शनैश्चर जयंती 2021
नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
10 जून 2021 को शनैश्चर जयंती है. साढे साती, ढैया और कमजोर विंशोत्तरी के प्रभाव को कम करने के लिए शनिदेव के सहज उपाय कारगर सिद्ध होते हैं. ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनैश्चर जयंती मनाई जाती है. भाग्य के देवता न्यायाधिपति शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए लोग विभिन्न उपाय करते हैं.
धर्म/संस्कृति डेस्क, डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम :
कोरोना संक्रमण के बीच शनि जयंती 10 जून को आस्था व उल्लास के साथ मनाई जाएगी। इस मौके पर पुष्प और विद्युत सज्जा से सजे शनि मंदिरों में भगवान का तिल-तेल से अभिषेक होगा। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते भक्तों के बिना पूजा-अर्चना के साथ कोरोना मुक्ति के लिए प्रार्थना होगी।
शनिदेव की जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या को है. शनैश्चर जयंती को पिता सूर्य को ग्रहण लगने वाला है. यह ग्रहण भारत में अमान्य होगा. इसका सूतक भी भारतवर्ष में नहीं लगेगा. कंकणाकृति ग्रहण दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, दक्षिण पश्चिम अफ्रीका, प्रशांत महासागर एवं आइसलैंड क्षेत्र में दिखाई देगा.
सूर्यग्रहण सर्वाधिक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है. इसका निर्माण सूर्य और पृथ्वी के चंद्रमा के आने पर होता है. अर्थात् तीनों एक सीध में होते हैं. सूर्यदेव की चाल से चंद्रमा और पृथ्वी को अपनी गति व्यवस्थित करना होती है. ऐसे में पृथ्वी पर अत्यावश्यक भौगोलिक सुधार होते हैं.
कंकणाकृति सूर्यग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक लगता है. यह विशेषतः दृश्य क्षेत्र में मान्य होता है. शनिदेव की शनैश्चर जयंती के दिन ग्रहण होना विभिन्न राशियों के लिए भाग्य में आकस्मिक बदलावों का संकेतक है. शनिदेव भाग्यदाता ग्रह हैं. इन दिनों वे सूर्य के प्रभाव से उलटी चाल में हैं. ऐसे ग्रहण का आना शनिदेव के प्रभाव को अत्यधिक बढ़ाने वाला है. ग्रहण के दौरान ऐसे कार्याें से दूरी रखें जिनके कारक शनिदेव हैं. लोहे के सामान और औजारों को न छुएं. ऐसी भूमि क्षेत्र से दूरी रखें जो दलदली हो. भारी मशीनरी से बचाव रखना भी उचित होगा
शनिदेव न्याय के देवता हैं. ग्रहण के दौरान किसी को हानि न पहुंचाएं. ग्रहण के दौरान पाप-पुण्य का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. ऐसे में कोई चूक न करें. शनिदेव और सूर्यदेव के मंत्रों का जाप कर सकते हैं. ग्रहण रात्रिकाल में रहेगा. रात्रि में हल्का भोजन लें. तनावमुक्त अवस्था में शयन पर जोर दें.