विधानसभा में बॉर्डर पर विराजमान होंगे पूर्व मुख्यमंत्री पायलट

बगावत में पायलट का साथ देने वाले पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को आगे की कतार से विधानसभा में पिछली कतार में भेज दिया गया। दोनों आखिरी पंक्ति की सीट पर बैठेंगे. दोनों की मंत्रीमंडल में वापसी को लेकर पायलट कुछ समय से जोर लगा रहे थे लेकिन कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ. दोनों को अगली कतार में बैठने को मौका फिलहाल नहीं मिलेगा. इस बार निगाहें इस पर भी रहेगी कि पायलट गुट विधानसभा में चर्चा के दौरान सरकार का बचाव करता है या खामोश रहता है।

जयपुर:

राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र 2021 बुधवार को शुरू होगा. इस बार विधानसभा में सबकी नजरें सत्ता पक्ष के सीट क्रम पर हैं। सचिन पायलट की जगह और भूमिका पर भी सबकी निगाहें हैं। सूत्रों के मुताबिक पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की सीट बदल दी गई है । पायल्ट अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास नहीं बल्कि परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बगल में बैठेंगे। प्रताप खाचरियावास गहलोत मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्रियों की कतार में आखिर में बैठते हैं. सचिन पायलट जब डिप्टी सीएम थे, तब सत्ता पक्ष की नंबर दो सीट यानी गहलोत की अगली सीट पर बैठते थे।राजस्थान विधानसभा में विधायकों, मंत्रियों के बैठने के क्रम से ही उनकी वरीयता और हैसियत तय होती है।

प्रताप सिंह खाचारिवास को मंत्री बनाने में सचिन पायलट की ही भूमिका थी। खाचरियवास को गहलोत मंत्रीमंडल में पायलट कोटे का मंत्री माना जाता था लेकिन सचिन पायलट ने जब बगावत की थी तब खाचरिवास ने पाला बदल लिया था और गहलोत के साथ चले गए थे। अब पायलट को खाचरियवास के बगल में बैठना पड़ेगा। हालांकि गहलोत सरकार के शक्ति परीक्षण के दौरान इससे पहले तो पायलट को सत्ता पक्ष की आखिरी सीट पर बैठाया था, तब पायलट ने विधानसभा में कहा था कि सेना सबसे बेहतरीन सिपाही को ही बॉर्डर पर भेजती है। विधानसभा में बॉर्डर का मतलब सत्ता पक्ष की आखिरी बेंच

बगावत में पायलट का साथ देने वाले पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को आगे की कतार से विधानसभा में पिछली कतार में भेज दिया गया। दोनों आखिरी पंक्ति की सीट पर बैठेंगे. दोनों की मंत्रीमंडल में वापसी को लेकर पायलट कुछ समय से जोर लगा रहे थे लेकिन कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ. दोनों को अगली कतार में बैठने को मौका फिलहाल नहीं मिलेगा. इस बार निगाहें इस पर भी रहेगी कि पायलट गुट विधानसभा में चर्चा के दौरान सरकार का बचाव करता है या खामोश रहता है।

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