भारत के लिए एक विज़न मैप बनाने के लिए पर्याप्त राजनीतिक अनुभव है, लेकिन वह शायद ही इसके बारे में कभी बताते हैं : संजय झा

कांग्रेस आज अपना 136वां स्थापना दिवस मना रही है. पार्टी के स्थापना दिवस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की गैरमौजूदगी ने राजनैतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार एक बार फिर गर्म कर दिया है. पार्टी के निलंबित चल रहे पूर्व प्रवक्ता संजय झा ने भी राहुल की गैरमौजूदगी को लेकर सवाल उठाया और कहा कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में परिवर्तन की इच्छा का अभाव है. उन्होंने कहा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जिस तरह की गलती कर रहा है, उसका खामियाजा उसे आगे उठाना पड़ सकता है.

नई दिल्ली:

एक निजी चैनल को दिए एक साक्षात्कार में कॉंग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा ने कहा कि पर्याप्त राजनीतिक अनुभव होने के बावजूद, राहुल गांधी पार्टी और भारत के लिए एक विज़न मैप बनाने में विफल रहे हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी के बहुत से वरिष्ठ नेता पिछले काफी समय से गायब हैं, जो एक चिंता का विषया है. झा ने कहा, ‘कांग्रेस में कुछ हासिल करने की भूख, ऊर्जा और महत्वाकांक्षा की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अब वैसे ही प्रदर्शन की जरूरत है, जैसा 1977 के बाद इंदिरा गांधी ने किया था. लेकिन अफसोस की बात ये है कि वर्तमान नेतृत्व में परिवर्तन के लिए कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती है.’

संजय झा से पूछा गया कि कांग्रेस के लिए 2020 बुरा साल रहा, लेकिन आने वाले कुछ ही महीनों में कई राज्यों में चुनाव आने वाले हैं. क्या आपको लगता है कि पार्टी आने वाले सालों में बेहतर कर सकती है? इसके जवाब में झा ने कहा, ‘कांग्रेस को भूख, ऊर्जा और महत्वाकांक्षा की जरूरत है, जैसा 1977 के दौरान इंदिरा गांधी ने करके दिखाया था.’ उन्होंने कहा कि इस तरह के परिवर्तन के लिए वर्तमान नेतृत्व में इच्छाशक्ति की कमी है. तकनीकी रूप से, असम और केरल में कांग्रेस बहुत आगे है, इसके बावजूद वहां लगातार उनके प्रतिद्वंद्वी बढ़ रहे हैं. इसको देखते हुए कांग्रेस को अब आक्रामक अभियान शुरू करना चाहिए. तमिलनाडु में डीएमके को बड़ी ताकत बनकर उभरना चाहिए, हालांकि मुझे लगता है कि पार्टी को सीट-बंटवारे में व्यावहारिक होना चाहिए और गठबंधन की जीत के लिए काम करना चाहिए. पुडुचेरी में कांग्रेस अपना दबदबा जारी रख सकती है. पश्चिम बंगाल पर अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता है. अगर भाजपा यहां पर अच्छा प्रदर्शन करती है तो टीएमसी को वाम-कांग्रेस के समर्थन की आवश्यकता हो सकती है. ऐसे समय में कांग्रेस पर निर्भर है कि वह 2021 में कुछ बदलाव लाना चाहती है या फिर कुछ समय के लिए गायब होना चाहती है.

संजय झा ने साथ ही कहा कि राहुल गांधी एक अच्छे इंसान हैं और उनके इरादे नेक हैं. उनके पास पार्टी और भारत के लिए एक विज़न मैप बनाने के लिए पर्याप्त राजनीतिक अनुभव है, लेकिन वह शायद ही इसके बारे में कभी बताते हैं. लंबे समय तक उनके पार्टी से दूरी बनाकर रखने से कांग्रेस के अंदर बहुतों का दखल रहा है जो चिंता का विषय है. एक अच्छे नेता की पहचान होती है कि वह खुद से आगे बढ़कर बातचीत शुरू करे.

झा ने कहा, ‘अच्छे नेता को आलोचकों को भी अपने आसपास रखना चाहिए और कार्यकर्ताओं से भी उनका मत लेना चाहिए, जिससे पार्टी को मज़बूत किया जा सके. अफसोस की बात यह है कि राहुल ने सब कुछ किया है पर बहुत कम किया है. मुझे लगता है कि उनकी सबसे बड़ी समस्या ये है कि उनके आसपास के लोग उन तक देश में चल रही राजनीति से जुड़ी जानकारी पहुंचने ही नहीं देते, जिसके कारण वह इन बातों से अनभिज्ञ रह जाते हैं.’

सोनिया गांधी ने उन 23 वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की, जिन्होंने असहमति का पत्र लिखा था लेकिन उनकी मुख्य मांग अभी तक साकार होती नहीं दिखाई दे रही है. पार्टी में नेतृत्व का मुद्दा अभी भी उसी तरह से बना हुआ है. क्या कांग्रेस के पास गांधी से आगे बढ़ने का समय है? इस सवाल पर झा ने कहा कि भारत के लोग भी चाहते हैं कि कांग्रेस अच्छा करे, लेकिन वह भी नया नेतृत्व चाहते हैं. हम रेत में शुतुरमुर्ग की तरह सिर डालकर नहीं बैठ सकते कि सब कुछ ठीक चल रहा है.

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