Police Files, Chandgarh – 26 June

28.06.2021

Action against illicit liquor

Chandigarh Police arrested Kuldeep Singh R/o # 207, Neem Wala Chowk, Ward No. 11, Morinda, Distt. Rupnagar, (PB) and recovered 300 bottles of whisky marka 111 ACE from his possession carrying in his Honda City car near Kacha rasta, Ziri Mandi Chowk, Chandigarh on 27.06.2021. A case FIR No. 85, U/S 61-1-14 Excise Act has been registered in PS-Maloya, Chandigarh. Later, he bailed out. Investigation of the case is in progress.

Snatching

Ravi R/o # 189, Village Palsora, Chandigarh reported that three unknown persons occupants of Auto No. PB-65— snatched away his purse containing cash Rs. 5000/- Aadhar Card, Pan Card and Mobile Phone near Garbage Plant to Dhanas Lake Road, near Maloya, Chandigarh on 26-06-2021. A case FIR No. 86, U/S 379A, 34 IPC has been registered in PS-11, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Criminal Breach of Trust

Anup Koley R/o # 3293, Sector-25, Chandigarh alleged that Aakash Majhi R/o Village Dhalyan Tarekeswar, Hooghly, West Bengal who was working at complainant’s shop i.e. Anup Goldsmith, SCO No. 45, Top Floor, Sector 23, Chandigarh intoxicated his co-workers and stole away 1.5 Kg gold, diamond ornaments and cash Rs. 3 lakh after breaking the safe of said shop on 26-06-2021. A case FIR No. 96, U/S 406, 328 IPC has been registered in PS-17, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Accident

A case FIR No. 168, U/S 279, 337 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh against driver of M/Cycle No. CH-01AR-1633 namely Jatinder Kumar R/o # 831/C, EWS Colony, Dhanas, Chandigarh who hit complainant’s Auto No. CH-01TB-8145 near light point, Sector-39/40, Chandigarh on 27-06-2021. MotorCycle driver got injured and admitted in GH-16, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

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पंचांग 28 जून 2021

आज दोपहर 01.00 बजे से पंचक प्रारम्भ हो रहे है। पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं।पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है।चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पाॅच व्यक्तियों के अकालमृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः आषाढ़, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः चतुर्थी दोपहरः 02.17 तक है। 

वारः सोमवार, 

नक्षत्रः धनिष्ठा रात्रि 12.49 तक हैं, 

योगः विष्कुम्भक दोपहर काल 02.04 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः मिथुन, 

चंद्र राशिः मकर, 

राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.30, 

सूर्यास्तः 07.19 बजे।

नोटः आज दोपहर 01.00 बजे से पंचक प्रारम्भ हो रहे है। पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं।पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है।चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पाॅच व्यक्तियों के अकालमृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

पंचक : भय और निदान

हिंदू धर्म में मुहूर्त का विशेष महत्व है। ग्रह-नक्षत्रों की गणना के आधार पर ही यह माना जाता है कि किसी भी कार्य को करने के लिए समय उचित है या नहीं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कई नक्षत्र ऐसे होते हैं जिनमें कोई भी कार्य करना शुभ माना जाता है। लेकिन कुछ नक्षत्र ऐसे होते हैं जिनपर किसी भी विशेष कार्य को करना वर्जित होता है। धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती भी ऐसे ही नक्षत्र हैं। धनिष्ठा के आरंभ से लेकर रेवती नक्षत्र के अंत तक समय को पंचक कहा जाता है। 

अपने परिपथ भ्रमण के काल में गोचरवश जब-जब चद्रँमा कुंभ और मीन राशियों में अथवा कहें कि धनिष्ठा नक्षत्र के उत्तरार्ध में, शतभिषा, पूर्वामाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों में होता है, तो इस काल को पंचक कहते हैं। अधिकांश लोगों में यह भ्रम और भय व्याप्त है कि इन नक्षत्रों में शुभ कर्म वर्जित होते हैं अथवा इन नक्षत्रों में प्रारम्भ किए गए कार्य पूर्ण नहीं होते और होते भी हैं तो पूरे पांच बार प्रयास करने बाद। यह मान्यता भी चली आ रही है कि पंचकों में कहीं से कोई सगे-सम्बन्धी की मृत्यु की सूचना मिलती है तो ऐसे में पांच दुःखद समाचार और भी सुनने को मिलते हैं। लोगों में भ्रम तो यहाँ तक व्याप्त है कि इन दिनों में सनातन धर्म के कोई भी  शुभ कार्र्य अशुभता अवश्य देते हैं।

सबसे पहले यह मय, भ्रम और अंधविश्वास तो मन से एक दम ही निकाल दें कि तथाकथित यह पांच नक्षत्र सदैव अहितकारी ही सिद्ध होते हैं। अनेक जातक ग्रथों और विशेषरुप से मुहूर्त चिन्तामणि और राज भार्तण्ड में पंचको के शुभाशुभ विचार का विवरण मिलता है। यदि गहनता से पंचकों के विषय में अध्ययन किया जाए तो हम पाते हैं कि इनका निषेध केवल पांच कर्मों में ही किया जाता है और उनमें भी स्पष्ट रुप से आवश्यक कार्यों के लिए विकल्प लिखे गए हैं –

