Tuesday, December 24

भक्त नरसी की कथा के दौरान कथाव्यास जया किशोरी द्वारा मारवाडी भाषा में प्रस्तुत किए गए भजनों पर महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं के नृत्य के दृश्य ने पूरा पंडाल श्रीकृष्ण की भक्ति से सराबोर कर दिया। उन द्वारा प्रस्तुत किए गए भजन मुझे ऐसी लगन तू लगा दे, मैं तेरे बिना पल न रहूं तथा मेरा श्याम बड़ा अलबेला, मेरी मटकी को मार गया ढेला तथा गोविंदा आला रे आला जरा मटकी संभाल बृजबाला ने विशेष रूप से ऐसा माहौल पैदा कर दिया कि महिला पुरुष श्रद्धालु अपने अपने स्थानों पर ही झूमने लगे।

  • भगवान श्रीकृष्ण की दयालुता की सीमा अनंत: जया किशोरी
  • बोली, गोविंद के दर्शन पाने के लिए शिव को भी बनना पड़ा था गोपी


सिरसा::

स्व. श्रीमती रेखा शर्मा मैमोरियल ट्रस्ट एवं स्व. श्रीमती सोनाली झूंथरा मैमोरियल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में चार दिवसीय नानी बाई रो मायरो
कथा के दूसरे दिन कथाव्यास जया किशोरी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की अनुकंपा और दयालुता की कोई सीमा नहीं है और हर व्यक्ति उनसे अगाध प्रेम करके ही उन्हें प्राप्त कर सकता है।

संगीतमयी कथा के दौरान जया किशोरी ने नरसी मेहता के जीवन में भगवान कृष्ण के प्रति अगाध श्रद्धा से जुड़ी अनेक घटनाओं को वर्णित किया। उन्होंने कहा कि नरसी मेहता को जंगल में भगवान महादेव ने स्वयं दर्शन देकर उनकी कामनाएं पूछी तो नरसी मेहता ने केवल राधाकृष्ण से मिलने की इच्छा जाहिर की। इस दौरान भगवान शिव ने स्वयं के संदर्भ में भी उस घटना का जिक्र किया जिसमें वे पार्वती संग भगवान श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए महारास के लिए पार्वती संग गोपी बनकर बृज में गए थे जहां भगवान श्रीकृष्ण ने गोपी रूप में भी उनकी वास्तविकता को जान लिया था। नरसी मेहता की भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रति निस्वार्थ प्रेम भावना के चलते भगवान महादेव ने उन्हें श्रीकृष्ण के पास पहुंचा दिया मगर श्रीकृष्ण ने उन्हें सांसारिक कर्मों की जिम्मेदारियां वहन करने के उद्देश्य से वापस भूलोक में भेज दिया। आध्यात्मिक प्रवक्ता जया किशोरी ने बताया कि कथा के विस्तार में बताया कि किस प्रकार नरसी मेहता को भगवान श्रीकृष्ण ने भौतिक संसाधनों से समृद्ध किया मगर नरसी मेहता ने सभी संसाधनों को आमजन में बांट दिया और केवल राधाकृष्ण की भक्ति को ही अपना आधार बनाए रखा। इस दौरान उनकी पत्नी की मृत्यु हो जाती है और सांसारिक कर्मों के दृष्टिगत उन्हें अपनी पत्नी के भोग के लिए आर्थिक दिक्कतों से जूझना पड़ता है मगर उस दौर में दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों द्वारा नरसी को प्रताडि़त करने के उद्देश्य से जबरन कहा जाता है कि भोग के समय अनेक गांवों के सैकड़ों लोगों को भोजन करवाना पड़ेगा। इस दौरान उन्होंने दो सेठों द्वारा दुष्ट व्यक्तियों के षड्यंत्रों में आकर नरसी मेहता को सेठ समझकर उनसे 700 रुपए की हुंडी (पर्ची) लिखवा ली। पर्ची पर नरसी मेहता ने भगवान श्रीकृष्ण पर अपनी आस्था रखते हुए सांवलसा सेठ द्वारका लिख दिया। कथा में बताया गया कि द्वारका पहुंचकर किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्त नरसी मेहता की सामाजिक प्रतिष्ठता को बचाने और बढ़ाने के लिए किस प्रकार मुनीम के स्वरूप में सेठों की सेवा करते हैं।

