कॉन्ग्रेस का टिकट पाने के लिए पहले प्रशांत किशोर की फौज को खुश करना जरूरी होता है : कृष्ण कुमार बावा

पंजाब कांग्रेस के नेताओं में ऐसी भी सुगबुगाहट है कि प्रशांत किशोर टिकट बंटवारे में भी अहम भूमिका निभाएंगे. इस पर कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कहा, ‘प्रशांत किशोर का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है. इसको लेकर कोई सवाल ही नहीं खड़ा होता है. प्रशांत किशोर की भूमिका मेरे मुख्‍य सलाहकार के रूप में सीमित है. उनका काम केवल सलाह देना ही है, निर्णय लेने का कोई भी अधिकार उनके पास नहीं है.’

नईदिल्ली/चंडीगढ़:

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले प्रशांत किशोर के विरोध में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) में मची भगदड़ से आप बखूबी परिचित हैं। हाल ही में उनका क्लबचैट ऑडियो सामने आया था, जिसमें वह बंगाल चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के जबर्दस्त प्रभाव को बयाँ कर रहे थे। उसके बाद से वह लगातार बंगाल चुनावों में ममता बनर्जी की संभावित हार से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि भविष्य की परियोजनाओं जिनमें पंजाब में कॉन्ग्रेस के लिए काम करना भी शामिल है, पर बंगाल के नतीजों की छाया नहीं पड़ने देने के मकसद से वे ऐसा कर रहे हैं।

पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही प्रशांत किशोर को अपना प्रधान सलाहकार बना चुके हैं। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों में भी पंजाब और उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस के लिए काम किया था। लेकिन, पंजाब के एक कॉन्ग्रेस नेता की किताब चुनाव से पहले प्रशांत किशोर और पार्टी दोनों की मुसीबत बढ़ा सकती हैं।

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता व पंजाब राज्य उद्योग विकास कार्पोरेशन के चेयरमैन कुमार कृष्ण कुमार बावा की किताब ‘संघर्ष के 45 साल’ रिलीज हुई है। इसमें बताया गया है कि कैसे पंजाब में कॉन्ग्रेस का टिकट पाने के लिए पहले प्रशांत किशोर की फौज को खुश करना जरूरी होता है।

एक दैनिक की रिपोर्ट में कृष्ण कुमार बावा की किताब के हवाले से कॉन्ग्रेस की भीतरी सच्चाई पर कई खुलासे किए गए हैं। बावा ने अपनी किताब में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के काम करने के तरीकों को उजागर किया है। उन्होंने बताया कि यहाँ (कॉन्ग्रेस में) शरीफ होना पाप है। कई लोग जो कॉन्ग्रेस की विचारधारा से जुड़े भी नहीं है, वे भी यहाँ प्रशांत किशोर की फौज को खुश करके टिकट ले लेते हैं, जबकि शरीफ होने के नाते उन जैसों को साइड कर दिया जाता है। 2017 में उनके साथ ऐसा ही कुछ हुआ था। जहाँ पहले उन्हें लुधियाना पूर्वी हलके से चुनाव में उतारने की बात हुई, लेकिन बाद में उनका टिकट कट गया। 

गौरतलब है कि मैसेजिंग एप क्लबहाउस पर प्रशांत किशोर के साथ बातचीत में लुटियंस मीडिया के कई चेहरे शामिल थे। मसलन, रवीश कुमार, साक्षी जोशी, आरफा खानम शेरवानी, रोहिणी सिंह, स्वाति चतुर्वेदी वगैरह। इस दौरान प्रशांत किशोर ने कहा था, “मोदी के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी नहीं है। मोदी का पूरे देश में एक कल्ट बन गया है। 10 से 25 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनको मोदी में भगवान दिखता है। चाहे वो सही दिखे या गलत, वो एक अलग बहस का मुद्दा हो सकता है। यहाँ का हिंदी भाषी मोदी का कोर बेस सपोर्ट है और मोदी काफी पॉपुलर हैं। अगर आप इधर सर्वे कर कर रहे हैं तो मोदी-ममता समान रूप से पॉपुलर हैं।”

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