भारतीय लोकतंत्र और यहाँ की सरकार के खिलाफ साजिश का लंबा इतिहास, एमनेस्टी इंटरनेशनल भारत में बैन हो : असम CM
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘देश के लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए मानसून सत्र से ठीक पहले कल देर शाम एक रिपोर्ट आती है, जिसे कुछ वर्गों द्वारा केवल एक ही उद्देश्य के साथ फैलाया कि कैसे भारत की विकास यात्रा को पटरी से उतारा जाए और अपने पुराने नैरेटिव के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को अपमानित किया जाए। लोगों को क्रोनोलोजी समझनी चाहिए कि यह भारत के विकास में विघ्न डालने वालों की भारत के विकास के अवरोधकों के लिए एक रिपोर्ट है।’
असम/दिल्ली:
एक प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित दुनिया भर के विभिन्न वामपंथी संगठन इस साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह साफ है कि वे भारत के लोकतंत्र को बदनाम करना चाहते हैं। हेमंत बिस्वा सरमा ने एमनेस्टी इंटरनेशनल की गतिविधियों पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘मैं भारत सरकार से देश में एमनेस्टी इंटरनेशनल के कामकाज पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करता हूं। मुझे लगता है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल की आलोचना करने के लिए कांग्रेस पार्टी को सरकार से हाथ मिलाना चाहिए। वे हमारे देश को हर समय इस तरह बदनाम नहीं कर सकते।’
एमनेस्टी इंटरनेशनल एक अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था है जो अपना उद्देश्य “मानवीय मूल्यों, एवं मानवीय स्वतंत्रता, को बचाने एवं भेदभाव मिटाने के लिए शोध एवं प्रतिरोध करने एवं हर तरह के मानवाधिकारों के लिए लडना” बताती है। इस संस्थान की स्थापना ब्रिटेन में 1961 में की गयी थी। एमनेस्टी मानवाधिकारों के मुद्दे पर बहुद्देशीय प्रचार अभियान चलाकर, शोध कार्य कर के पूरे विश्व का ध्यान उन मुद्दों की ओर आकर्षित करने एवं एक विश्व जनमत तैयार करने की कोशिश करता है। ऐसा करके वे खास सरकारों, संस्थानों या व्यक्तियों पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं। इस संस्थान को 1977 में “शोषण के खिलाफ” अभियान चलाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था। तथा 1978 में संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार पुरस्कार से नवाजा गया था। लेकिन इस संस्थान की हमेशा यह कहकर आलोचना की जाती है कि पश्चिमी देशों के लिए इस संस्थान में हमेशा एक खास पूर्वाग्रह देखा जाता है। 25 अक्टूबर 2018 को इसके बेंगलूर स्थित दफ्तर व इसके निदेशक आकार पटेेेल के घर ईडी ने फेेमा के उल्लंघन के आरोप मे छापे मारे थे। अप्रत्यक्ष रूप से इस संस्था का कामआर्थिक रूप से सबल होती हुई शक्तियों को राजनैतिक रूप से अस्थिर करना है।
सीएम ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो साझा किया है। वीडियो में सीएम हिमंत ने कहा, ”एमनेस्टी इंटरनेशनल का भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने और यहाँ की सरकार के खिलाफ साजिश रचने का लंबा इतिहास रहा है। मैं इस साजिश की कड़ी निंदा करता हूँ और मोदी सरकार से ऐसे संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की माँग करता हूँ, जो हमारे देश को बदनाम करने और नुकसान पहुँचाने पर अमादा हैं।”
पेगासस रिपोर्ट पर असम के सीएम ने कहा, ”मैं भारत सरकार से देश में एमनेस्टी इंटरनेशनल के कामकाज पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करता हूँ। मुझे लगता है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल के खिलाफ कॉन्ग्रेस पार्टी को भी केंद्र सरकार से हाथ मिलाना चाहिए। वे हमारे देश को हर समय इस तरह से बदनाम नहीं कर सकते हैं।”
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आज IIT गुवाहाटी में एक नए ‘आपदा प्रबंधन और अनुसंधान केंद्र’ का उद्घाटन भी किया।
गौरतलब है कि इस मामले पर भारत सरकार ने कहा था, “जो कहानी बनाई जा रही है, वो न सिर्फ तथ्यों से दूर है बल्कि एक पूर्व-कल्पित निष्कर्षों पर भी आधारित है। ऐसा लगता है कि जैसे ये जाँचकर्ता, अभियोजक और जूरी– इन तीनों का किरदार अदा करना चाहते हैं। सरकार के पास जो सवाल भेजे गए हैं, उन्हें देखकर लगता है कि इसके लिए काफी घटिया रिसर्च किया गया है और साथ ही ये भी बताता है कि सम्बंधित मीडिया संस्थानों द्वारा मेहनत नहीं की गई है।”
बता दें कि लोकसभा में सोमवार (19 जुलाई) को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस विवाद पर वामपंथी वेबसाइट ‘द वायर’ और NDTV को जमकर लताड़ा था। उन्होंने इस रिपोर्ट की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ये तथ्यों से परे है और इसमें सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें सरकार पर पत्रकारों, भारतीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, विपक्षी नेताओं और अन्य हस्तियों पर जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है। ये रिपोर्ट देश के लोकतंत्र और हमारी सुस्थापित संस्थाओं को बदनाम करने का प्रयास लगती है।