‘अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।’-मुहूर्त-चिंतामणि

अर्थात:- पंचक में तिनकों और काष्ठों के संग्रह से अग्निभय, चोरभय, रोगभय, राजभय एवं धनहानि संभव है।

  1. लकड़ी एकत्र करना या खरीदना,
  2. मकान पर छत डलवाना,
  3. शव जलाना,
  4. पलंग या चारपाई बनवाना
  5. दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना।


पंचकों में जिन पांच कार्यों को न करने का वर्णन है उनके विषय में उनके दुष्परिणाम भी दिए गए हैं। इनको करना यदि आवश्कता बन जाए तो कुछ  सरल से उपयों द्वारा उनको सम्पन्न भी किया जा सकता है।


पहला,  लकड़ी का सामान क्रय न करना और लकड़ी एकत्रित न करना। विशेष रुप से

पंचक का उपाय:-

‘प्रेतस्य दाहं यमदिग्गमं त्यजेत् शय्या-वितानं गृह-गोपनादि च।’- मुहूर्त-चिंतामणि

पंचक में मरने वाले व्यक्ति की शांति के लिए गरुड़ पुराण में उपाय भी सुझाए गए हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार पंचक में शव का अंतिम संस्कार करने से पहले किसी योग्य विद्वान पंडित की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। यदि विधि अनुसार यह कार्य किया जाए तो संकट टल जाता है। दरअसल, पंडित के कहे अनुसार शव के साथ आटे, बेसन या कुश (सूखी घास) से बने पांच पुतले अर्थी पर रखकर इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है।

दूसरा यह कि गरुड़ पुराण अनुसार अगर पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसमें कुछ सावधानियां बरतना चाहिए। सबसे पहले तो दाह-संस्कार संबंधित नक्षत्र के मंत्र से आहुति देकर नक्षत्र के मध्यकाल में किया जा सकता है। नियमपूर्वक दी गई आहुति पुण्यफल प्रदान करती हैं। साथ ही अगर संभव हो दाह संस्कार तीर्थस्थल में किया जाए तो उत्तम गति मिलती है।

  • नक्षत्र में इस कर्म से बचें क्योंकि इससे अग्नि भय का संकट हो सकता है। यदि यह कर्म करना आवश्यक हो तो लकड़ी के कुछ भाग से हवन कर लें। मेरी मान्यता है कि इस ग्रह के स्वामी मंगल हैं और उसके इष्ट देव हनुमान जी हैं। कार्य से पूर्व धनिष्ढा नक्षत्र में उनका स्मरण अवश्य कर लें, अज्ञात भय से अवश्य ही रक्षा होगी।
  • दूसरा, पंचकों में विशेषरुप से दक्षिण दिशा की यात्रा न करना। दक्षिण दिशा के अधिष्ठाता ‘यम’ हैं, इसलिए भी यात्रा को निषेध माना गया है। अति आवश्यक रुप से की जाने वाली यात्राओं के लिए पूर्व में किसी शुभ घड़ी में ‘चाला’ कर सकते हैं। इसके लिए यात्रा में प्रयुक्त कुछ पैसे, हल्दी तथा चावल अपने इष्ट देव के सम्मुख रख लें और यात्रा को मंगलमय बनाने की प्रार्थना करें। यात्रा वाले दिन रखे यह पैसे भी साथ  ले लें। हल्दी और चावल किसी वृक्ष की जड़ में  छोड दें अथवा जल प्रवाहित कर दें।
  • तीसरा, भवन में छत न डलवाना। मान्यता है कि पंचकों में भवन में डाली गयी छत उस घर में कलह का कारण बनती है, वहाँ से सुख और शांति का पलायन हो जाता है। मान्यता तो यहाँ तक है कि इन नक्षत्रों में डाली गयी छत कमजोर होती है और-भवन स्वामियों में अलगाव तक करवा देती है। इन नक्षत्रों में यहि छत डलवा रहे हों तो उससे पूर्व इष्ट देव को मिष्ठानादि से प्रारम्भ करें और प्रसाद स्वरूप वह काम करने वाले लोगों में बांटकर उनकी प्रसन्नता बटोरें।
  • चौथा, पंचकों में चारपाई नहीं बनवाई जाती इसके पीछे का भाव भी वही लकड़ी के क्रय करने वाला ही है। पंचको में लकड़ी को विशेष महत्व दिया गया है।
  • पांचवाँ, सबसे महत्वपूर्ण है कि पंचको  में शव दाह नहीं करते।  इसके पीछे भी कारण लकडियों का ही है क्योंकि दाह के लिए लकड़ियों की आवश्कता होती है। शव दाह  के समय   शास्त्रों में कुछ कर्म दिए गए  हैं। यदि कुछ नहीं करना है तो  आटे अथवा कुशा के पांच पुतले बनाकर शव के साथ संस्कार करवा लेना चहिए ।

 पंचक के प्रकार जानिए:-

  • 1.रविवार को पड़ने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है।
  • 2.सोमवार को पड़ने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है।
  • 3.मंगलवार को पड़ने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है।
  • 4.शुक्रवार को पड़ने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है।
  • 5.शनिवार को पड़ने वाला पंचक मृत्यु पंचक कहलाता है।
  • 6.इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन दो दिनों में पड़ने वाले दिनों में पंचक के पांच कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।

