चीनी मिल घोटाले में बसपा के पूर्व एमएलसी और सहारनपुर के खनन माफिया हाजी मोहम्मद इकबाल की 1097 करोड़ रुपए की संपत्तियों को अटैच किया

चीनी मिल घोटाले में सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने 25 अप्रैल 2019 को केस दर्ज किया था। सीबीआइ ने लखनऊ के गोमतीनगर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज कराई गई एफआइआर में इस घोटाले को अपने केस का आधार बनाया था। इसके बाद ईडी के लखनऊ स्थित जोनल कार्यालय में करोड़ों के इस घोटाले में प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। जोनल डायरेक्टर राजेश्वर सिंह के नेतृत्व में पूर्व एमएलसी मु.इकबाल व अन्य आरोपितों की भूमिका की छानबीन की जा रही थी। 

सहारनपुर/चंडीगढ़:

एक ओर जहां केंद्र की मोदी सरकार अपने ढुल – मुल रवैये के साथ अपने विरोधियों पर कसे कानूनी मामलों पर ‘जांच चल रही है’, ‘मामला विचारधीन है’ जैसे लचर बहानों के साथ अपराधियों से समझौते करती जान पड़ती है, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री असल में ‘न खाऊँगा न खाने दूँगा’ वाले नारे को चिरतार्थ करते दिखाई पड़ते हैं। कॉंग्रेस के भ्रष्टाचार से तंग आ चुकि भारतीय जनता ने बड़ी उम्मीद से मोदी सरकार को चुना था। लाखों करोड़ों के घोटाले जिनका ज़िक्र यदा कदा मोदी अपने भाषणों में करते हैं उनसे न केवल जांच करवाने अपितु दोषियों पर दंडात्मक कार्यवाही करने के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार अपने लगाए किसी भी आरोप को चाहे वह चिदम्बरम पर हो या फिर गांधी परिवार के दामाद वाड्रा पर साबित नहीं कर पायी। सात साल बीत जाने पर भी तथाकथित आरोपी आनंद ले रहे हैं। वहीं जब योगी सरकार की बात करें तो आरोपी प्रदेश छोड़कर भागते फिर रहे हैं। अपराधियों को दंड दिलवाने के मामलों में जहां मोदी सिर्फ भाषण है वहीं योगी एक्शन है। ताज़ा मामला 2019 में शुरू हुई चीनी मिल घोटाले की जांच का है।

उत्तर प्रदेश में बीएसपी शासनकाल में हुए 1100 करोड़ के चीनी मिल घोटाला केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने बसपा के पूर्व एमएलसी और सहारनपुर के खनन माफिया हाजी मोहम्मद इकबाल की 1097 करोड़ रुपए की संपत्तियों को अटैच किया। ईडी ने मोहम्मद इकबाल की कुल सात संपत्तियों को अटैच किया है। हाजी इकबाल पर कई और भी आरोप हैं, जिनमें अवैध खनन से नामी, बेनामी संपत्ति खरीदने जैसे मामले हैं। बताया जा रहा है कि 2500 करोड़ की संपत्तियाँ ईडी के निशाने पर हैं।

बीएसपी चीफ मायावती के शासनकाल में वर्ष 2010 से लेकर 2011 के दौरान करीब 11 चीनी मिलों को औने- पौने दाम पर बेचा गया था। पूरे प्रदेश में कुल 21 से ज्यादा चीनी मिल को बेहद कम दाम पर बेचने का आरोप है। इनमें से कई चीनी मिलों की बिक्री पर अब भी जाँच चल रही है। आरोप है कि इस फर्जीवाड़े से केंद्र और राज्य सरकार को करीब 1,179 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 12 अप्रैल, 2018 को चीनी मिल घोटाले की सीबीआई जाँच कराने की सिफारिश की थी। सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने अप्रैल, 2019 में चीनी मिल घोटाले का केस दर्ज किया था। सीबीआई ने लखनऊ के गोमतीनगर थाने में सात नवंबर 2017 को दर्ज कराई गई एफआईआर को अपने केस का आधार बनाते हुए सात चीनी मिलों में हुई धांधली में रेगुलर केस दर्ज किया था, जबकि 14 चीनी मिलों में हुई धांधली को लेकर 6 प्रारंभिक जाँच दर्ज की गईं थीं। 

करोड़ों के भ्रष्टाचार के इस मामले में सीबीआई के साथ-साथ ईडी ने भी सक्रियता बढ़ा दी थी। घोटाले में सीबीआई के बाद प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज किया था। लखनऊ स्थित ईडी के जोनल कार्यालय ने यह कार्रवाई की थी।

सीबीआई ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए देवरिया, बरेली, लक्ष्मीगंज, हरदोई, रामकोला, छितौनी व बाराबंकी स्थित सात चीनी मिल खरीदने के मामले में दिल्ली निवासी राकेश शर्मा, उनकी पत्नी सुमन शर्मा, गाजियाबाद निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद, मोहम्मद जावेद, मोहम्मद वाजिद अली व मोहम्मद नसीम अहमद के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया था। 

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