रामदेव के खिलाफ गहलोत हुए सक्रिय, छापेमारी जारी
एक दैनिक टीवी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आदेश पर मिल पर छापा मारा गया। बताया जा रहा है कि खैरथल से इस फैक्ट्री से भारी मात्रा में सरसों का तेल बाबा रामदेव की कम्पनी पतंजलि को जाता है। पतंजलि इस तेल पर अपना ठप्पा लगाकर बाजार में बेचती है। इस शिकायत के आधार पर जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अलवर के उप खण्ड अधिकारी योगेश डागुर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। सनद रहे की इससे पहले भी बाबा रामदेव के खिलाफ कांग्रेस विद्वेषपूर्ण रवैया रखती आई है। वह रामलीला मैदान पर पुलिस की क्रूरता हो या फिर उत्तराखण्ड में पतंजलि पर हुई असंवैधानिक कार्यवाई। जहां जहां भी कॉंग्रेस सरकारें हैं वहाँ वहाँ रामदेव पर सरकारी तंत्र की लाठी चलती ही रहती है।
राजस्थान(ब्यूरो) :
पतंजलि और आईएमए के बीच जारी विवाद के बीच राजस्थान के अलवर कलेक्ट्रेट के अधिकारियों ने पतंजलि की सरसों तेल निर्माता कंपनी सिंघानिया तेल मिल पर बुधवार (26 मई 2021) को छापा मारा।
एक दैनिक टीवी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आदेश पर मिल पर छापा मारा गया। अधिकारियों ने कथित तौर पर मिल से बड़ी मात्रा में पतंजलि के पैकिंग पाउच बरामद करने के बाद उसे सील कर दिया। हालाँकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह छापेमारी क्यों की गई थी।
अलवर कलेक्ट्रेट ने एक जाँच समिति का गठन किया है और संकेत दिया है कि मामले की जाँच सीबी-सीआईडी को सौंपी जा सकती है।
आईएमए और बाबा रामदेव के बीच विवाद
इससे पहले बुधवार को, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर माँग की कि योग गुरु रामदेव पर टीकाकरण पर कथित गलत सूचना अभियान चलाने और कोविड-19 के इलाज के लिए सरकारी प्रोटोकॉल को चुनौती देने के लिए राजद्रोह के आरोपों के तहत तुरंत मामला दर्ज किया जाए। आईएमए की उत्तराखंड इकाई ने बाबा रामदेव को अगले 15 दिनों के भीतर लिखित माफी माँगने या 1000 करोड़ रुपये के मानहानि के नोटिस का सामना करने को कहा है।
सोशल मीडिया में वायरल हुए एक वीडियो में, रामदेव को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया था कि एलोपैथी एक खोखली प्रथा है और एलोपैथिक दवाओं के कारण कई लोगों की जान चली गई है। इस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कड़ी आपत्ति जताई थी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रामदेव की टिप्पणी पर संज्ञान नहीं लेने पर कोर्ट जाने की धमकी भी दी थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने रामदेव को पत्र जारी कर उन्हें अपने बयान वापस लेने का निर्देश दिया था। अपने बयान को वापस लेने के बाद रामदेव ने एलोपैथी के उपचार को लेकर आईएमए और फार्मा कंपनियों से 25 सवाल पूछे थे।
आईएमए ने बाबा रामदेव को भेजा है 1000 करोड़ रुपए मानहानि का नोटिस
गौरतलब है कि बाबा रामदेव का एलोपैथी पर बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आईएमए ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए हुए सरकार को उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा था। इतना ही नहीं आईएमए ने बाबा रामदेव के बयानों को आधार बनाकर उनपर 1000 करोड़ रुपए की मानहानि का नोटिस भी भेजा है। योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथिक उपचार की प्रभावशीलता को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फार्मा कंपनियों से 25 सवाल पूछे जाने के कुछ दिनों बाद IMA ने उन्हें ये मानहानि का नोटिस भेजा है।
बाबा रामदेव के बयान के बाद से आईएमए ने उनके संगठन पतंजलि के खिलाफ हमले को तेज कर दिया है। भारत में ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए मेडिकल फैसिलिटीज के लिए इस्तेमाल के लिए आईएमए अध्यक्ष के खुले समर्थन पर हालिया रिपोर्टों के बाद यह विवाद और तेज हो गया था। आईएमए के अध्यक्ष जेए जयलाल को कई इंटरव्यू के दौरान और बयानों में धर्मान्तरण के लिए आह्नान करते हुए पाया गया था। इतना ही नहीं उन्होंने कोरोना काल को भगवान यीशु को स्वीकार करने के एक अवसर के रूप में बताया था।