मुहूर्त चिंतामणि में  स्पष्ट लिखा है कि  अति आावश्यक कार्यों के लिए पंचको में भी घनिष्ठा नक्षत्र का अंत, शतमिषा नक्षत्र का मध्य, भाद्रपद का प्रारम्भ और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के अन्त की पांच घड़िया कार्य के लिए चुनी जा सकती हैं।

पंचक में मौत का समाधान:-
गरुड़ पुराण सहित कई धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके साथ उसी के कुल खानदान में पांच अन्य लोगों की मौत भी हो जाती है।

शास्त्र-कथन है-‘धनिष्ठ-पंचकं ग्रामे शद्भिषा-कुलपंचकम्।पूर्वाभाद्रपदा-रथ्याः चोत्तरा गृहपंचकम्।रेवती ग्रामबाह्यं च एतत् पंचक-लक्षणम्।।’

आचार्यों के अनुसार धनिष्ठा से रेवती पर्यंत इन पांचों नक्षत्रों की क्रमशः पांच श्रेणियां हैं-

ग्रामपंचक, कुलपंचक, रथ्यापंचक, गृहपंचक एवं ग्रामबाह्य पंचक।

पंचको में नक्षत्रों के अनुरुप अनेक कार्य शुभ माने गए हैं। इसीलिए यह भ्रम पालना सर्वथा अज्ञानता है कि धनिष्ठा और शतमिषा नामक नक्षत्र यात्रा, वस्त्र, आभूषण आदि के क्रय-विक्रय के लिए बहुत शुभ हैं। पूर्वाभाद्र नक्षत्र में कोर्ट-कचहरी  की ही नहीं, महत्वपूर्ण कार्यों के निर्णय आदि में भी शुभता प्रदान करते हैं। भूमि पूजन के लिए उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शुभ सिद्व होता है।

COUNTRY WAS FETTERED IN THE WEE HOURS

Medhavi Sharma, CHANDIGARH  – 25TH JUNE, 2021 

June 25,2021, signifies the 46th anniversary of the nationwide emergency,  officially issued by the then President Fakhruddin Ali Ahmed under Article 352 of the Indian Constitution. The Emergency remained in effect for about 21  months from June 1975 to March 1977 on the recommendation of the Indira  Gandhi-led Congress, and this date remains one of the highly debatable chapters in the academic and political circles of the Indian history. Often  regarded as the darkest phase of the independent India.  

The order vested upon the Prime Minister the power to rule by decree,  curtailing the freedom of press and allowing the suspension of elections. The  period was marked by unbridled state incarceration, violation of various  human rights, government crackdown on civil liberties, stiffing of dissent. With  the rationale that there were imminent internal and external threats to the  Indian state, there were many more controversial vindications.  

On a telephonic interview with Mr. Satyapal Jain, former Chandigarh MP and  additional solicitor general of India, exclaims this phase as the horrendous and  tragic period of the country. Mr. Jain said, “Emergency was imposed to stamp  out the voices of the people against the government, I was 23 years old, and a  nominated general secretary for Student guild of Punjab University when the emergency was imposed, I being a Student leader was also arrested and  tortured by the police for almost a year, this was the scenario and condition in  the whole country. People were being booked under IPC 751, Defense of India  rule and MISA” He also added, that India was made an open and torturous jail  for this term and it was considered death of democracy.  

Another, senior BJP leader Mr. Raghuvir Lal Arora stated that, “Smt. Indira  Gandhi was convicted of electoral malpractices and Justice Jagmohanlal Sinha  disqualified her from the Parliament and imposed a 6-year ban on her holding  any elected post, interestingly the very next day, the Emergency was imposed,  booking opposition leaders under MISA and putting them in jail. Even the chief  Justice of Supreme Court was changed. Media was censored, no news against  the government was allowed to be published. Most of the Rashtriya  Swayamsevak Sangh (RSS)’s senior leaders were arrested. As there was no  news being transmitted, we started cyclostyle type of transmission and we  used to send it through post mails. The times were utterly horrific and  dangerous for the independent India,” he added. “her younger son, Sanjay  Gandhi also initiated compulsory sterilization programme to limit population  growth, such oppressive measures were taken to curtail the fundamental  rights of the people of our country.” 

Congress leader and former deputy mayor of Chandigarh, Mr. Balraj Singh, in  an interview stated that, “the Emergency was imposed only for the good of  people, though it is seen as a dark phase in the history of the nation, but it was  a necessary step taken by the then Prime Minister to secure the national  security.” He further added that sometimes hard choices are required to be  made in order to protect the citizens.

भाजपा और कांग्रेस चाहे जितनी कोशिशें कर लें अरविंद केजरीवाल को बदनाम नहीं कर सकती: योगेश्वर शर्मा

  • योगेश्वर शर्मा ने कहा: राजनीति छोडक़र तीसरी लहर से निबटने का इंतजाम करना चाहिए
  • भाजपा और कांग्रेस देश को गुमराह करने के लिए माफी मांगे

पंचकूला,26 जून:

