ग्रेटर हैदराबाद निगम चुनावों में भाजपा की 4 से 49 पर छलांग, ओवैसी ने अपनी जमीन तो बचा ली लेकिन केसीआर का किला ध्वस्त हो गया

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में पहली बार इतना जोर-शोर दिखा. बीजेपी ने तो इस चुनाव में अपने राष्ट्रीय नेताओं जैसे गृह मंत्री अमित शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक को प्रचार के लिए उतार दिया था. चुनाव प्रचार के दौरान AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी काफी बयानबाजी की .GHMC Election 2020 में कुल 74,44,260 मतदाता हैं, जबकि कुल 1,122 उम्मीदवार अपनी किस्मत को आजमा रहे थे.

  • ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत
  • बीजेपी को 49 सीटों पर मिली जीत
  • तेलंगाना की जनता का आभार: अमित शाह

नयी दिल्ली/हैदराबाद:

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं. देश के सबसे बड़े नगर निगम में से एक ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 49 सीटों पर सीट हासिल की है. वहीं, केसीआर की पार्टी टीआरएस को 56 और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 43 सीटों पर जीत मिली. हालांकि इस बार किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है 150 वार्डों वाले ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम में बहुमत का आंकड़ा 75 है. 

बीजेपी की जीत पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि तेलंगाना की जनता ने पीएम मोदी पर भरोसा जताया. तेलंगाना की जनता का आभार. आपको बता दें इस चुनाव के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी थी. 

अमित शाह और योगी आदित्यनाथ जैसे बीजेपी के स्टार प्रचारकों ने निगम के चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार किया था. दोनों ही नेताओं ने हैदराबाद में रोड शो किया था और असदुद्दीन ओवैसी पर जमकर निशाना साधा था. 

बीजेपी बाजीगर बनकर उभरी

नगर निगम के चुनाव में बीजेपी बाजीगर बनकर उभरी है. इस शानदार जीत के बाद सवाल उठता है कि क्या दक्षिण के दुर्ग का दूसरा दरवाजा बीजेपी के लिए जल्द ही खुलनेवाला है. क्या कर्नाटक के बाद बीजेपी दक्षिण के दूसरे राज्यों में भी सत्ता के शिखर पर पहुंचने में कामयाब हो जाएगी. चुनाव तो वैसे नगर निगम का था लेकिन रोमांच किसी लोकसभा-विधानसभा चुनाव से कम नहीं. बीजेपी ने ताकत झोंकी तो नतीजे भी गवाही देने लगे. दक्षिण के दुर्ग में दूसरा दरवाजा खोलने की बीजेपी की रणनीति काम कर गई.

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम का सियासी रसूख ही कुछ ऐसा है कि इस दुर्ग में जगह बनाना बीजेपी के लिए जरुरी था. यह नगर निगम 4 जिलों में है, जिनमें हैदराबाद, मेडचल-मलकजगिरी, रंगारेड्डी और संगारेड्डी शामिल हैं. पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं तो तेलंगाना की 5 लोकसभा सीटें आती हैं.

यही वजह है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में केसीआर से लेकर बीजेपी, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी तक ने दिन रात एक कर दिया, लेकिन पिछली बार हाशिये पर खड़ी बीजेपी ने इस बार कमाल कर दिया. बीजेपी के शानदार परफॉर्मेंस का असर ये होगा कि दक्षिण में कर्नाटक के बाद तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में पैर पसारने में बीजेपी को राहत रहेगी जहां बीजेपी अबतक कामयाबी के लिए बरसों से जी-तोड़ मेहनत कर रही है.  

केसीआर का किला ध्वस्त 

जश्न भले ही टीआरएस खेमे में है लेकिन झटका भी उसे ही लगा है. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में केसीआर की पार्टी वैसे तो सबसे बड़े प्लेयर बनकर उभरी है लेकिन चुनाव ओवैसी बनाम बीजेपी हो गया. बीजेपी ने इस चुनाव के जरिए दक्षिण के सियासी समंदर की गहराई नापी. वहां की फिजां में लोगों का मूड भांपा. दक्षिण भारत में लोकतांत्रिक विस्तार का तापमान जाना. 

चुनाव प्रचार में ही ओवैसी और बीजेपी जिस तरह एक दूसरे पर प्रहार कर रहे थे उससे लगने लगा था कि टीआरएस के लिए इस बार बहुमत हासिल करना आसान नहीं होगा. ओवैसी ने अपनी जमीन तो बचा ली लेकिन केसीआर का किला ध्वस्त हो गया.

क्यों अहम है हैदराबाद नगर निगम चुनाव

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है. यह नगर निगम 4 जिलों में है, जिनमें हैदराबाद, मेडचल-मलकजगिरी, रंगारेड्डी और संगारेड्डी शामिल हैं. पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं तो तेलंगाना की 5 लोकससभा सीटें आती हैं. यही वजह है कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में केसीआर से लेकर बीजेपी, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी तक की साख दांव पर लगी हुई है. 

46 फीसदी से अधिक मतदान

इस बार 46.55% मतदान हुआ. 2009 के हैदराबाद नगर निगम चुनाव में 42.04 फीसदी तो 2016 में हुई नगर निगम चुनाव में 45.29 फीसदी लोगों ने ही वोट डाले थे. हालांकि पिछले 2 चुनाव से ज्यादा इस बार वोटिंग दर्ज की गई.

पिछले चुनाव में टीआरएस को मिला था बहुमत

2016 में हुए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव की बात करें तो टीआरएस ने 150 वार्डों में से 99 वार्ड में जीत हासिल की थी, जबकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 44 वार्ड में जीत मिली थी. जबकि बीजेपी महज तीन नगर निगम वार्ड में जीत दर्ज कर सकी थी और कांग्रेस को महज दो वार्डों में ही जीत मिली थी.

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