दिल्ली दंगों के 20 आरोपियों की तस्वीर की पुलिस ने की सार्वजनिक
24 फरवरी को दिल्ली के चांदबाग इलाके में प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या कर दी थी। पुलिस के मुताबिक, उस वक्त ये 20 गुनहगार भी चांदबाग में इकट्ठा हुई भीड़ का हिस्सा थे। चांदबाग में हुई हिंसा में ही IPS अधिकारी और शहादरा के डीसीपी अमित शर्मा पर भी जानलेवा हमला किया गया था। इसी इलाके में हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के ACP अनुज कुमार पर भी जानलेवा हमला हुआ था।
नयी दिल्ली(ब्यूरो):
देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में हुए ‘हिन्दू विरोधी दंगों’ को लेकर दिल्ली पुलिस ने एक बड़ा कदम उठाया है। इस साल 2020 में फरवरी महीने के दौरान हुए इन दंगों को दिल्ली पुलिस ने ‘आतंकवादी गतिविधि’ बताया है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के कुल 20 आरोपितों की तस्वीर जारी की है। दिल्ली दंगों के इन आरोपितों की तस्वीरें राजधानी के तमाम क्षेत्रों में लगाई जाएगी।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़ दिल्ली दंगों के आरोपितों की तस्वीर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाने के अलावा दिल्ली पुलिस ने एक और अहम बात कही है। दंगों के आरोपितों से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी साझा करने वाले व्यक्ति को दिल्ली पुलिस की तरफ से ईनाम भी दिया जाएगा। बहुत जल्द दिल्ली पुलिस द्वारा राजधानी के अनेक इलाकों में इन 20 आरोपितों की तस्वीर सार्वजनिक स्थानों पर लगा दी जाएगी।
साल 2020 फरवरी महीने के दौरान दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में हिन्दू विरोधी हिंसा भड़की थी। जिसमें सीलमपुर, जाफराबाद, मौजपुर, शिव विहार, बदरपुर और चाँद बाग़ मुख्य थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ हिंसा और दंगों की इन सिलसिलेवार घटनाओं में लगभग 50 से अधिक लोगों ने अपनी जान गँवाई थी और लगभग 700 लोग घायल भी हुए थे।
24 से लेकर 26 फरवरी के बीच नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के विरोध की आड़ में दंगाइयों ने पूरी राजधानी में हिंसा भड़काई थी। इन हिन्दू विरोधी दंगों की प्राथमिक जाँच के बाद दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में चार्जशीट भी दायर की थी जिसमें उन्होंने दिल्ली दंगों को ‘आतंकवादी गतिविधि’ करार दिया था। फ़िलहाल दिल्ली पुलिस की तरफ से दंगों के इस मामले पर कार्रवाई जारी है।
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में और भी कई अहम बातों का ज़िक्र किया है। चार्जशीट के मुताबिक़, “हिंसक दंगों के दौरान तमाम हथियार बरामद किए गए थे, जिनका इस्तेमाल अपनी ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों पर किया गया था। नतीजतन दंगों की इन घटनाओं में लगभग 208 पुलिसकर्मी बुरी तरह घायल हुए थे सिर्फ एक क़ानून का विरोध करने के लिए। इसे किसी भी सूरत में आतंकवादी गतिविधि से हट कर कुछ और नहीं कहा जा सकता है।”
हाल ही में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों और हिंसा को लेकर गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने बड़ा ऐलान किया था। ऐलान के मुताबिक़ जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और शरजील इमाम पर गैर कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाने को हरी झंडी दिखा दी गई है। यानी उमर खालिद और शरजील इमाम दोनों पर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज करके आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
इसके अलावा दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर की गई चार्जशीट में उमर खालिद को लेकर कहा गया था कि उसने केवल नास्तिक होने का ढोंग किया, वस्तुत: वह कट्टर मुस्लिम है जो भारत को तोड़ना चाहता था। उमर ऐसा मानता था कि हिंसक राजनीतिक इस्लाम (violent political Islam) को फ्रंटल पॉलिटिकल पार्टियों के साथ मिलना चाहिए ताकि भारत को अपने हिस्से में लिया जा सके।
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