आम आदमी पार्टी का कहना है कि  केंद्र की भाजपा सरकार और जगह जगह चारों खाने चित्त हो रही कांग्रेस अरविंद केजरीवाल को बदनाम करने की लाख कोशिशें कर लें,सफल नहीं होंगी। पार्टी का कहना है कि दिल्ली के लोग जानते हैं कि केजरीवाल उनके लिए लड़ता है और उनकी खातिर इन मौका प्रस्त पार्टियों के नेताओं की बातें भी सुनता है। यही वजह है कि दिल्ली की जनता ने तीसरी बार भी उन्हें सत्ता सौंपी तथा भाजपा को विपक्ष में बैठने लायक और कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा। आने वाले दिनों में यही हाल इन दोनों दलों का पंजाब मेें भी होने वाला है। इसी के चलते अब दोनों दल आम आदमी पार्टी व इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल को निशाना बना रहे हैं।  पार्टी का कहना है कि अब तो इस मामले के लिए बनाई गई कमेटी  के अहम सदस्य एवं एम्स के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि अब तक फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे यह कहना जल्दबाजी होगी कि दिल्ली ने दूसरी लहर के पीक के वक्त जरूरी ऑक्सीजन की मांग को चार गुना बढक़र बताया। उन्होंने कहा कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है, ऐसे में हमें जजमेंट का इंतजार करना चाहिए। ऐसे में अरविंद केजरीवाल को निशाना बनाने वाले भाजपा एवं कांग्रेस के नेता जनता को गुमराह के करने के लिए देश से माफी मांगे।
 आज यहां जारी एक ब्यान में आप के उत्तरी हरियाणा के सचिव योगेश्वर शर्मा ने कहा कि भाजपा और कांग्रेसी नेताओं को शर्म आनी चाहिए कि वे उस अरविंद केजरीवाल पर आरोप लगा रहे हैं जो अपने लोगों के लिए दिन रात एक करके काम करता है और उसने कोरोनाकाल में भी यही किया था। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में कोविड की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी तो यहां ऑक्सीजन की मांग में भी बेतहाशा वृद्धि हो गई थी। चाहे सोशल मीडिया देखें या टीवी चैनल हर जगह लोग अप्रैल और मई माह में ऑक्सीजन की मांग कर रहे थे। कई अस्पताल और यहां तक कि मरीजों के तीमारदार भी ऑक्सीजन की मांग को लेकर कोर्ट जा पहुंचे थे। उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल ठीक ही तो कह रहे हैं कि उनका गुनाह यह है कि वह दिल्ली के  2 करोड़ लोगों की सांसों के लिए लड़े और वह भी उस समय जब  भाजपा और कांग्रेस के नेता चुनावी रैली कर रहे थे। तब भाजपा के दिल्ली के सांसद अपने घरों में छिपे बैठे थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ठीक ही तो दावा किया है कि जिस रिपोर्ट के आधार पर अरङ्क्षवद केजरीवाल को बदनाम किया जा रहा है, वह है ही नहीं। है तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दरअसल भाजपा का आईटी सैल अरङ्क्षवद केजरीवाल के पंजाब दौरे के बाद से ही बौखलाया हुआ है, क्योंकि पंजाब में उसका आधार खत्म हो चुका है और आप पंजाब के साथ साथ अब गुजरात में भी सफलता के परचम फैला रही है। पंजाब व गुजरात में भाजपा के लोग आप का दामन थाम रहे हैं। ऐसे में उसे व कांग्रेस को आने वाले विधानसभा चुनावों में अगर किसी से खतरा है तो वह अरङ्क्षवद केजरीवाल और उनकी पार्टी आप से है। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां और उनके नेता उन लोगों को झूठा बताकर उनका अपमान कर रहे हैं जिन लोगों ने अपनों को खोया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को देश में अपने पोस्टर लगवाने के बजाये कोविड-19 की तीसरी लहर के खतरे से निपटने की तैयारियों पर ध्यान देना चाहिए।  उन्होंने प्रधानमंत्री को सचेत किया के स्वास्थ्य विशेषज्ञ तीसरी लहर की चेतावनी दे रहे हैं, इसलिए यह आराम का वक्त नहीं है, बल्कि सरकार को अग्रिम प्रबंध करने चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा न हो कि जिस तरह केंद्र सरकार के दूसरी लहर से पहले के ढीले व्यवहार के कारण हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, वैसा ही तीसरी लहर के बाद हो। उन्होंने सरकार को वायरस के बदलते स्वरूप की तुरंत वैज्ञानिक खोज कर विशेषज्ञों की राय के अनुसार सभी इंतजाम करने को कहा। उन्होंने कहा कि अपनी नाकामियों का ठीकरा अरविंद केजरीवाल पर फोडऩे से काम नहीं चलेगा। काम करना होगा क्योंकि देश के लोग देख रहे हैं कि कौन काम कर रहा है और कौन ऐसी गंभीर स्थिति में भी सिर्फ राजनीति कर रहा है।

स्वतंत्र भारत के इतिहास का काला अध्याय ‘आपातकाल’

46 साल पहले भारत ने आपातकाल का अनुभव किया भारतीय इतिहास का काला अध्याय राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से निपटने के बजाय भारत पर इमरजेंसी ठोक देना और लोकतांत्रिक शक्तियों का दमन करना ज्यादा आसान लगा। ऐसा भी नहीं था कि 25 जून की रात अचानक से आपातकाल की घोषणा कर दी गई थी। इसके पीछे एक बड़ी रणनीति थी. देश की जनता पर आपातकाल थोपने का मकसद सत्ता में बने रहना का तो था ही इससे भी अधिक खतरनाक मंशा तत्कालीन हुकुमत की थी। हमें उस पक्ष पर भी  चर्चा करनी चाहिए, जिसके कारण देश के लोकतंत्र को एक परिवार ने बंदी बना लिया। दरअसल लोकतंत्र की हत्या करके ही जो चुनाव जीता हो उसे लोकतंत्र का भान कैसे रह जाएगा ? लोकतंत्र की उच्च मर्यादा की उम्मीद उनसे नहीं की सकती, जो जनमत की बजाय धनमत और शक्ति का दुरुपयोग करके सत्ता पर काबिज होने की चेष्टा करें।

