आज प्रातः 09.21 से पंचक प्रारम्भ हो रहे है। पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं।पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है।चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पाॅच व्यक्तियों के अकालमृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।
विक्रमी संवत्ः 2077,
शक संवत्ः 1942,
मासः फाल्गुन,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः त्रयोदशी दोपहर 02.40 तक है,
वारः गुरूवार,
नक्षत्रः धनिष्ठा रात्रि 09.45 तक है,
योगः शिव प्रातः 09.24 तक,
करणः वणिज,
सूर्य राशिः कुम्भ,
चंद्र राशिः मकर,
राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.40,
सूर्यास्तः 06.23 बजे।
नोटः आज श्री महाशिव रात्रि व्रत है।
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।