ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा की बली चढ़ रहे भावी राष्ट्र निर्माता

कोरोना की मार से प्रभावित शिक्षा जगत के हालात यह हैं कि प्रदेश भर में स्कूल कॉलेज बंद हैं, विद्यार्थी एक प्रकार से बिना परीक्षा दिये ही उत्तीर्ण हो रहे हैं। होनहार छात्र भी परले दर्जे के नालायक छात्रों के समकक्ष डाल दिये गए हैं। जहां एक ओर :कम मेहनती छात्र अति उत्साहित हैं वहीं कर्मठ विद्यार्थी इस पूरे प्रकरण से आहत हैं। इनहि समस्याओं से जूझ रहे शिक्षा जगत के भविष्य को तलाशती हमारी संवाददाता ‘पुरनूर’ कोरल का छोटा सा प्रयास शायद नीति निर्धारकों तक गुरुजनों – विद्यार्थियों की बात पहुंचा सके।

पंचकुला, 19 जून:

कोरोना ने सबसे अधिक प्रभावित किया है तो शिक्षा जगत को, करोना की ही वजह से पिछले 2 साल से सभी स्कूल बंद है बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है और तो और काफी जगह परीक्षा तक ऑनलाइन नहीं गई है। इस बात से कोई भी अनभिज्ञ नहीं कि आखिर ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा कैसे हो रही है और यही नहीं दसवीं बारहवीं की तो परीक्षा रद्द कर दी गई है। अब प्रश्न यह उठता है कि विद्यार्थी की काबिलियत का किसी को भी कैसे पता चलेगा, विद्यार्थी को किस और जाना है यह बात कोई कैसे जान पाएगा तो इसी से जुड़े कुछ सवाल लेकर आज हमने शहर के कुछ अध्यापक व विद्यार्थियों से बात की। हमने बच्चों के पेरेंट्स से भी बात करनी चाही पर जिनसे हमारी मुलाकात हुई उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। दूसरी ओर जिन अध्यापक व विद्यार्थियों से हमारा मिलना हुआ उन्होंने सीधी सटीक बात करते हुए इस विषय पर चर्चा की।

जब हम जैनेंद्र पब्लिक स्कूल पंचकूला की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रेनू शर्मा से मिले तो उन्होंने बताया की बच्चा घर पर बैठकर ऑनलाइन कम ही पढ़ेगा क्योंकि उसे किसी अध्यापक की जरूरत है, अपनी मर्जी से कभी भी किताब नहीं उठाएगा और घर पर रहकर उसके ऊपर किसी की भी निगरानी नहीं होगी, क्योंकि बच्चा कभी भी अपने माता-पिता से उस तरह से नहीं डरता जिस तरह से वह अपने अध्यापक से डरता है। उन्होंने अपने विद्यालय से संबंधित यह समस्या बताइ कि उनके विद्यालय में कुछ माता-पिता ऐसा कहते हैं कि उनके फोन में नेटवर्क इश्यू आता है या फिर उनका डाटा खत्म हो जाता है इसलिए वह बच्चों को अपना फोन नहीं दे सकते इसीलिए बच्चों ऑनलाइन पढ़ना बिल्कुल व्यर्थ ही जा रहा है।

उन्होंने कहा कि माता-पिता अभी तो इस बात से खुश हैं कि उनका बच्चा प्रमोट हो रहा है ,लेकिन वे यह नहीं जानते कि उनके बच्चे ने जो पढ़ाई नहीं की है उसका नतीजा आने वाले समय में उनको भुगतना पड़ सकता है । पूछे जाने पीआर कि उन बच्चों का क्या जिन्होंने अभी बस सकूल में दाखिला लिया है वह कैसे पढेंगे क्योंकि इतना छोटा बच्चा है टिकता ही नही फ़ोन पर ऑनलाइन क्लास लगाना तो उसकी तरफ से हो ही नही पायेगा , इस बात पर हामी भरते हुए अन्य अधियापिकाओं ने कहा कि उनके लिए सबसे ज्यादा कठिन समय होगा आने वाला क्योंकि उनको न तो पढ़ना आएगा न लिखना उन्होंने खाकी घर बैठे बैठे अच्छे विद्यार्थियों ने लिखना कम कर दिया है तोह यह तोह वो विद्यार्थी होंगे जिन्होंने अभी बस शुरुआत करनी है।

विद्यार्थियों से मिले तो उन्होंने भी यही कि उनको यह ऑनलाइन पढाई ठीक नही लग रही क्योंकि घर पर बैठ कर अन्य काम आ जाते हैं । ऑनलाइन पढाई में कभी टेक्निकल समस्या होती हैं की नही लग पाती। जब भी क्लास लगती है तो आधा उनको समझ नही आता और परीक्षा में अगर नम्बर कम आएं तोह घरवालो से सुनना उनको पड़ता है। वह भी तब जब उनकी कोई गलती है नही उन्होंने इतना भी कहा कि भविष्य में हो सकता है हमें कोई भी यह कह दे कि तुम्हे क्या ही पता तुम तो बस यूं ही परीक्षा सफल करके आगे पहुँचे हो लेकिन किसी को क्या ही पता होगा कि को पढ़ा है और कौन नही पढ़ा क्योंकि किसी ने भी उनको उनके घर आकर तो देखा नहीं है और जिस प्रकार से हर विद्यार्थी एक समान अंक हासिल कर रहा है तो उनके लिए कम्पटीशन और बढ़ रहा है जिसके कोई मायने ही नही होंगे।

छात्राओं ने कहा कि वह डबल मास्क लगाकर और सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए स्कूल आकर पढ़ने को तैयार है और यह लोग स्कूल खोलें तो सही रहेगा।