सारिका तिवारी,(inputs by) पुरनूर – चंडीगढ़ 26 जून:

देश में आपातकाल की नींव इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले से पड़ गई थी जिसमें अदालत ने राजनारायण के पक्ष और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ अपना फैसला सुनाया था। अदालत के फैसले से पहले 12 जून 1975 की सुबह इंदिरा गांधी अपने असिस्टेंट से पूछती हैं। आज तो रायबरेली चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आना है। इस पर वहां मौजूद इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी कहते हैं, “आप बेफिक्र रहिए।” संजय का तर्क था कि इंदिरा की सांसदी को चुनौती देने वाले संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण के वकील भूषण नहीं थे। जबकि इंदिरा के वकील एसी खरे ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि फैसला उनके ही पक्ष में आएगा। कांग्रेसी खेमा पूरी तरह से आश्वस्त था, लेकिन उस दिन जो हुआ वो इतिहास बन गया। जस्टिस जगमोहन सिन्हा ने इंदिरा के खिलाफ अपना फैसला सुना दिया। जज ने इंदिरा गांधी को चुनावों में धांधली करने का दोषी पाया और रायबरेली से सांसद के रूप में चुनाव को अवैध घोषित कर दिया। साथ ही इंदिरा के अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी गई। हाईकोर्ट से मिले इंदिरा को झटके के बाद कांग्रेसी खेमा स्तब्ध रह गया तो राज नारायण के समर्थक दोपहर में दिवाली मनाने लगे।

पार्टी की अस्थिरता को दरकिनार कर स्वयं का वर्चस्व की रक्षा हेतु उस समय की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को संविधान की धारा 352 के तहत राष्ट्र आपात काल घोषित करना पड़ा। कहीं नौकरशाही और सरकार के बीच का संघर्ष, कभी विधान पालिका और न्यायपालिका के बीच विवाद, केशवानंद भारती और गोरखनाथ केस इन विवादों के साक्ष्य हैं। इससे पहले के चुनाव देखें तो कांग्रेस लगातार आज ही की तरह अपने ही अंतर कलह की वजह से सीटे गवाती रही। कई हिस्सों में बटी कांग्रेस का कांग्रेस (आर) इंदिरा के हिस्से आया जब इंदिरा गांधी ने कम्युनिस्ट पार्टी से मिलकर सरकार बनाई पार्टी का यह हाल हो गया था कि सिंडिकेट के दिग्गज भी अपनी सीटें ना बचा पाए। इंदिरा गांधी के कट्टर विरोधी मोरारजी देसाई ने पार्टी छोड़ी और इंदिरा को कमजोर करने में जुट गए। दूसरी और नीलम संजीवा रेड्डी, कामराज, निजा लिंगप्पा पूरी तरह से इंदिरा विरोधी थे। निजालिंगप्पा ने इंदिरा को पार्टी तक से निकाल दिया था।

इमरजेंसी के जो बड़े कारण बने वह है महंगाई, इंदिरा की कई मनमानियां, विद्यार्थियों का असंतोष, जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे की हड़ताल, जयप्रकाश नारायण का ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा।

सुब्रह्मण्यम स्वामी, ‘जिंदा या मुर्दा’

इमरजेंसी के दौरान इंदिरा ने बहुत मनमानियां की निरंकुश ढंग से अपने विरोधियों को कुचला, जॉर्ज फर्नांडिस तो कई साल जेल में ही रहे। उन्होंने तो चुनाव भी जेल से लड़ा सुब्रह्मण्यम स्वामी के ‘जिंदा या मुर्दा’ के वारंट जारी किए गए अखबारों पर अंकुश लगाया गया कि वह जनता की बात जनता तक ना पहुंचा पाएँ। लेकिन कुछ अखबारों ने पोस्ट खाली छोड़ कर सरकार का विरोध भी किया।

इस सब में संजय गांधी अपने मित्रों के साथ पूरी तरह से सक्रिय होकर उतरे मनमानीयों के लिए। कुछ नवनियुक्त पुलिस अधिकारी जिनमें किरण बेदी, गौतम कौल और बराड़ आदि भी शामिल थे, इन्होंने एक बार इन पर लाठीचार्ज भी किया जिसका खामियाजा इन्हे आपातकाल के हटने के बाद भी कई वर्षों तक भुगतना पड़ा। पड़ा। कई वर्षों तनख्वाह के बिना नौकरी की।

इमरजेंसी की मियाद खत्म होने संविधान में संशोधन किया गया संविधान की प्रस्तावना में सेक्यूलर शब्द शामिल किए गए सबसे बड़ी बात इस संशोधन में यह की गई के न्यायपालिका संसद द्वारा पारित किसि भी कानून को गलत नहीं ठहरा सकती।

