पहले कुर्सी, फिर कतार अब विधान सभा में पायलट से कक्ष भी ले लिया गया
पहले कुर्सी छीनी, फिर पार्टी का पद फिर अतार छीनी और अब दफ्तर। एस हाल हुआ सचिन पायलट का। वह जब डिप्टी सीएम थे तो उनको विधानसभा में 116 नंबर कमरा आवंटित था. गत वर्ष सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट में जब सियासी संग्राम हुआ तो पायलट को डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ दोनों ही पदों से हटा दिया गया था. उसके बाद अब बजट सत्र की शुरुआत से पहले विधानसभा में उनको आवंटित कमरा अब मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी को दे दिया गया है। डॉ. जोशी के पास पहले 118 नंबर कमरा था। अब उनके कक्ष में परिवर्तन कर दिया।
जयपुर.
विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो चुका है. सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद से हटाये जाने के बाद अब विधानसभा में स्थित उनका कमरा भी मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी को अलॉट कर दिया गया है. विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले विधानसभा की जनरल ब्रांच ने डॉ. जोशी को इस कक्ष का आवंटन किया है.
सचिन पायलट जब डिप्टी सीएम थे तो उनको विधानसभा में 116 नंबर कमरा आवंटित था. गत वर्ष सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट में जब सियासी संग्राम हुआ तो पायलट को डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ दोनों ही पदों से हटा दिया गया था. उसके बाद अब बजट सत्र की शुरुआत से पहले विधानसभा में उनको आवंटित कमरा अब मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी को दे दिया गया है. डॉ. जोशी के पास पहले 118 नंबर कमरा था. अब उनके कक्ष में परिवर्तन कर दिया गया है.
यह भी पढ़ें: विधानसभा में पहले ही बदल चुकी है पायलट की सीट
उल्लेखनीय है कि पद से हटाये जाने के बाद विधानसभा में पायलट की सीट भी बदल दी गई है. पायलट अब सीएम गहलोत के पास नहीं बैठेंगे. उनको परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बगल की सीट दी गई है. खाचरियावास कैबिनेट मंत्रियों की कतार में सबसे आखिर में बैठते हैं. अब पायलट उनके बगल में बैठेंगे. विधानसभा में विधायकों और मंत्रियों के बैठने का क्रम वरीयता और हैसियत के हिसाब से तय होता है, लेकिन पायलट के मामले में यह सब चीजें राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं.
पायलट प्रदेश में बढ़ा रहे अपनी सक्रियता
हालांकि, यह सब विधानसभा के नियमों के मुताबिक हो रहा है, लेकिन सत्ता के गलियारों में यह बदलाव काफी चर्चित हो रहे हैं. पायलट पिछले कुछ समय से प्रदेश में अपनी सक्रियता फिर से बढ़ा रहे हैं. इस कड़ी में वह पूर्वी राजस्थान में किसान महापंचायतों के जरिये अपनी सियासी ताकत को दिखाने में जुटे हैं. किसान आंदोलन के दौरान महापंचायतों के जरिये किसानों के बीच जाने की पायलट की इस कवायद को उनके शक्ति प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है.
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