नानी बाई रो मायरों के दूसरे दिन भी कथा के दौरान और कथा के समापन पर शहरभर के नामचीन लोगों को मंच पर कथाव्यास जया किशोरी द्वारा स्मृति चिह्न एवं श्याम नाम का पटका पहनाकर सम्मानित किए जाने का सिलसिला बरकरार रहा। दूसरे दिन निरंतर जिन प्रतिष्ठित लोगों को सम्मानित किया गया उनमें जिला सत्र न्यायाधीश राजेश मल्होत्रा, पूर्व सांसद चरणजीत सिंह रोड़ी, फतेहाबाद के पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया, कांग्रेस की केंद्रीय पर्यवेक्षक शोभा, कांग्रेस नेता कुलदीप गदराना, डॉ. मनीष, बीकानेर से जिग्नेश, जिला यातायात थाना प्रभारी बहादुर सिंह, कश्मीरीलाल नरूला, धर्मपाल, मास्टर हरिसिंह, भाई कन्हैया आश्रम के संचालक गुरविंद्र सिंह, ओमप्रकाश मक्कड़, दिल्ली से विकास सिंह, योगराज शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, काका सिंह, पंडित पुरुषोत्तम, राजेंद्र बठला, विजय बठला, पेट्रोल पंप एसोसिएशन से ज्ञान मेहता, आशुतोष अग्रवाल, फकीरचंद, विजय शर्मा, ऐलनाबाद से धर्मपाल शर्मा, गौरीशंकर, जतिन कथूरिया, आशीष झूंथरा, राजीव सर्राफ, कंचन कटारिया, राजीव गुप्ता, फतेहाबाद से भीमसेन गोयल व सुरेश गोयल विशेष रूप से शामिल थे।

भक्त नरसी की कथा के दौरान कथाव्यास जया किशोरी द्वारा मारवाडी भाषा में प्रस्तुत किए गए भजनों पर महिला एवं पुरुष श्रद्धालुओं के नृत्य के दृश्य ने पूरा पंडाल श्रीकृष्ण की भक्ति से सराबोर कर दिया। उन द्वारा प्रस्तुत किए गए भजन मुझे ऐसी लगन तू लगा दे, मैं तेरे बिना पल न रहूं तथा मेरा श्याम बड़ा अलबेला, मेरी मटकी को मार गया ढेला तथा गोविंदा आला रे आला जरा मटकी संभाल बृजबाला ने विशेष रूप से ऐसा माहौल पैदा कर दिया कि महिला पुरुष श्रद्धालु अपने अपने स्थानों पर ही झूमने लगे।

दूसरे दिन की कथा समापन के बाद शर्मा एवं झूंथरा परिवारों के सदस्यों के साथ शहर के गणमान्य लोगों ने भी मंच पर भगवान श्रीकृष्ण की आरती गाई और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान राधेश्याम झूंथरा ने कथाव्यास जया किशोरी को सम्मान और स्नेह की प्रतीक टोपी भी पहनाई जिसे जया किशोरी ने सहर्ष स्वीकार किया। कथा के दौरान स्व. श्रीमती रेखा शर्मा मैमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित होशियारीलाल शर्मा व स्व. श्रीमती सोनाली झूंथरा मैमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष मुरलीधर झूंथरा के अलावा सालासर धाम के पुजारी विकास, रामावतार हिसारिया, कथा के आयोजक राजकुमार शर्मा, राजेश शर्मा, चंद्र झूंथरा के अलावा व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष हीरालाल शर्मा, प्रेम शर्मा, मोहित शर्मा, देवांश शर्मा, संयम झूंथरा, नयन झूंथरा, शीतल झूंथरा, पत्रकार अंजनी गोयल, कमल शर्मा, जितेंद्र शर्मा, भारतभूषण सरदाना, सतीश कुमार सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।