आपातकाल की काली रात 19 महीने लंबी थी और इस लंबे वक्त तक देश का लोकतंत्र कोमा में रहा। जनता के अधिकार, लिखने बोलने की आजादी सब आपातकाल की जंजीरों में जकड़ी हुई थी। आपातकाल के दौरान इंदिरा के बेटे संजय गांधी की हनक थी। जबरन नसबंदी जैसे तानाशाही फैसलों ने जनता को परेशान कर दिया था। जनवरी के महीने में आपातकाल हटाने के फैसले के साथ-साथ राजराजनीतिक बंदियों को रिहा करने के आदेश दिए गए और आम चुनाव की घोषणा की गई। इंदिरा को लगने लगा था कि वो प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाएंगी, लेकिन जनता ने कुछ और ही सोच रखा था। 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई। इंदिरा गांधी.. संजय गांधी समेत तमाम नेता हारे और हार गई तानाशाही…
यह थी 1975 की इमरजेंसी और उसके परिणाम

चिकित्सालयों में मरीजों का बेहतर इलाज कर समुचित दवाईयां उपलब्ध कराई जाए – कृषि मंत्री

राहुल भारद्वाज:, सहारनपुर:

कोविड वैक्सीनेशन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाया जाए- प्रभारी मंत्री

सहारनपुर प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान तथा जनपद के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि कोरोना महामारी के दृष्टिगत प्रदेश की स्थिति हर दिन बेहतर होती जा रही है। ज्यादातर जिलों में संक्रमण के नये केस इकाई में आ रहे हैं, तो कई जनपदों में नये केस नहीं मिल रहे। उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रतिदिन ओ0पी0डी0 में मरीजों का इलाज किया जाए। मरीजों का बेहतर इलाज के साथ ही समुचित दवाईयां उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज को बाहर से दवा लाने के लिए दवाब न बनाया जाए। उन्होंने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के दृष्टिगत सभी जरूरी इंतजाम अभी से पूरे कर लिये जाए तथा कोविड वैक्सीनेशन को अभियान चला कर पूरा किया जाए।

सूर्य प्रताप शाही ने आज यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र फतेहपुर के निरीक्षण के दौरान यह बात कही। उन्हांेने कहा कि प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 03 लाख सैम्पल टैस्ट हो रहे हैं। पॉजिटिविटी दर 0.1 फीसदी रही, जबकि रिकवरी दर 99 प्रतिशत के आस-पास हो चुकी है। प्रदेश में अब तक 05 करोड़ 44 लाख 36 हजार 119 कोविड टेस्ट हो चुके हैं। जो देश में सर्वाधिक है। प्रदेश में कोविड टीकाकरण की पहली डोज प्राप्त कर चुके लोगों की संख्या 02 करोड़ से अधिक हो चुकी है, जबकि 39 लाख 11 हजार से अधिक लोगों को दोनों डोज मिल चुकी है। 18 से 44 आयु वर्ग के 50 लाख 81 हजार युवाओं को वैक्सीन कवर मिल चुका है। इस तरह अब तक 02 करोड़ 42 लाख 57 हजार से अधिक लोगों को वैक्सीन का टीका लगाया जा चुका है। उन्होंने चिकित्सकों को निर्देश दिए कि कोविड वैक्सीन के लिए आपके प्रयास ऐसे हो कि कोई भी व्यक्ति टीकाकरण से छूटे नहीं।कृषि मंत्री ने कहा कि मरीजों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना के नियंत्रण से हम सभी को यह समझना होगा कि वायरस कमजोर पड़ा है, समाप्त नहीं हुआ है। थोड़ी सी लापरवाही बहुत भारी पड़ सकती है। इसलिए कोरोना को हराने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।निरीक्षण के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ0 संजीव मांगलिक, उप जिलाधिकारी, बेहट,दीप्ति देव, डा0 कपिल देव और डा0 नवदीप गुप्ता सहित चिकित्सालय का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।

थाना बेहट पुलिस एवं राजस्व टीम द्वारा गैंगस्टर की संपत्ति कुर्क

राहुल भारद्वाज:, सहारनपुर:
सहारनपुर पुलिस द्वारा अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करने वालों पर दूसरे दिन भी कार्रवाई जारी।

सहारनपुर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा गैंगस्टर के अभियुक्तों की नियमानुसार संपत्ति जब्तीकरण हेतु चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत एसपी सिटी राजेश कुमार सिंह एवं एसपी देहात अतुल शर्मा व क्षेत्राधिकारी बेहट के कुशल पर्यवेक्षण में प्रभारी निरीक्षक थाना बेहट एवं राजस्व विभाग की टीम द्वारा आज थाना मिर्जापुर के गैंगस्टर शाहबाज़ उर्फ शहज़ाद द्वारा अपराधिक गतिविधियों से अर्जित की गई संपत्ति को राज्य सरकार के पक्ष में कुर्क करने की कार्रवाई की गयी।
सहारनपुर पुलिस द्वारा मात्र 2 दिन के अंदर आज अपराधियों की संपत्ति को कुर्क करने की दिशा में दूसरी बड़ी कार्यवाई सम्पन्न की गई। शातिर गोकश शहवाज उर्फ शहजाद पुत्र अफजाल निवासी मिर्जापुर पोल थाना मिर्जापुर के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट की धारा 14(1) के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए उसके द्वारा आपराधिक गतिविधियों से अर्जित रियायशी मकान जिसकी कीमत करीब 9 लाख को कुर्क कर लिया गया है।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सहारनपुर के निर्देशों के क्रम में शातिर अपराधियों के द्वारा आपराधिक कृत्यों से अर्जित संपत्ति को जब्त करने की कार्यवाई उनकी कमर टूटने तक लगातार जारी रहेगी।

