यूपी राज्यसभा चुनाव: मायावती की पार्टी में बगावत

बसपा के सात विधायकों के पार्टी से बगावत करने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बसपा ने जनाधार खो दिया है जल्द ही पार्टी खत्म हो जाएगी। उन्होंने सपा को भी नहीं बख्शा और कहा कि सपा-बसपा जनता के मुद्दों पर बात नहीं करते हैं केवल ट्विटर पर राजनीति करते हैं।

उप्र (ब्यूरो):

कांग्रेस पार्टी ने बसपा सुप्रीमो मायावती से दुश्मनी बढ़ाई है तो भाजपा ने दोस्ती कर ली है। राजस्थान के राजनीतिक संकट के समय भाजपा नेता जब बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के मसले पर अदालत पहुंचे थे तभी दोस्ती का संकेत मिला था। बाद में मायावती ने कई तरह से परदे के पीछे की एक पुख्ता दोस्ती का संकेत दिया। उन्होंने मध्य प्रदेश में हो रहे उपचुनावों में कांग्रेस उम्मीदवारों को हराने के लिए कई जगह उम्मीदवार उतारे। वे सीधे भाजपा की मदद कर रही हैं। संसद में वे कई मसलों पर सरकार का साथ देती रही हैं। सो, बदले में अब भाजपा ने भी उन पर एक बड़ी मेहरबानी की है।

भाजपा ने उत्तर प्रदेश में हो रहे राज्यसभा चुनाव में उनके लिए एक सीट छोड़ दी है। अब यह देखना है कि भाजपा अपने बचे हुए वोट बसपा को दिलाती है या जीतने के लिए वे दूसरे वोट का बंदोबस्त करती हैं। बहरहाल, भाजपा चाहती तो आराम से नौ सीट जीत सकती थी। लेकिन उसने आठ ही उम्मीदवार उतारे। समाजवादी पार्टी को पता है कि अपनी ताकत के दम पर उसे एक सीट मिलेगी। सो, उसने रिटायर हो रहे पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव का नामांकन करा दिया। इसके बाद भाजपा ने आठ सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए। जिस दिन भाजपा के उम्मीदवारों की घोषणा हुई उसी दिन बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार ने परचा भरा था। सोमवार को दिन में बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के साथ जाकर राजीव गौतम ने परचा दाखिल किया।

अगर बसपा को पहले से पता नहीं होता कि भाजपा सीट छोड़ रही है तो सतीश चंद्र मिश्र परचा दाखिल कराने नहीं जाते। बहरहाल, उत्तर प्रदेश की दस राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है। प्रदेश की 403 में से आठ सीटें खाली हैं, जिन पर उपचुनाव हो रहा है। सो, एक सीट जीतने के लिए 37 वोट की जरूरत है। भाजपा के पास अपने 304 सीटों के साथ साथ अपना दल के नौ और चार निर्दलियों का समर्थन है। यानी उसके पास 317 विधायक हैं। उसे आठ सीट जीतने के लिए 296 वोट की जरूरत है। इसके बाद उसके पास 21 वोट बचते हैं।

दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी के पास सिर्फ 18 विधायक हैं। सीट जीतने के लिए बाकी 19 विधायक कहां से आएंगे? भाजपा अपने बचे हुए सारे वोट ट्रांसफर कर दे तो बसपा आसानी से जीत जाएगी। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के भी चार विधायक हैं। वे भी बसपा का साथ दे सकते हैं। हालांकि अगर वे कांग्रेस के साथ रहतीं तब भी उनकी पार्टी एक सीट जीत सकती थी। सपा के बचे हुए 11 और कांग्रेस के सात विधायकों की मदद से बसपा का उम्मीदवार जीत सकता था। लेकिन यूपी की राजनीति में कांग्रेस की सक्रियता देखते हुए यह संभव नहीं था।

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply