दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केजरीवाल सरकार को लताड़ भी लगाई है। इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से कहा है कि उन्होंने तो दिल्ली सरकार से होटल रिजर्व करने के लिए नहीं कहा था। कोर्ट ने कहा कि हम अपने 2 जज खो चुके हैं और अगर हाईकोर्ट के किसी स्टाफ को जरूरत पड़ती है तो अस्पताल की सुविधा दी जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि उसने अपने न्यायाधीशों के लिए अशोक होटल में एक सौ बेड की इकाई स्थापित करने का कोई अनुरोध नहीं किया है, जैसा कुछ खबरों में कहा गया है।
सारिका तिवारी, चंडीगढ़/नई दिल्ली:
दिल्ली हाई कोर्ट के जजों और उनके परिवार के लिए 5 स्टार होटल में 100 कमरे बुक कर कोविड केयर सेंटर बनाने के आदेश के बारे में न तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जानकारी थी और न ही उप मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इसकी कोई जानकारी थी। इंडिया टीवी को सूत्रों से यह जानकारी मिली है। यह कमरे कोविड केयर सेंटर के उद्देश्य से बुक किए गए थे। दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि उस आदेश की मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को कोई जानकारी थी और न ही इन दोनों को आदेश की कॉपी भेजी गई थी। इस पूरे मुद्दे पर अब दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जांच के आदेश दिए हैं।
दिल्ली के 5 सितारा अशोक होटल को जजों, न्यायिक अधिकारियों और उनके परिजनों के लिए कोविड केयर के तौर पर रिजर्व करने के मामले में आज (अप्रैल 27, 2021) दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के आदेश पर संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा से कहा कि उन्होंने मीडिया में जो पढ़ा, वो बहुत भ्रामक है। कोर्ट ने ऐसी कोई अपील नहीं की कि उन्हें होटल में 100 बेड रिजर्व दिए जाएँ।
बार एंड बेंच के ट्वीट के अनुसार, कोर्ट ने स्पष्ट बताया कि उनकी ओर से न्यायाधीशों और अन्य न्यायिक अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए अशोक होटल परिसर को प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 सुविधा में बदलने का कोई अनुरोध नहीं किया।
कोर्ट ने कहा, “हमने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है कि आप इसे इस होटल या उस होटल में स्थापित करें। बैठक का उद्देश्य था कि न्यायपालिका विशेष रूप से अधीनस्थ अदालत… हम पहले ही दो न्यायिक अधिकारियों को खो चुके हैं…. हमें बस ये चाहिए कि अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो, तो वह सुविधा दी जानी चाहिए।”
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा, “कौन सी सुरक्षा?…. आपने ऐसा खुद को लाभ पहुँचाने के लिए किया या फिर हमें खुश करने के लिए।” कोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार ने आदेश में कहा कि कोर्ट के अनुरोध पर… जबकि कोर्ट का अनुरोध यह था ही नहीं।
अदालत ने कहा, “क्या हम ऐसी फैसिलिटी के लिए बोल सकते हैं कि हमें इतने इतने बेड दो? क्या ये पक्षपात नहीं होता।” बता दें कि इस दौरान दिल्ली सरकार की ओर पेश हुए राहुल मेहरा ने मीडिया पर हर चीज का ठीकरा फोड़ना चाहा। हालाँकि कोर्ट ने कहा कि मीडिया गलत नहीं है। आदेश गलत है। कोर्ट ने कहा, “यह सोच से परे है कि हम एक संस्थान होने के नाते ऐसी प्राथमिकता लेंगे वो भी उस समय जब लोग सड़कों पर मर रहे हैं।”
दिल्ली सरकार ने जारी किए थे आदेश
गौरतलब है कि सोमवार को मीडिया में हर जगह बताया गया था कि दिल्ली हाई कोर्ट के निवेदन के बाद सरकार ने ये फैसला लिया कि अशोका होटल दिल्ली उच्च न्यायालय के जज और अन्य न्यायिक कर्मचारियों के लिए आरक्षित होगा। इस बाबत एडीएम ने नोटिफिकेशन भी जारी किया। इसमें बताया गया था कोविड फैसिलिटी को प्राइमस हॉस्पिटल द्वारा संचालित किया जाएगा।
कमरों, हाउसकीपिंग, सैनिटाइजेशन, मरीजों के लिए भोजन इत्यादि की व्यवस्था होटल ही करेगा। इसमें जो भी खर्च आएगा, वो हॉस्पिटल को बताया जाएगा और हॉस्पिटल ही होटल को पूरे खर्च का वहन करेगा। हॉस्पिटल अतिरिक्त खर्चे पर अलग से डॉक्टर्स और पैरामेडिकल कर्मचारियों को वहाँ भेज सकता है।