सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्त्व होता है. यह सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहते हैं. वरूथिनी एकादशी का व्रत 7 मई 2021 को पड़ रहा है. यह एकादशी श्री हरिविष्णु को समर्पित है. माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से कई वर्षों के तप और कन्या दान करने के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि इस दिन वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य के सभी दुख दूर हो जाते हैं और सुखों की प्राप्ति होती है. दरिद्रता, दुख और दुर्भाग्य दूर करने के लिए एकादशी तिथि पर आप भी इस व्रत कथा का श्रवण कर सकते हैं.
विक्रमी संवत्ः 2078,
शक संवत्ः 1943,
मासः वैशाख,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः एकादशी अपराहन् 03.33 तक है,
वारः शुक्रवार,
नक्षत्रः पूर्वाभाद्रपद दोपहर 12.26 तक हैं,
योगः वैधृति सांय 07.29 तक,
करणः बालव,
सूर्य राशिः मेष,
चंद्र राशिः कुम्भ,
राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.40,
सूर्यास्तः 06.56 बजे।
नोटः वरूथिनी एकादशी व्रत है।
विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।