विदेश में अध्ययन हेतु भारतीय छात्रों को टीकाकरण सम्बन्धी समस्याओं का हो तुरंत समाधान: अभाविप
अभाविप ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री को सौंपा ज्ञापन
पंचकुला, हरियाणा – 16 जून :
अभाविप ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री को भारतीय छात्रों, जिन्हें को वैक्सिन का टीका लगाया गया है और 18 वर्ष से कम आयु के छात्र जो टीकाकरण की आयु सीमा में नहीं आते हैं, उनके विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा तथा सरकार से विदेश में पढ़ने की योजना बना रहे छात्रों की समस्याओं को तुरंत हल करने का अनुरोध भी किया।
अभाविप ने अपने ज्ञापन से माननीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का ध्यान विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय छात्रों की ओर आकर्षित किया। अभाविप ने अपने ज्ञापन में बताया कि, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों सहित कई देश को वैक्सीन का टीका लगवाने वाले भारतीय छात्रों को ‘अवांछित’ या टिकरहित मान रहे हैं। इस तरह के व्यवहार से भारतीय छात्रों को गंभीर असुविधा और शैक्षणिक नुकसान होने का अनुमान है। यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि भारत बायोटेक द्वारा आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के सहयोग से किए गए रोग विषयक परीक्षणों में कोवैक्सीन वायरस के विरुद्ध 78% प्रभावी साबित हुई है। व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फौसी सहित दुनिया भर के शीर्ष वायरोलोजिस्ट ने माना है कि भारत की कोवैक्सिन कोरोना वायरस के 617 प्रकारों के विरुद्ध प्रभावी है।
इसके अलावा, कई उच्च माध्यमिक छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए आवेदन करते हैं तथा 18 वर्ष से कम आयु के छात्र जिन्होंने अमेरिकी या ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सैट पास किया है, अभी तक टीकाकरण नीति के अन्तर्गत नहीं आते हैं, ऐसे में बाहर के विश्विद्यालयों के ऐसे रवैये से उनके शैक्षणिक नुकसान होने का खतरा है।
एबीवीपी हरियाणा के प्रदेश मंत्री श्री सुमित जागलान ने कहा कि, “अनिश्चितता और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, अभाविप ने आज केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री से अनुरोध किया कि वे विदेश में पढ़ने के इच्छुक छात्रों के सामने आने वाली समस्याओं को देखें और तुरंत उनका समाधान करें। हमने माननीय स्वास्थ्य मंत्री से जल्द से जल्द इस संबंध में एक बयान जारी करने का भी अनुरोध किया है, ताकि छात्रों और उनके परिजनों की चिंताओं को दूर किया जा सके। हमने सरकार से डब्ल्यूएचओ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ गतिरोध को समाप्त करने का प्रयास करने का भी अनुरोध किया है।”