यतिश शर्मा, पंचकूला:
जीवन और मृत्यु के योग में उलझती ये दुनिया आखिर क्यों भूल जाती है कि जीवन और मृत्यु के बीच मे एक जिंदगी भी है जिसको जीने के लिये धरती लोक में जन्म लेने वाले तेरे मेरे के चक्कर में आखिर क्यों भूल जाते हैं कि ना तो वो कुछ लेकर आये थे ना ही कुछ लेकर जायेगे यह बात वर्ल्ड ह्यूमेन राइट ऑबजर्वर की वर्ल्ड महिला विंग निदेशक प्रीति धारा ने पंचकूला की दबंग पत्रकार सुधा जग्गा के कोरोना वायरस के कारण हुई आकस्मिक निधन पर उन्हें अश्रुल श्रद्धांजलि देते हुए प्रेसविज्ञप्ति जारी करते हुए कही ।
उन्होंने कहा कि 6 वर्ष पूर्व उनकी मुलाकात सुधा जग्गा से एक प्रोग्राम के तहत हुई थी और जब उनकी जिंदगी के बारे में पता चला कि सुधा जग्गा ने अपनी जिंदगी में कई कठनाइयों का सामना कर लोगो के दिलो में जो स्नेह अपना बना रखा था उनके इसी स्नेह के कारण उनका इस प्रकार से साथ छोड़ चले जाने से पंचकूला का हर शख्स जिसने उनके साथ कार्य किया था गमगीन हो ये ही बात कर रहा है कि सुधा जग्गा इस जहान से ऐसे अपने कार्यों को पूर्ण किये बिना कैसे जा सकती है ।उनकी मृत्यु को पंचकूला निवासी विश्वास नही कर पा रहे हैं ।
1969 को मलोट में पैदा हुई सुधा जग्गा का जीवन बचपन से ही सँघर्षमय गुजरा था । माता – पिता के इलावा एक छोटा भाई सुधीर जग्गा है जिससे उन्हें बहुत लगाव रहा और उस्की हर खुशी के लिए किसी से भी वो लड़ पड़ती थी उनका वैवाहिक जीवन भी सँघर्ष मई रहा । इतनी कठनाईयो के बीच उन्होने एक पुत्र को जन्म दिया । वैवाहिक जीवन ठीक ना होने के कारण उन्होंने अपने पुत्र अनीश जग्गा को साथ लेकर पति का घर छोड़ दिया ।और पंचकूला चली आई और अपने पुत्र के भविष्य को देखते हुए अपना पहला कार्य बर्फ की फैक्ट्री लगा कर शुरू किया । जमीनी सत्र से जुड़ी सुधा जग्गा ने कभी अपने कार्य को छोटा बड़ा नही समझा और अपनी पूरी मेहनत और लगन से अपने कार्यों को किया ।
प्रीति धारा ने कहा कि अगर उनके जीबन पर कोई लिखना भी चाहे तो अल्फ़ाज़ कम पड़ जाते हैं । सुधा जग्गा ने अपने जीवन का सिर्फ एक ही लक्ष्य बना रखा था कि वो किसी भी व्यक्ति व महिला के खिलाफ कभी भी अन्याय नही होने देना चाहती थी चाहे वो अपना हो या पराया सबके दुख दर्द में वो हमेशा साथ चली उन्होंने अपनी एक संस्था चिराग कला अकादमी भी शुरू की जिसमे उन्होंने बच्चों व कला प्रेमियों के हुनर को आगे लाने के लिए एक मंच दिया ताकि कला प्रेमियों की कला को लोगो के सामने ला सके । मशहूर कॉमेडियन खयाली सहारण को भी चिराग कला अकादमी के बैनर तले पहला मंच उन्होंने ही दिया ।
उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना खुद का चेंनल 8 को शुरू कर अपनी एक नई पारी के माध्यम से शुरू किया और सरकार द्वारा जनता के लिए दी जा रही सुविधाएं जन जन तक पंहुचाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से भी टकराने की हिम्मत जुटा सबको न्याय दिलवाया । ये ही कारण था कि सुधा जग्गा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साथ हर फील्ड से जुड़े कर्मचारियों की चहेती बन गई थी इतने कम समय में जहां वो सबकी चहेति बन चुकी थी वहीं कुछ लोग उनकी इस कामयाबी से नाखुश लोगो ने उन्हें गिराने की बहुत कोशिश की लेकिन वो कभी भी डगमगाई नही ओर अपने होंसले से वो हमेशा सँघर्ष करती रही ।यहाँ तक कि उनके पारिवारिक जान पहचान वाले अपने उन्हें गिराने में लगे रहे लेकिन वो कभी भी डगमगाई नहीं
प्रीति धारा ने बतलाया कि समाज की सेवा के साथ साथ वो अपने बेटे और भाई से बहुत प्यार करती थी लेकिन हर परिवार में कोई कोई समस्या जरूर होती है जो कि उनके परिवार में भी थी । ओर पिछले काफी समय से सुधा जग्गा परेशान चल रही थी । जीवन लीला समाप्त होने से पहले यानी लोकडाउन के तहत वो घर घर जा जरूरत मन्दो की जरूरत पूरी करने के लिए सुधा जग्गा उनकी जरूरत पूरी करने में लगी रही और खुद कोरोना की शिकार हो गई ।एक तो कोरोना उस पर घर की समस्याओ ने उनके होंसले कमजोर कर दिये जिस कारण वो हमारे बीच नही रहीं ।
वर्ल्ड ह्यूमेन राइट ऑबजर्वर की वर्ल्ड चेयरपर्सन राजश्री शर्मा ,वर्ल्ड निदेशक यतीश शर्मा , धारा परिचय फाउंडेशन के महासचिव आकाशदीप , वर्ल्ड ह्यूमेन राइट के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सोंधी , राष्ट्रीय लीगल सेल की डायरेक्टर पायल धुपर , ब्रेंड अम्बेसडर रितू वर्मा ,आचार्य राजीव शर्मा , पत्रकार राजकुमार राणा ,दिव्या , वरिष्ठ पत्रकार सुभाष शर्मा आदि महानुभाव ने उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया ।