Sunday, December 22

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने यह खौफनाक कदम क्यों उठाया, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। फिलहाल एसपी शिमला मोहित चावला की अगुवाई में पुलिस टीम घटनास्थल पर मौजूद है और मामले में जांच कर रही है। पुलिस को घटनास्थल से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। जिनमें लिखा गया है कि जिंदगी से तंग आकर अगली यात्रा पर निकल रहा हूं। खुदकुशी की इस घटना से हर कोई स्तब्ध है। 

अजय सिंगला, शिमला:

नगालैंड के पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व सीबीआई निदेशक और हिमाचल के पूर्व पुलिस महानिदेशक रहे अश्वनी कुमार ने बुधवार को रस्सी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस सूत्रों के अनुसार शिमला स्थित ब्राकहास्ट में उनके आवास में पूर्व आईपीएस अधिकारी अश्वनी कुमार का शव लटका पाया गया। उन्होंने यह  कदम क्यों उठाया, इसकी पुष्ट जानकारी अभी सामने नहीं आई है। हालांकि पुलिस को मिले सुसाइड नोट में अश्वनी कुमार ने बीमारी से तंग आकर जान देने की बात लिखी है।

उन्होंने लिखा कि जिंदगी से तंग आकर अगली यात्रा पर निकल रहा हूं और मौत के बाद उनके अंग दान कर दिए जाएं। एसपी शिमला मोहित चावला की अगवाई में देर रात पुलिस टीम घटनास्थल पर जुटी रही। एफ एसएल की टीम भी जांच कर रही है। 70 वर्षीय अश्वनी कुमार का जन्म सिरमौर के जिला मुख्यालय नाहन में हुआ था। वह आईपीएस अधिकारी थे और सीबीआई एवं एलीट एसपीजी में विभिन्न पदों पर भी रहे। तीन साल तक सीबीआई के डायरेक्टर रहे थे। वह सीबीआई के पहले ऐसे प्रमुख रहे, जिन्हें बाद में राज्यपाल बनाया गया था।

उन्हें नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। हालांकि वर्ष 2014 में उन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद वह शिमला में निजी विश्वविद्यालय एपीजी के वाइस चांसलर भी रहे। सीआईडी इस विवि में हुए फर्जी डिग्री मामले की भी जांच कर रही है। प्रदेश पुलिस के उच्च अधिकारी और सीबीआई के अफसर देर शाम उनके निवास स्थान पर पहुंच गए। पूरे क्षेत्र को सील कर दिया गया है। ड्यूटी पर तैनात गार्ड ने बताया कि शाम 4:40 बजे वह बाहर गए थे। अश्वनी कुमार मार्च 2013 से 2014 तक नगालैंड के राज्यपाल रहे।  वर्ष 2006 से 2008 तक डीजीपी हिमाचल और वर्ष 2008 से 2010 तक सीबीआई निदेशक तैनात रहे। 

हमारे लिए तो प्रेरणास्रोत थे अश्वनी कुमार: भंडारी

पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी ने कहा कि उनके लिए तो अश्वनी कुमार प्रेरणास्रोत थे। वह बहुत मेहनती थे। वह उनके एसपी भी रहे। उन्होंने 1984 के आसपास उन्हीं के पास ज्वाइन किया था। वह ईमानदार और कर्मठ आदमी थे। यह बहुत ही दुखद बात है।

उनके लिए सदमे की तरह है

पूर्व डीजीपी डीएस मन्हास ने भी उनके इस तरह से शरीर छोड़ने पर बहुत दुख जताया। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। पूर्व एडीजीपी केसी सडयाल ने भी कहा कि यह बहुत ही दुखद है।