दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि हमारा देश में तमाम मजहब के मानने वाले मिलजुल कर रहते आ रहे हैं। यहां पर होली का त्योहार का मौका हो या फिर कावंड़ यात्रा का मौका हो, बड़े बड़े लाउडस्पीकर लगाकर बजाये जाते हैं। इसके अलावा रामायण आदि का पाठ भी लाउडस्पीकर से किया जाता है।
भारत में लगभग 50 साल तक लाउड स्पीकर पर अज़ान देना हराम था. फिर ये हलाल हो गया। और इतना कि इसकी कोई सीमा न रही. लेकिन ये खत्म होना चाहिए। अज़ान ठीक है, लेकिन लाउड स्पीकर से दूसरे लोगों को परेशानी होती है। मुझे उम्मीद है कि इस बार वो खुद से ये कर लेंगे। – जावेद अख्तर
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कुलपति द्वारा अजान को लेकर उठाए गए सवालों पर अब राजनीतिक बवाल शुरू हो गया है। कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव ने प्रयागराज के डीएम को चिट्ठी लिख कहा है कि मस्जिद की अजान से उनकी नींद में खलल पड़ता है, ऐसे में एक्शन लिया जाए। अब इस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएँआ रही हैं। समाजवादी पार्टी ने कहा है कि भाजपा सिर्फ धर्म-जाति के मसले पर राजनीति करना चाहती है।
राजनीतिक बयानबाजी हुई तेज़
समाजवादी पार्टी के अनुराग भदौरिया ने बयान दिया कि जब से भाजपा की सरकार बनी है, सिर्फ जाति-धर्म की बात हो रही है रोज़गार पर जोर नहीं दिया जा रहा है। किसी शिक्षा संस्थान को इस तरह के मसले पर जोर नहीं देना चाहिए।
वहीं, भाजपा के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव का कहना है कि नमाज़ करना अधिकार है, लेकिन कोर्ट पहले ही कह चुका है कि लाउडस्पीकर लगाना निजता का हनन है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि लाउडस्पीकर का प्रयोग करना संवैधानिक रूप से उचित नहीं है।
मौलाना ने भी की शिकायत की निंदा
इसी मसले पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास का भी बयान आया है, उन्होंने कहा कि अज़ान तो सिर्फ 2-3 मिनट के लिए ही होती है। शिकायत करने वालों को ये भी कहना चाहिए था कि जो सुबह आरती होती है, इससे भी उनकी नींद खराब होती है। मुस्लिम धर्मगुरु ने कहा कि सिर्फ अजान के लिए ऐसी शिकायत करना बिल्कुल गलत है, ऐसे में मैं मानता हूँ कि उन्हें इस शिकायत को वापस लेनी चाहिए।
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सूफियान निजामी ने इस विवाद पर कहा कि हमारे मुल्क में हर मजहब के लोग रहते हैं, कहीं मस्जिद की अजान होती है तो कहीं मंदिर में भजन-कीर्तन होते हैं। अगर कोई कहता है कि सिर्फ अजान के कारण ही नींद में खलल होता है, तो ये ठीक नहीं है।
मौलाना सूफियान निजामी बोले कि इलाहाबाद में कुंभ के दौरान, होली के दौरान या किसी अन्य त्योहार में भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता है लेकिन किसी ने कोई चिट्ठी नहीं लिखी। ऐसे में ये सिर्फ एक साजिश का हिस्सा है कि अजान को बंद करवाया जाए।
क्या है न्यायालय के दिशा निर्देश:
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मस्जिद से अजान मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। यह जरूर है कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है। इसलिए मस्जिदों से मोइज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन कराएं।
आपको बता दें कि प्रयागराज की इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की कुलपति संगीता श्रीवास्तव ने 3 मार्च को डीएम को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने कहा कि अजान के कारण उनकी नींद टूटती है और इसके बाद उनके काम में खलल पड़ता है। इसी को लेकर पूरा विवाद हो रहा है। कुलपति की चिट्ठी पर डीएम का कहना है कि उचित कार्रवाई की जाएगी।