पंचांग 28 मई 2021

वीणा को बजाते हुए हरिगुन गाते हुए नारद जी अपनी भक्ति संगीत से तीनो लोकों को तारते हैं। नारद जी ने ही उर्वशी का विवाह पुरुरवा के साथ करवाया। वाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा भी नारद जी ने ही दी। व्यास जी से भागवत की रचना उन्होंने ही करवायी। ये व्यास, वाल्मीकि और शुकदेव के गुरु हैं। नारद जी ने ही ध्रुव और भक्त प्रहलाद को भक्ति मार्ग का उपदेश दिया। उनके द्वारा लिखित भक्तिसूत्र बहुत महत्वपूर्ण है। मत्स्यपुराण में वर्णित है कि श्री नारद जी ने बृहत्कल्प-प्रसंग में जिन अनेक धर्म-आख्यायिकाओं को कहा है, 25,000 श्लोकों का वह महाग्रन्थ ही नारद महापुराण है। वर्तमान समय में उपलब्ध नारदपुराण 22,000 श्लोकों वाला है। 3,000 श्लोकों की न्यूनता प्राचीन पाण्डुलिपि का कुछ भाग नष्ट हो जाने के कारण हुई है।

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः ज्येष्ठ, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः द्वितीया प्रातः 09.37 तक है, 

वारः शुक्रवार, 

नक्षत्रः मूल रात्रि 08.02 तक हैं, 

योगः साध्य 02.57 तक, करणः गर, 

सूर्य राशिः वृष, चंद्र राशिः धनु, 

राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.29, 

सूर्यास्तः 07.09 बजे।

नोटः आज श्री नारद जयंती और वीणादान का पर्व है।

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।