उ.प.रेलवे के स्टेशनों पर प्रशंसनीय सौर ऊर्जा पानी संरक्षण और वृक्षारोपण. विशेष रिपोर्ट
करणीदानसिंह राजपूत, सूरतगढ़ :
विश्वभर में पर्यावरण संरक्षण शुद्धता के लिए उठाए जा रहे कदमों में भारतीय रेलवे का उ.प.रेलवे ने अनेक प्रशंसनीय कार्य किए हैं जिनका अच्छा लाभ अभी मिलने लगा है और भविष्य में अपार मिलेगा।
बिजली की बचत और पर्यावरण संरक्षण का उत्तरदायित्व आज व्यक्ति विशेष का न होकर सभी का हो गया है ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ जीवन प्रदान किया जा सके। ऊर्जा संरक्षण के साथ पर्यावरण को सुदृढ़ बनाने के लिये रेलवे भी लगातार सकारात्मक कदम उठा रहा है, जिसमें परम्परागत संसाधनों के स्थान पर पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतो का अधिकाधिक उपयोग किया जा रहा हैं।
उत्तर पश्चिम रेलवे के उपमहाप्रबंधक (सामान्य) व मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे भी अपने प्रयासों को गति प्रदान कर प्रदुषण रहित पर्यावरण की मुहिम को बढाने के साथ-साथ राजस्व की भी बचत कर रहा है।
इस रेलवे पर विगत समय में सौर ऊर्जा पर काफी कार्य किये गये है। इस रेलवे पर कुल 6906 केडब्ल्यूपी क्षमता के सोलर पैनल स्थापित किये गये है। इनसे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ लगभग 4 करोड़ के राजस्व की बचत भी प्रतिवर्ष हो रही है।
हरित ऊर्जा की पहल के अन्तर्गत जयपुर, अजमेर तथा जोधपुर स्टेशनों पर उच्च क्षमता के सोलर पैनल स्थापित कर ऊर्जा प्राप्त की जा रही है। इसके साथ ही जैसलमेर में 26 मेगावाट का विण्ड-मिल भी कार्य कर रहा हैं।
बिजली की बचत के लिये इस रेलवे पर ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग किया जा रहा हैं। ऊर्जा दक्ष उपकरणों में रेलवे द्वारा एलईडी आधारित उपकरणों का अधिकाधिक प्रयोग किया जा रहा है। स्टेशनों पर एलईडी लाइट, बोर्ड, हाई मास्ट टावर इत्यादि लगाये गये है। एलईडी आधारित उपकरणों से प्रकाश की क्वालिटी बेहतर प्राप्त होती है साथ ही इनसे बिजली की भी बचत होती है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर पर 100 प्रतिशत एलईडी लाइटों का उपयोग किया जा रहा है और इस रेलवे पर 1,11,000 एलईडी फीटिग्स को रेलवे कार्यालयों, स्टेशनों, भवनों, रेलवे क्वार्टरों इत्यादि में लगाया गया। इससे प्रतिवर्ष 59 लाख यूनिट की बचत के साथ लगभग 4.86 करोड के राजस्व की बचत की जा रही है।
स्टेशन पर प्लास्टिक बोतल का कचरा अधिक होता है और इसे इधर-उधर फेंक देने से गंदगी फैलती है और यह पर्यावरण को दुषित भी करता है, इसके निराकरण के लिये जयपुर, जोधपुर आबूरोड, बीकानेर, हिसार, लालगढ, गांधीनगर जयपुर, अलवर तथा जैसलमेर और अजमेर स्टेशनों पर बोतल क्रसर प्लांट स्थापित किये गये है, जिससे प्लास्टिक बोतलों उचित निराकरण होता है। इनके अतिरिक्त अन्य स्टेशनों पर भी बोतल क्रसर प्लांट लगाये जाने का कार्य विचाराधीन है।
गाड़ियों की धुलाई में उपयोग किये गये पानी के पुनः उपयोग हेतु जयपुर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, हिसार तथा बाडमेर स्टेशनों पर स्थापित वाटर रि-साइकिल प्लांट द्वारा पानी की बचत की जा रही है।
इसी प्रकार जोधपुर, मेडता रोड़, मदार, बीकानेर, हिसार, बाडमेर, लालगढ व श्रीगंगानगर में आॅटोमैटिक कोच वाशिंग संयंत्र द्वारा पानी की बचत की जा रही है। इसके अतिरिक्त बारिश के पानी को सहज कर पुनः उपयोग के लिये 100 से अधिक स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट उपलब्ध है तथा आगामी समय में अन्य स्थानों पर भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
उत्तर पश्चिम रेलवे पर पर्यावरण संरक्षण तथा प्रदुषण को नियंत्रित करने के किये गये कार्यों को मद्देनजर रखते हुये स्टेट पाॅल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड द्वारा 32 स्टेशनों को सर्टिफिकेट जारी किये गये है। इसके अतिरिक्त राजस्थान ऊर्जा विभाग द्वारा ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2020 के लिये उत्तर पश्चिम रेलवे के 12 बिल्डिंग/इंस्टीट्यूट को ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार प्रदान किया गया है
रेलवे द्वारा अपने हरित पर्यावरण के दायित्व की अनुपालना के लिये समय-समय पर वृक्षारोपण किया जाता है, उत्तर पश्चिम रेलवे पर विगत वर्षों में लगभग 5 लाख वृक्षों का वृक्षारोपण किया गया। रेलवे का प्रयास है कि पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के लिये यथासंभव कार्य किये जाये और पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतों का अधिकाधिक उपयोग किया जाये।