सोम प्रदोश व्रत

नारद पुराण के अनुसार सोमवार व्रत में व्यक्ति को प्रातः स्नान करके शिव जी को जल और बेल पत्र चढ़ाना चाहिए तथा शिव-गौरी की पूजा करनी चाहिए. शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए. इसके बाद केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए. साधारण रूप से सोमवार का व्रत दिन के तीसरे पहर तक होता है. मतलब शाम तक रखा जाता है. सोमवार व्रत तीन प्रकार का होता है प्रति सोमवार व्रतसोम प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार का व्रत. इन सभी व्रतों के लिए एक ही विधि होती है.

धर्म/संस्कृति डेस्क, डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम

इस बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रदोष व्रत 24 मई 2021 दिन सोमवार को पड़ रहा है। सोमवार भगवान शिव का दिन है ऐसे में यह प्रदोष व्रत और भी ज्यादा शुभफलदाई माना जा रहा है।

हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में प्रदोष वृत्र रखा जाता है। माह में 2 और वर्ष में 24 प्रदोष होते हैं। तीसरे वर्ष अधिकमास होने से 26 प्रदोष होते हैं। हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है। सोमवार के प्रदोष को सोम प्रदोष, मंगलवार के प्रदोष को भौम प्रदोष और शनिवार का आने वाले प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं। अन्य वार को आने वाला प्रदोष सभी का महत्व और लाभ अलग अलग है।

सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ:-

24 मई 2021 तड़के 03 बजकर 38 मिनट सेत्रयोदशी तिथि समाप्त:- 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनटपूजा के लिए शुभ मुहूर्त:- शाम 07 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तक.

सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक व्रत कथा

एक समय की बात है एक गावं में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का निधन हो चूका था। उसकी देखभाल करने वाला अब कोई नहीं था। वह बहुत ही गरीब थी इसलिए भिक्षा मांग कर अपना जीवनयापन करती थी। उसका एक छोटा पुत्र भी था। जब वह भिक्षा मांगने जाती तब वह उसे भी साथ ले जाया करती थी। भिक्षा में जो कुछ भी उन्हें मिलता माँ और पुत्र उसे खा-पी कर ही सो जाया करते थे।   

वह ब्राह्मणी पूजा – पाठ में बहुत विश्वास किया करती थी। वह शंकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का प्रदोष व्रत भी रखा करती थी।  

एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तब उसे एक लड़का घायल अवस्था में जमीन पर पड़ा हुआ मिला। इस अवस्था में उस लड़के को देख कर ब्राह्मणी को उस पर दया आ गई। वह लड़का मगध का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर के उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।

एक दिन श्रीभानु मती नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन श्री भानु मती अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार बहुत अच्छा लगा।

कुछ दिनों बाद श्रीभानु मती के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और श्री भानु मती का विवाह कर दिया जाए। उन्होंने वैसा ही किया।

ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने मगध से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के राज्य को पुन: प्राप्त कर आनंदपूर्वक रहने लगा।

राजकुमार उस बात को भुला नहीं जब उस ब्राह्मणी ने उसकी सहायता की थी। इसलिए वह राजकुमार ब्राह्मणी के घर गया और उसके पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बना लिया। ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के महात्म्य से जैसे राजकुमार और ब्राह्मण-पुत्र के दिन फिरे, वैसे ही शंकर भगवान अपने दूसरे भक्तों के दिन भी फेरते हैं। अत: सोम प्रदोष का व्रत करने वाले सभी भक्तों को यह कथा अवश्य पढ़नी अथवा सुननी चाहिए।

सोम प्रदोष :

  1. सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर इसे सोम प्रदोष कहते हैं। यह व्रत रखने से इच्छा अनुसार फल प्राप्ति होती है।
  2. 2. सोमवार शिवजी का खास दिन है इस दिन उनकी और माता पार्वती की पूजा और आराधना करने से प्रदोष फल दोगुना हो जाता है।
  3. जिसका चंद्र खराब असर दे रहा है उनको तो यह प्रदोष जरूर नियम पूर्वक रखना चाहिए जिससे जीवन में शांति बनी रहेगी।
  4. अक्सर लोग संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं।
  5. रवि प्रदोष, सोम प्रदोष व शनि प्रदोष के व्रत को पूर्ण करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। सर्वकार्य सिद्धि हेतु शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई भी 11 अथवा एक वर्ष के समस्त त्रयोदशी के व्रत करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य और शीघ्रता से पूर्ण होती है।
  6. प्रदोष रखने से आपका चंद्र ठीक होता है। अर्थात शरीर में चंद्र तत्व में सुधार होता है। माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। मानसिक बैचेनी खत्म होती है।
  7. प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्‍वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है। प्रदोष व्रत में केवल एक समय फलाहार करना चाहिए। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।ऐसा करने से उत्तम सेहत प्राप्त होती है।
  8. प्रदोष व्रत में प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके पूजन के बाद दूध का सेवन करें और फिर पूरे दिन निर्जला व्रत करें।
  9. इससे भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
  10. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानी संध्या के समय की जाती है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत की तिथि के संध्या में भगवान शिव कैलाश पर अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं।विधिवत पूजा करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं।
  11. सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने लिए रखा जाता है। सोम प्रदोष व्रत को रखने से भक्तों को
  12. भगवान शिव और माता पार्वती सौभाग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं।