन मामला आगे बढ़ नहीं पाया। फर्जी तरीके से जमीन के बेचने का मामला उजागर होने से पहले वाड्रा की कंपनी ने इस जमीन को 5 करोड़ रुपए में बेच दिया। ईडी ने इस मामले में कुछ स्थानीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी है। उनकी मिलीभगत से कुछ लोगों ने जमीन के फर्जी कागजात तैयार कराए।
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े इस मामले की ईडी ने जांच शुरू की
मनी लांड्रिंग से जुड़े इस मामले की ईडी ने जांच शुरू की थी। ईडी की पूछताछ से बचने के लिए वाड्रा लंबे अरसे से प्रयास करते रहे। कई बार समन जारी करने के बावजूद वे ईडी के सामने पेश नहीं हुए। ईडी की सख्ती पर वाड्रा ने राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्य पीठ में अपील दायर कर पूछताछ पर ही सवालिया निशान लगाया। हाईकोर्ट ने वाड्रा को आदेश दिया कि वे अपनी मां मौरिन के साथ ईडी के समक्ष पेश होकर उसके सवालों का जवाब दें। इसके बाद वाड्रा जयपुर में ईडी के समक्ष पेश हुए थे। ईडी का कहना है कि राबर्ट वाड्रा पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे है। ऐसे में उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ किए जाने की आवश्यकता है। इस मामले पर हाईकोर्ट को अपना फैसला सुनाना है कि गिरफ्तार कर पूछताछ की जा सकती है या नहीं।