प्रशांत किशोर की सार्वजनिक हुई वार्ता कहीं चुनावी खेल तो नहीं?

जब से प्रशांत किशोर के क्लब हाउस वाली वार्ता सामने आई है, किशोर की मात्र एक ही प्रतिकृया सामने आई। प्रशांत ने कहा “यदि हिम्मत है तो सारी वार्ता सुनाई जाये न की चुने हुए कुछ अंश।” लेकिन प्रशांत किशोर को जानने वाले पूछ रहे हैं कि कहीं प्रशांत किशोर ने अपनी क्लब हाउस वाली वार्ता खुद ही तो नहीं सार्वजनिक कर दी? वैसे भी इस पूरे प्रकरण से प्रशांत गदगद हैं कि भाजपा आज भी उन्हे बहुत महत्व देती है। साथ ही दो प्रश्न भी उठाते हैं पहला, प्रशांत किशोर ने खलिस्तान समर्थओन के हुजूम वाले क्लब हाउस को ही क्यों चुना ? दूसरे कहीं यह वार्ता का सार्वजनिक होना भी कहीं कोई चुनवी प्रपंच तो नहीं?

पंचकुला/कोलकत्ता:

पश्चिम बंगाल चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, अनुमानों और प्रश्नों का वातावरण गझिन होता जा रहा है। कौन जीत रहा है? किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी? क्या भारतीय जनता पार्टी (BJP) भारी बहुमत से सरकार बनाएगी? क्या ममता बनर्जी के लिए अपना गढ़ बचाना असंभव हो गया है?

चुनाव के मौसम में नेता और विशेषज्ञ सार्वजनिक मंचों पर ऐसे प्रश्नों से बचते हैं। सामान्यतया दलों के लिए काम करने वाले प्रबंधक भी नहीं चाहते कि पत्रकार या कोई और उनसे इस तरह के प्रश्न पूछने जिसके उत्तर में उन्हें कुछ ऐसा कहना पड़े जो आने वाले परिणामों से भिन्न हो।

पर ऐसे माहौल में भी एक व्यक्ति इस तरह के प्रश्न का उत्तर देने के लिए जगह-जगह न केवल तैयार दिखता है, बल्कि कई बार लगता है जैसे वे ख़ुद चाहते हैं कि उनसे ऐसे प्रश्न पूछे जाएँ। ये व्यक्ति हैं प्रशांत किशोर, हाल के वर्षों में भारतीय चुनावों में चुनावी प्रबंधकों की लम्बी होती जा रही सूची में शीर्षस्थ प्रबंधक।

बंगाल चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के बाद ही एक दैनिक को दिए एक ख़ासे लम्बे साक्षात्कार में प्रशांत अपने तमाम फ़ैसलों और चुनावी रणनीतियों के बारे में विस्तार से बोलते और उनका बचाव करते दिखे। प्रश्न यह उठता है कि बहुचर्चित बंगाल विधानसभा चुनाव के आठ चरणों में से मात्र दो चरणों की वोटिंग के बाद ही ऐसा साक्षात्कार देने की जल्दी क्यों आन पड़ी थी? एक ऐसा साक्षात्कार जिसमें प्रशांत बहुत छोटी-छोटी रणनीतियों पर भी विस्तार से बोले। यहाँ तक कि दशकों से ‘दीदी’ के नाम से प्रसिद्ध ममता बनर्जी को इन चुनावों में बंगाल की ‘बेटी’ के रूप में उन्होंने क्यों प्रस्तुत किया, इस पर भी विस्तृत चर्चा की।

कौन प्रबंधक अपनी हर छोटी-बड़ी रणनीति की चर्चा इस तरह से सार्वजनिक तौर पर करता है? जिस प्रशांत किशोर की रणनीतियों के बारे में जानने के लिए लोग उत्सुक रहते हैं, जो प्रशांत किशोर निज को एक पहेली की तरह प्रस्तुत करते रहे, वही प्रशांत किशोर अचानक चुनावी प्रबंधन के अपने कैरियर के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव की एक-एक रणनीति पर विस्तार से चर्चा करते हुए क्यों बरामद हुए? अचानक क्या हुआ कि उन्हें ऐसा करना पड़ा?

