डिकिनसोनिया को लगभग 541 मिलियन वर्ष पहले, कैम्ब्रियन काल में प्रारंभिक, सामान्य जीवों और जीवन की शुरुआत के बीच प्रमुख लिंक में से एक माना जाता है। अब इस बात की पुष्टि हो गयी है कि डिकिनसोनिया सबसे पुराना ज्ञात जीवाश्म है. अब कई दशकों पुराना रहस्य रहस्य नहीं रह गया है. बता दें कि वैज्ञानिकों की इस खोज को अमेरिकी जर्नल साइंस ने पिछले गुरुवार को प्रकाशित किया है. जानकारी दी गयी है कि डिकिनसोनिया के अंडाकार शरीर की लंबाई में वालय जैसी संरचना होती है और यह 4.6 फीट तक बढ़ सकता है. विश्लेषण से पता चला कि यह 55.8 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर भारी संख्या में मौजूद थे. यह जीव एडियाकारा बायोटा का हिस्सा है. बैक्टीरिया के दौर में यह जीव पृथ्वी पर थे. इसका मतलब यह कि आधुनिक जीवन शुरू होने के लगभग दो करोड़ साल पहले ये मौजूद थे. वैज्ञानिकों के लिए कार्बनिक पदार्थ से लैस डिकिनसोनिया जीवाश्मों को ढूंढना काफी मुश्किल काम रहा. हालांकि ऐसे बहुत से जीवाश्मों का पता ऑस्ट्रेलिया में चला था.
- भीमबेटका में मिला दुनिया के सबसे पुराने जानवर का जीवाश्म
- करीब 57 करोड़ साल पुराना जीवाश्म पहली बार भारत में मिला
- गोंडवाना रिसर्च नामक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हुई खोज
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
भोपाल से लगभग 40 किमी दूर स्थित यूनेस्को के संरक्षित क्षेत्र, भीमबेटका की ‘ऑडिटोरियम गुफा’ में दुनिया के सबसे दुर्लभ और सबसे पुराने जीवाश्म खोजा गया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि उन्हें भारत में डिकिनसोनिया का पहला जीवाश्म मिला है। यह पृथ्वी का सबसे पुराना, लगभग 57 करोड़ साल पुराना जानवर है।
समाचार पत्र ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के अनुसार, यह खोज अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘गोंडवाना रिसर्च’ के फरवरी संस्करण में प्रकाशित हुई है। डिकिनसोनिया जीवाश्म से पता चला है कि इस जानवर की लंबाई चार फीट से अधिक रही होगी, जबकि मध्य प्रदेश स्थित भीमबेटका की गुफा में जो जीवाश्म मिला है वो 17 इंच लंबा है।
भीमबेटका में डिकिनसोनिया का जीवाश्म (Dickinsonia fossils) शोधकर्ताओं को संयोग से ही मिला है। दरअसल, मार्च, 2020 में होने वाली 36वीं इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कॉन्ग्रेस से पहले दो शोधकर्ता भीमबेटका के टूर पर गए थे। ये सेमीनार कोरोना वायरस महामारी के कारण दो बार स्थगित भी हो चुका है।
शोधकर्ताओं को भीमबेटका के अपने टूर के दौरान एक पत्तीनुमा आकृति नजर आई। यह जमीन से 11 फीट की उँचाई पर चट्टान के ऊपर मौजूद था और किसी रॉक आर्ट की तरह नजर आ रहा था। डिकिनसोनिया को लगभग 541 मिलियन वर्ष पहले, कैम्ब्रियन काल में प्रारंभिक, सामान्य जीवों और जीवन की शुरुआत के बीच प्रमुख लिंक में से एक माना जाता है।
शोधकर्ता इस बात को लेकर हैरान हैं कि इतने वर्षों तक यह जीवाश्म अनदेखा कैसे रह पाया? भीमबेटका की गुफा को 64 साल पहले वीएस वाकणकर ने ढूँढा था। तब से, हजारों शोधकर्ताओं ने साइट का दौरा किया और यहाँ पर लगातार ही शोधकार्य चल रहे हैं। लेकिन, दिलचस्प बात यह है कि यह दुर्लभ जीवाश्म अब तक सामने नहीं आ सका था।