‘‘कोविड इनोवेशन एवार्ड’’ में चयनित होने पर मेयर एवं नगरायुक्त को सम्मान

राहुल भारद्वाज सहारनपुर:

सहारनपुर स्मार्ट सिटी ‘‘कोविड इनोवेशन एवार्ड’’ में चयनित करने पर निगम के पार्षदों ने मेयर संजीव वालिया व नगर आयुक्त/सी०ई०ओ० स्मार्ट सिटी ज्ञानेन्द्र सिंह को बधाई दी है।
सहारनपुर स्मार्ट सिटी को कोरोना काल में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए कोविड इनोवेशन एवार्ड दिया जायेगा। केन्द्र सरकार के आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने शुक्रवार शाम इसकी घोषणा की।

केन्द्र सरकार का आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (महुआ) प्रत्येक वर्ष विभिन्न श्रेणियों में उल्लेखनीय कार्यों के लिए स्मार्ट सिटी में चयनित शहरों को एवार्ड प्रदान करता है। कोरोना काल में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए स्मार्ट सिटी की छठी वर्षगांठ पर आज महुआ द्वारा एवार्ड घोषित किये गये। जिसमें सहारनपुर स्मार्ट सिटी को भी ‘‘कोविड इनोवेशन एवार्ड’’ के लिए चयनित किया गया। स्मार्ट सिटी शहरों का चयन 4 राउन्ड में किया गया था। उक्त चारों राउन्ड के क्रमानुसार ही एवार्ड के लिए शहरों का चयन किया गया। पहले राउन्ड में चयनित स्मार्ट सिटी शहरों में से स्मार्ट सिटी चेन्नई तीसरे राउन्ड के शहरों में से बैंगलौर और चौथे राउन्ड के शहरों में चयनित सहारनपुर स्मार्ट सिटी को ‘‘कोविड इनोवेशन एवार्ड’’ के लिए चयनित किया गया।

सहारनपुर स्मार्ट सिटी के सी.ई.ओ./नगर आयुक्त ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि सहारनपुर स्मार्ट सिटी की कंसलटेंसी कम्पनी पी.एम.सी. द्वारा महुआ पर कोरोना काल में कराये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिए अपना प्रजे़न्टेशन दिया था। उसी प्रजे़न्टेशन के आधार पर सहारनपुर स्मार्ट सिटी का चयन ‘‘कोविड इनोवेशन एवार्ड’’ के लिए किया गया है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में सभी 70 वार्डों में साफ-सफाई, कूड़ा प्रबन्धन, सेनेटाईजेशन व फोगिंग आदि कार्यों के अलावा विभिन्न कम्युनिटी किचन के सहयोग से सहारनपुर स्मार्ट सिटी शहर द्वारा करीब सवा आठ लाख लोगों को तथा दूसरी लहर में करीब 35000 लोगों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया गया। नगर निगम परिसर में आई.एम.ए. के सहयोग से एक टेली मेडिसिन सेन्टर की स्थापना कर कोरोना काल में 3000 से अधिक लोगों को घर बैठे निःशुल्क चिकित्सा परामर्श तथा दूसरी लहर में करीब 1000 लोगों को चिकित्सा परामर्श उपलब्ध कराया गया। उन्होंने बताया कि अभी भी सभी वार्डों में सेनेटाईजेशन, फोगिंग, एन्टीलार्वा का छिड़काव लगातार जारी है।

सहारनपुर स्मार्ट सिटी का ‘‘कोविड इनोवेशन एवार्ड’’ के लिए चयन होने पर सभी पार्षदों ने मेयर संजीव वालिया व नगर आयुक्त/सी०ई०ओ० स्मार्ट सिटी ज्ञानेन्द्र सिंह को बधाई दी है।Attachments area

ऑडिट रिपोर्ट को सीसोदिया ने दी चुनौती, केजरीवाल ने झाड़ा पल्ला, 12 राज्यों में हुई हत्याओं का दोषी कौन?

दिल्ली में ऑक्सीजन के मुद्दे पर गठित सुप्रीम कोर्ट के एक पैनल ने जब अपनी रिपोर्ट पेश की तो आम आदमी पार्टी (आआपा) सरकार पूरी तरह उखड़ गई। बीजेपी की तरफ से सवाल हुआ तो डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने रिपोर्ट को ‘तथाकथित’ कहते हुए रिपोर्ट पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया। इस केस में सीएम अरविंद केजरीवाल ने यह कह कर कि वो दो करोड़ लोगों की लड़ाई लड़ रहे थे रिपोर्ट पर जवाबदेई से पल्ला झाड लिया। अब इस पूरे मामले पर सिर्फ और सिर्फ राजनीति होगी। कानून प्रावधान क्या होने चाहिए और क्या होंगे न तो इस पर चर्चा होगी न ही कोई बनती कार्यवाई। 12 राज्यों में प्राण दायिनी ऑक्सिजन की कमी से जो हत्याएँ हुईं उनको कभी भी न्याय नहीं मिलेगा।

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए ऑडिट पैनल ने अपनी रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पूरा देश मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए संघर्षरत था, तब अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने 4 गुणा अधिक ऑक्सीजन की माँग की थी।