उनके इस साक्षात्कार के बाद राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया पर यह प्रश्न उठा कि क्या प्रशांत किशोर अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर रहे कि बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी हार रही हैं? यहाँ बात तृणमूल कॉन्ग्रेस के संभावित हार की भी नहीं हो रही थी, बल्कि ममता बनर्जी के हार की हो रही थी क्योंकि प्रशांत किशोर ने अपनी ढाई साल की मेहनत में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) को आगे न रखकर हमेशा ममता बनर्जी को ही आगे रखा था। एक प्रश्न यह भी उठा कि क्या प्रशांत किशोर अपने इस साक्षात्कार के माध्यम से किसी और को कोई संदेश देना चाहते हैं? यदि ऐसा है तो वे किसे संदेश देना चाहते हैं और वह संदेश क्या हो सकता है?

पश्चिम बंगाल चुनावों में वोटिंग की शुरुआत से पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रशांत किशोर को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपना प्रबंधक नियुक्त कर चुके हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि बंगाल चुनावों के संभावित परिणामों की चर्चा से होने वाले नुक़सान को रोकने के लिए प्रशांत किशोर ऐसे साक्षात्कार दे रहे हैं? उन्हें क्या डर है कि बंगाल चुनावों के परिणामों का असर उनके पंजाब असायनमेंट पर होगा?

इन प्रश्नों को तब और बल मिला जब प्रशांत किशोर ने अपने मित्र पत्रकारों के साथ क्लबहाउस पर बातचीत की, जिसमें उन्होंने उन मुद्दों पर तो चर्चा की ही जिनके बारे में वे इंडियन इक्स्प्रेस वाले साक्षात्कार में विस्तार से बोल चुके थे, नए विषयों पर भी विस्तृत चर्चा की जिनके बारे में उस साक्षात्कार में चर्चा नहीं हुई थी। प्रश्न पूछने वाले पत्रकारों में लगभग वे सभी पत्रकार थे जिन्होंने लम्बे समय से भाजपा और नरेंद्र मोदी को कोस कर अपनी पहचान बनाई है। क्लबहाउस के इस रूम में उपस्थित लोगों और उनके द्वारा किए गए प्रश्नों को सुन कर ऐसा लगा कि क्लबहाउस का यह साक्षात्कार एक विस्तृत योजना का परिणाम है।

इसमें प्रशांत किशोर और पत्रकारों के बीच की चर्चा की कई रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। हालाँकि इस चर्चा में प्रशांत किशोर ने कई बार भाजपा की लहर, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और बंगाल चुनावों के संभावित परिणामों को स्वीकार किया पर उन्होंने बहादुरी का एक मुखौटा भी चढ़ाए रखा। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बंगाल के मतदाताओं के बीच नरेंद्र मोदी की बड़ी लोकप्रियता को स्वीकार तो किया पर उसके साथ ही उन्होंने तुरंत यह कहा कि नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी की लोकप्रियता एक समान है।

क्लबहाउस की इस चर्चा के बाद एक प्रश्न और उठा कि उन्होंने ऐसी चर्चा या अपने संदेश के लिए क्लबहाउस को ही क्यों चुना? इस प्रश्न का एक उत्तर इस बात में जान पड़ता है कि क्लबहाउस पर ख़ालिस्तानी प्रोपेगेंडा के वाहक भारी मात्रा में हैं और सम्भवतः प्रशांत अपने पंजाब असयानमेंट के लिए समर्थकों के एक झुंड की तलाश में यहाँ पहुँचे हों। इसका एक संभावित उत्तर यह भी है कि बंगाल चुनावों के परिणाम को लेकर कोई संदेश बंगाल से पंजाब गया हो, जिसके कारण प्रशांत के ऊपर किसी तरह का दबाव बना हो।

यह बात स्थापित राजनीतिक मान्यताओं का हिस्सा है कि अलग-अलग दल और विचारधाराओं के वाहक होने के बावजूद नेता एक-दूसरे के साथ अपरोक्ष चैनल के माध्यम से संदेशों का आदान-प्रदान करते रहते हैं और ऐसे ही किसी चैनल के माध्यम से बंगाल से चलकर कोई संदेश पंजाब पहुँचा हो जिसमें प्रशांत किशोर के लिए किसी तरह की मुश्किल खड़े करने की क्षमता है।

ख़ैर, कारण चाहे जो हों, आने वाला समय बड़ा राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत रोचक जान पड़ता है और बंगाल चुनावों के परिणाम इसे और रोचक बनाने वाले हैं।

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