पंचांग का वैदिक ज्योतिष में बड़ा महत्व होता है। हिन्दू धर्म में पंचांग के बिना किसी भी पर्व, त्यौहार, उत्सव और कार्य का शुभारंभ करना असंभव माना जाता है। क्योंकि पंचांग की मदद से ही तिथि और मुहूर्त की गणना होती है। पंचांग के 5 अंग; वार, तिथि, नक्षत्र, योग और करण की गणना के आधार पर मुहूर्त निकाला जाता है। इस पृष्ठ पर आप पाएंगे दैनिक और मासिक समेत अलग-अलग राज्यों में प्रचलित पंचांग में वार, तिथि, नक्षत्र, योग, करण और सूर्योदय-सूर्यास्त व चंद्रोदय-चंद्रास्त से संबंधित जानकारी। इसके अतिरिक्त पंचांग के कॉलम में आपको मिलेगी शुभ व अशुभ मुहूर्त से संबंधित सूचना। इसके अलावा आप घर बैठे ऑनलाइन सॉफ्टवेयर की मदद से अपने शहर का पंचांग देख सकते हैं। पंचांग से जुड़ी इस ऑनलाइन सेवा की मदद से आप तिथि, त्यौहार और मुहूर्त के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
विक्रमी संवत्ः 2077,
शक संवत्ः 1942,
मासः मार्गशीर्ष,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः दशमी रात्रि 11.18 तक है।
वारः गुरूवार,
नक्षत्रः अश्विनी (की वृद्धि है जो कि शुक्रवार को प्रातः 07.36 तक है),
योगः परिघ दोपहर 01.41 तक,
करणः तैतिल,
सूर्य राशिः धनु,
चंद्र राशिः मेष,
राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 07.15,
सूर्यास्तः 05.26 बजे।
नोटः आज श्री मंगल अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि एवं श्री शुक्र ज्येष्ठा नक्षत्र में।
विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।