इस दौरान राजनैतिक लाभ लेने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने लगातार यह कहा था कि दिल्ली को उचित मात्रा में ऑक्सीजन नहीं प्राप्त हो रही है, इसके कारण दिल्ली को आवश्यकता से अधिक ऑक्सीजन प्रदान करनी पड़ी। यह सब तब हुआ जब बाकी राज्य लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए लगातार प्रतीक्षा कर रहे थे।

ऑडिट पैनल की रिपोर्ट में PESO के द्वारा किए गए अध्ययन को शामिल किया गया है। इसमें यह बताया गया है कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्य टैंकर और कंटेनर की कमी से जूझ रहे थे, वहीं दिल्ली के 4 कंटेनर सूरजपुर आईनॉक्स में खड़े थे। ये कंटेनर इसलिए खड़े थे, क्योंकि दिल्ली में आपूर्ति आवश्यकता से ज्यादा थी और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन को स्टोर करने की कोई जगह नहीं थी। इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि दिल्ली द्वारा जितनी ऑक्सीजन की माँग की जा रही थी, वास्तविक आवश्यकता उससे कहीं कम थी।

अब चूँकि दिल्ली के अस्पतालों में आवश्यकता से अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध थी। इसलिए ऑक्सीजन निस्तारण में अधिक समय लगने लगा। इससे रिलायंस जैसे अपूर्तिकर्ताओं को भी अपने कंटेनर प्राप्त करने और उन्हें रिफिल करके भेजने में औसत से अधिक समय लग गया।

अंतरिम रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली न तो ऑक्सीजन के वास्तविक उपयोग का ऑडिट कर रही थी, न ही इसकी वास्तविक माँग का आकलन कर रही थी। इससे केंद्र सरकार उत्तरी भारत के अन्य राज्यों को ऑक्सीजन आवंटित कर सकने में असमर्थ थी, जहाँ अस्पतालों में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) की वास्तविक आवश्यकता थी।

ऑडिट पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, 5 मई से 11 मई के बीच पेट्रोलियम एंड ऑक्सीजन सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया था कि दिल्ली के लगभग 80% प्रमुख अस्पतालों में 12 घंटे से अधिक समय तक LMO का स्टॉक था। औसत दैनिक खपत 282 मीट्रिक टन से 372 मीट्रिक टन के बीच पाई गई और दिल्ली में उस समय मांग की जा रही 700 मीट्रिक टन LMO के लिए पर्याप्त भंडारण सुविधाएँ नहीं थीं।

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आआपा सरकार द्वारा LMO की कमी का दावा किया गया था। उसके बाद जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखने का निर्देश दिया था। वहीं, केंद्र ने विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर 415 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति निश्चित करने की बात कही थी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 9 मई से केजरीवाल की आआपा सरकार पड़ोसी राज्यों में वैकल्पिक भंडारण स्थान प्राप्त करने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उनके पास LMO के लिए भंडारण स्थान समाप्त हो गया था। दिल्ली की आआपा सरकार ने भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण एयर लिक्विड कंपनी से आवंटित LMO (150 एमटी) की तुलना में कम मात्रा में ऑक्सीजन उठाई थी। केजरीवाल सरकार ने कंपनी से पानीपत और रुड़की में अपने संयंत्रों में उनके लिए LMO स्टोर करने के लिए भी कहा था।

इतना ही नहीं, दिल्ली की आआपा सरकार के कारण ओडिशा में लिंडे और JSW झारसुगुड़ा जैसे संयंत्रों को अपने टैंकर होल्ड करने और अन्य राज्यों को आपूर्ति में देरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। दरअसल, दिल्ली में आआपा सरकार ने उपलब्ध और आवंटित ऑक्सीजन टैंकरों का उपयोग ही नहीं किया अथवा अस्पतालों में स्टोरेज की अनुपस्थिति के कारण टैंकर वापस कर दिए गए। गोयल गैसेस ने सूचित किया था कि दिल्ली के अस्पतालों के पास आवश्यक ऑक्सीजन उपलब्ध है और उनके पास कोई अतिरिक्त भंडारण सुविधा उपलब्ध नहीं है इसलिए उनके टैंकर लंबे समय तक इंतजार करते रहे जिसके परिणामस्वरूप अन्य राज्यों को ऑक्सीजन आपूर्ति में कमी हो गई।

दिल्ली में केजरीवाल की आआपा सरकार ने केंद्र सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए बड़े पैमाने पर हंगामा किया और दिल्ली की ऑक्सीजन को रोके रखने के लिए अन्य राज्यों को भी जिम्मेदार ठहराया था। केजरीवाल ने तो प्रोटोकॉल को भी तोड़ा और पीएम मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की गोपनीय बैठक के वीडियो फुटेज को टीवी पर दिखा दिया। मीटिंग में उन्हें यह कहते हुए देखा गया कि दिल्ली को ऑक्सीजन की बहुत अधिक जरूरत है। दिल्ली सरकार का राजनैतिक और मीडिया का ड्रामा इतना अधिक हो गया था कि अंततः सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देना पड़ा।

अब प्रश्न यह हा कि तब दिल्ली ऑक्सिजन की कमी का स्वत: संगयान लेने वाले न्यायालय अब आआपा की इस रिपोर्ट पर या कार्यवाई कराते हैं या फिर अब शास्त्र मौन हैं