असम में सरकारी अनुदान वाले धार्मिक संस्थान बंद

रिपोर्ट्स के मुताबिक, असम में 614 सरकारी तो 900 निजी मदरसे हैं और लगभग सभी मदरसों को जमीयत उलमा द्वारा चलाया जाता है। वहीं, प्रदेश में 100 सरकारी और 500 निजी संस्कृत संस्थान हैं। बता दें कि सरकार मदरसों पर हर साल 3 से 4 करोड़ रुपए खर्च करती है जबकि संस्कृत संस्थानों में हर साल महज 1 करोड़ रुपए खर्च होता है। इस कार्यवाही के पीछे काश्मीर में हुई कार्यवाई को नहीं देखना चाहिए

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि राज्य के सभी सरकारी मदरसों को बंद करने का निर्णय ‘समानता’ के लिए लिया गया है। असम सरकार ने सभी मदरसों को बंद कर के उन्हें नियमित स्कूलों में तब्दील कर दिया है, जिससे कई इस्लामी विचारधारा वाले लोग नाराज़ हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी पैसे से कुरान नहीं पढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है (सरकारी पैसों से कुरान पढ़ाया जाता है) तो फिर बाइबिल और भगवद्गीता भी पढ़ानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस चलन को खत्म कर के समानता लाने के लिए ये निर्णय लिया गया है। ‘ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF)’ के मुखिया और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा है कि राज्य की भाजपा सरकार ने जिन मदरसों को बंद कर दिया है, उनकी पार्टी की सरकार बनने पर उन सभी मदरसों को वापस बहाल किया जाएगा। कई पार्टियों ने सेकुलरिज्म की बातें करते हुए इस फैसले का विरोध किया है।

हिमंत बिस्वा सरमा ने इस दौरान ‘लव जिहाद’ के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि मुस्लिम लड़के अक्सर खुद को हिन्दू दिखाते हैं और हिन्दू लड़कियों से शादी कर लेते हैं। उन्होंने इसे ‘किसी को विश्वास को धोखा देना’ करार दिया। हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि कई मुस्लिम लड़के हिन्दू नाम के साथ फेसबुक अकाउंट बनाते हैं और किसी मंदिर के साथ खुद की तस्वीर डालते हैं, ताकि किसी को लगे कि वो मुस्लिम हैं।

उन्होंने कहा कि जब लड़की उससे शादी कर लेती है, तब उसे अचानक से पता चलता है कि जिससे उसकी शादी हुई है, वो मुस्लिम है। उन्होंने कहा कि ये प्रामाणिक शादी कभी नहीं हो सकता, ये किसी के भरोसे को धोखा देना हुआ। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन मामलों को देख रही है और अगले 5 वर्षों में ये सुनिश्चित किया जाएगा कि ये शादियाँ स्वेच्छा से हो, किसी को जाल में फँसा कर नहीं। उन्होंने आश्वासन दिया कि असम सरकार कार्रवाई कर रही है।

असम में विधानसभा चुनाव अगले साल मार्च-अप्रैल में प्रस्तावित है। डिब्रूगढ़ में भाजपा महिला मोर्चा की एक बैठक में शिक्षा मंत्री ने कहा था, ‘‘हमें असम की जमीन पर लव जिहाद के खिलाफ एक नई और कड़ी लड़ाई शुरू करनी होगी। अगर भाजपा दोबारा सत्ता में आती है तो हम यह निर्णय लेंगे कि अगर कोई भी लड़का धार्मिक पहचान छुपाता है और असम की बेटियों और महिलाओं पर कुछ भी नकारात्मक टिप्पणी करता है तो उसे कड़ी सजा मिले।” 

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