सनातन धर्म में सभी पूर्णिमा तिथि बहुत शुभ मानी जाती हैं। पूर्णिमा तिथि पर सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले लोग नई शुरूआत करते हैं। इस दिन लोग अपने घरों में नए सामान लाते हैं या अपने व्यवसाय या दुकान की नींव रखते हैं। पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करना भी बेहद लाभदायक माना जाता है। हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा तिथि चैत्र मास में पड़ती है। इसे चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, वहीं, चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि चैत्र पूर्णिमा पर भगवान हनुमान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन भगवान हनुमान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। चैत्र पूर्णिमा को चैत्र पूनम या चैत्र पूर्णिमासी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है तथा सतनारायण व्रत रखा जाता है। कुल परंपरा के अनुसार कई लोग पूर्णिमा तिथि पर व्रत करते हैं।
रूद्रावतार पवनपुत्र केसरीनंदन रामभक्त हनुमान उन आठ क्रांजीवियों में हैं जो युगों – युगों से इस धरती पर हैं
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
विक्रमी संवत्ः 2078,
शक संवत्ः 1943,
मासः चैत्र,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः पूर्णिमा प्रातः 09.02 तक है,
वारः मंगलवार,
नक्षत्रः स्वाती रात्रिः 08.08 तक हैं,
योगः सिद्धि रात्रिः 08.02 तक,
करणः बव,
सूर्य राशिः मेष,
चंद्र राशिः तुला,
राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,
सूर्योदयः 05.48,
सूर्यास्तः 06.50 बजे।
नोटः चैत्र पूर्णिमा, अंतिम और चतुर्थ शाही स्नान कुम्भ महापर्व हरिद्वार तथा श्री हनुमान जन्मोत्सव दक्षिण भारत। आज से ही वैशाख मास का स्थान प्रारम्भ हो रहा है।
नोटः वैशाख कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि का क्षय है।
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन, मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।